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बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग या ठोस सोच से क्या समझते हैं आप?

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Bhawana Awasthi


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/12/2021

    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग या ठोस सोच से क्या समझते हैं आप?

    आपने अपने जीवन में कई विचार वाले लोग देखे होंगे। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आप ही करी गए बात या शब्दों पर पूरी तरह से यकीन कर लेते हैं। कुछ लोग बातों को सुनने के बाद उस पर विचार करते हैं और सोच समझकर प्रतिक्रिया देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो फिजिकल शब्दों पर अधिक ध्यान देते हैं और इसके बाद प्रतिक्रिया देते हैं। यानी कि ऐसे लोग सरफेस थिकिंग (सतही सोच) वाले होते हैं। इसे ही कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) कहा जाता है। बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) को आप आम बात मान सकते हैं। सोच विचार कर बात पर प्रतिक्रिया देने को एब्स्ट्रेक्ट थिंकिंग के नाम से जाना जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) के बारे में अधिक जानकारी देंगे।

    कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) के दौरान कहे गए शब्द ज्यादा मायने रखते हैं न कि शब्दों के पीछे छिपी अन्य जानकारी। बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) कई बार समस्या पैदा कर सकती है। कुछ सीखने, सहानभूति या फिर दूसरे से मिलने-झुलने के दौरान ये थिंकिंग या विचार बाधा पैदा करने के काम करते हैं। जानिए कॉन्क्रीट थिंकिंग और एब्सट्रेक्ट थिकिंग (Concrete Thinking vs. Abstract Thinking) के अंतर को। बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) की शुरुआत 2 से 11 साल की उम्र में शुरू हो जाती है। इस दौरान बच्चे का विकास हो रहा होता है। बच्चा अपने आसपास की चीजों को समझने की कोशिश करता है और फिर धीरे-धीरे उनके बारे में बातें भी करता है। इस समय एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) की भी शुरुआत हो जाती है।

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    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग:  कॉन्क्रीट थिंकिंग और एब्सट्रेक्ट थिकिंग (Concrete Thinking vs. Abstract Thinking) में अंतर

    कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) में दी गई जानकारी या इंफॉर्मेशन पर तुरंत फोकस किया जाता हैं। इस प्रकार की सोच की जरूरत हमें कुछ कामों के दौरान पड़ सकती हैं, जबकि एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग में बच्चे अधिक गहराई तक सोचते हैं। इस थिकिंग में फिजिकल इंफॉर्मेशन को अधिक गहराई तक सोचा जाता है और साथ ही इसे ऑउट ऑफ द बॉक्स थिकिंग के नाम से भी जाना जाता है। एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) मुहावरों को समझने की क्षमता रखती है और साथ ही इमोशन को भी गहराई से समझ सकती है। ह्यूमर, फिगर से संबंधित बातों, किसी जानकारी को एनालाइज करने में और जानकारी को अधिक बढ़ाने में एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) अहम रोल अदा करती है। कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) को सतही सोच भी कहा जा सकता है, जिसमें बातों की गहराई में नहीं जाया जाता है। बच्चों में ये थिकिंग शुरुआत में देखने को मिलती है, जब उनमें समझ की कमी होती है। समय के साथ ही बच्चे बातों की गहराईयों को समझने लगते हैं और एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) की शुरुआत हो जाती है।

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    लाइफ की विभिन्न स्टेज में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking)

    कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking)  सभी उम्र में एक जैसी नहीं होती है। यानी कि जब बच्चा पैदा होता है और उसके बाद जब बच्चा किशोरावस्था में पहुंचता है, तो इस दौरान उसकी सोच में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं। जानिए कि यह बदलाव किस प्रकार के होते हैं?

    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग: बचपन में (Early childhood)

    जब बच्चा छोटा होता है, तो उसके अंदर किसी भी चीज को समझने की क्षमता कम होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ अपने आसपास की चीजों के साथ इंटरेक्ट करता है और उन्हें समझने की कोशिश भी करता है। एक समय ऐसा भी आता है जब बच्चा अपनी भावनाओं के बारे में इशारों के माध्यम से बताता है या फिर अपनी इच्छा जाहिर करता है। 2 से 7 साल की उम्र में उसकी सोच में बदलाव दिखता है।

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    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग: एलिमेंट्री स्कूल ईयर  (Elementary school years)

    7 वर्ष की आयु से लेकर लगभग 11 वर्ष की आयु तक, बच्चे अभी भी कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं।एक्सपर्ट के अनुसार इस एज में एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) की शुरुआत हो जाती है। बच्चे इस दौरान सिर्फ फिजिकल शब्दों पर ध्यान नहीं देते बल्कि वह बातों की गहराइयों को भी समझने लगते हैं।

    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग: किशोरावस्था और वयस्कता (Adolescence and adulthood)

    जैसे-जैसे हम मैच्योर होते हैं, हम अनुभव प्राप्त करते हैं। हम उन चीजों के बारे में गहराई से समझने लगते हैं, जो हमने पहले सुनी हैं। ठोस व्यक्तिगत अनुभवों और टिप्पणियों का इस्तेमाल कर परिकल्पना करना इस उम्र की विशेषता होती है। इस समय विकल्पों पर विचार करना और प्लान बनाने के लिए विचार का इस्तेमाल किया जाता है।

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    कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) के कारण होने वाली समस्याएं क्या हैं?

    बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) समस्या पैदा करती है। ऐसे बच्चे अक्सर सहानभूति पाते हैं। बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) के कारण उन्हें सामाजिक संकेतों को समझने में समस्या पैदा हो सकती है।बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) के कारण क्रिएटिविटी में रूकावट भी पैदा हो सकती है। उन्हें प्रॉब्लम को सॉल्व करने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कुछ क्रिएट करने के लिए इमेजिनेशन जरूरी होता है, जो कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) से नहीं हो पाता है।कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) वाले बच्चे शब्दों पर अधिक ध्यान देते हैंस इसलिए अन्य लोगों के साथ जल्दी मनमुटाव पैदा हो सकता है।

    कुछ बच्चों में एब्स्ट्रेक्ट थिकिंग (Abstract thinking) की शुरुआत देरी से होती है। इसका कारण किसी बीमारी से जुड़ा हो सकता है। जिन बच्चों को ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर (autism spectrum disorder), डिमेंशिया (dementia), ब्रेन इंजुरी या फिर इंटिलेक्चुअल डिसएबिलिटी (intellectual disability) होती है, उन बच्चों को बातों को गहराई से समझने की एबिलिटी देर से विकसित हो सकती है। ये बच्चे की कंडीशन पर निर्भर करता है। ऐसे में कुछ बच्चे मुहावरों का अर्थ जल्दी समझते हैं वहीं कुछ बच्चे फिगरेटिव लैंग्वेज जल्दी समझ जाते हैं।

    बच्चों की सोच का धीरे-धीरे विकास होता रहता है। अगर आपका बच्चे भी कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking in kids) रखता हैं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। समय के साथ-साथ उसके विचार भी मैच्योर हो जाऐंगे और वो और ऑउट ऑफ द बॉक्स सोचेगा।

    इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में कॉन्क्रीट थिंकिंग (Concrete Thinking) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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    Bhawana Awasthi


    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/12/2021

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