जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि बच्चे के शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास भी शुरू हो जाता है। बच्चा जिस माहौल में रहता है, धीरे-धीरे उसका मानसिक विकास ठीक उसी प्रकार से होता रहता है। आप यूं कहें कि शुरुआती मानसिक विकास ही वो नींव होती है, जो बच्चे के व्यवहार में गहरा प्रभाव या असर डालती है। अगर इस प्रक्रिया के दौरान कोई रुकावट पैदा होती है, तो इस कारण से उनके सीखने की प्रक्रिया या मानसिक विकास के स्तर में भी समस्या पैदा हो सकती है। बच्चों के जीवन में शुरुआती दिनों में उनके रिश्ते, उनके वातावरण के अनुसार बनने या ढलने लगते हैं। बचपन में किसी कारण से बेघर होना या अपनी पढ़ाई पूरी ना हो पाना, बच्चों के मानसिक विकास में रुकावट डालने का काम करते हैं। बचपन की कोई अन्य दुर्घटना भी बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।बच्चों के मेंटल हेल्थ इश्यू और जल्द बचाव (Children’s Mental Health Issues and Early Intervention) समस्या के समाधान के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
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छोटे बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं!
घटनाएं हर किसी के जीवन में होती हैं। इस बात से फर्क पड़ता है कि आपके जीवन में जो भी घटना घट रही है, उस वक्त आपकी उम्र क्या है? अगर आप वयस्क हैं, तो आपको जानकारी होगी कि आपके जीवन में जो भी घटना घट रहा है, उसे किस हद तक लड़ा जा सकता है। या फिर किस हद तक खुद को समझाया जा सकता है। जब कुछ घटनाएं बहुत ही कम उम्र में बच्चों के सामने घटती हैं, तो उस वक्त उन्हें नहीं पता होता है कि कैसे हैंडल किया जाए? बहुत ही कम उम्र में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Anxiety disorders), हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर (Hyperactivity disorder), कंडक्ट डिसऑर्डर (Conduct disorder), डिप्रेशन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नतीजतन, बचपन में मानसिक बीमारियों का निदान या डायग्नोज, वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक कठिन हो सकता है।बच्चों के मेंटल हेल्थ इश्यू और जल्द बचाव (Children’s Mental Health Issues and Early Intervention) पेरेंट्स के लिए चैलेंज के रूप में सामने आता है।