बस प्यार और हमदर्दी ही तो चाहिए हमें!

एक ही सूरज है सबके लिए,
वही धूप देता है, वहीं छांव करता है
अगर आप धूप में हैं तो इन बच्चों पर छांव कीजिए
और आप छांव में हैं तो इन बच्चों को धूप आने दीजिए
ये विकलांग बच्चे, मोहताज नहीं, जरूरतमंद हैं
हमदर्दी और प्यार के
सूरज की पहली रोशनी…आरुषि यही करती है।
गुलजार साहब की ये पंक्तियां बहुत कुछ कह देती है, जो अक्सर हमारे समाज के लोग नहीं सोच पाते हैं। गुलजार साहब ऑटिज्म एनजीओ से जुड़े हैं और अक्सर ऐसे बच्चों की मन की बातों को शायरी के माध्यम से व्यक्त करते हैं। भले ही कोई हम धन दौलत न दें लेकिन दो चार प्यार के बोल बोलता है, तो मन को सुकून मिलता है। ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic child) भी हमसे ये उम्मीद करते हैं कि जब भी वो अचानक आपके सामने आएं, तो उन्हें छुआछूत का रोगी समझ कर दूर न भागा जाए और न ही खुद के बच्चे को दूर किया जाए बल्कि उन्हें प्यार करें और दुलारे ताकि वो भी नॉर्मल बच्चे की तरह महसूस कर सकें। थोड़ा सा प्यार और हमदर्दी उस दवा का काम करती है, जो डॉक्टर पर्चे पर नहीं लिख पाते हैं।
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आपको पता होना चाहिए बीमारी के बारे में
ऑटिस्टिक बच्चे आपसे उम्मीद करते हैं कि आपको उनकी बीमारी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। ये बात इसलिए भी जरूरी हो जाती है ताकि जब आपका नॉर्मल बच्चा ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic child) के साथ पढ़े, तो आपको किसी तरह की दिक्कत महसूस न हो। ऐसे बच्चों को प्यार की जरूरत होती है न कि लोगों द्वारा किए गए बुरे व्यवहार और भेदभाव की। डॉ. जिनाल उनाडकट शाह बच्चों की डॉक्टर (Pediatrician) हैं। हैलो स्वास्थ्य से बात करते हुए डॉ. जिनाल उनाडकट ने कहा, “अगर आपके घर में ऑटिस्टिक बच्चा है, तो आपको उसके साथ बेहत प्यार से रहना चाहिए और अच्छा व्यवहार करना चाहिए। ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic child) का वैसा विकास नहीं हो पाता है, जैसा कि होना चाहिए। यानी उम्र के साथ विकास न हो पाना इस बीमारी का लक्षण है। ऑटिज्म अवेयरनेस सभी के लिए जरूरी है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) बच्चों में भिन्न हो सकता है।” अगर आप बीमारी के बारे में जानते हैं, तो जब अगली बार आप ऑटिस्टिक बच्चे से मिलेंगे, तो आपके मन में भेदभाव वाला व्यवहार नहीं आएगा और आप उसे भी अन्य बच्चे की तरह ही प्यार करेंगे।
हम एक बार बोलें या दो बार, प्लीज समझिए!
मान लीजिए कि आपका गला बैठ गया है और आपको अपनी बात बताने के लिए कई बार बोलना पड़ रहा है। अगर ऐसे में सामने वाला उठ कर चला जाए या आपकी बात ही न सुने, तो कैसा लगेगा? यकीनन बहुत बुरा लेगा और आप खुद को कुछ ही पलों में अकेला समझने लगेंगे। ऑटिस्टिक बच्चों के साथ भी ऐसा ही होता है। ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic child) को स्पीच डिसऑर्डर (Speech disorder) की समस्या होती है, जिसके कारण वो एक या दो बार में अपनी बात नहीं समझा पाते हैं। वो आपसे चाहते हैं कि आप उनकी बात को तब तक सुनें, जब तक वो उसे सही से कह न पाएं। हम जानते हैं कि इसके लिए धैर्य की जरूरत होती है लेकिन आप और हम ही तो हैं, जो ऐसे बच्चों की हिम्मत बढ़ा सकते हैं और उन्हें अकेलेपन से दूर कर सकते हैं।