बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) समस्या पैदा करती है। ऐसे बच्चे अक्सर सहानभूति पाते हैं। बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) के कारण उन्हें सामाजिक संकेतों को समझने में समस्या पैदा हो सकती है।बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) के कारण क्रिएटिविटी में रूकावट भी पैदा हो सकती है। उन्हें प्रॉब्लम को सॉल्व करने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कुछ क्रिएट करने के लिए इमेजिनेशन जरूरी होता है, जो कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) से नहीं हो पाता है।कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) वाले बच्चे शब्दों पर अधिक ध्यान देते हैंस इसलिए अन्य लोगों के साथ जल्दी मनमुटाव पैदा हो सकता है।
कुछ बच्चों में एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) की शुरुआत देरी से होती है। इसका कारण किसी बीमारी से जुड़ा हो सकता है। जिन बच्चों को ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर (autism spectrum disorder), डिमेंशिया (dementia), ब्रेन इंजुरी या फिर इंटिलेक्चुअल डिसएबिलिटी (intellectual disability) होती है, उन बच्चों को बातों को गहराई से समझने की एबिलिटी देर से विकसित हो सकती है। ये बच्चे की कंडीशन पर निर्भर करता है। ऐसे में कुछ बच्चे मुहावरों का अर्थ जल्दी समझते हैं वहीं कुछ बच्चे फिगरेटिव लैंग्वेज जल्दी समझ जाते हैं।
बच्चों की सोच का धीरे-धीरे विकास होता रहता है। अगर आपका बच्चे भी कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) रखता हैं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। समय के साथ-साथ उसके विचार भी मैच्योर हो जाऐंगे और वो और ऑउट ऑफ द बॉक्स सोचेगा।
इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।