और पढ़ें: माता-पिता से बच्चे का ब्लड ग्रुप अलग क्यों होता है?
बच्चे के साथ ज्यादा सख्ती न दिखाएं
बच्चे के साथ ज्यादा सख्ती करना ठीक नहीं है। इससे उनके कोमल मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे को सिर्फ प्यार की जरूरत होती है। जो काम आप उससे डांटकर करवाने की कोशिश करते हैं उसी को प्यार से करवाएं। इससे बच्चे अपना काम ज्यादा अच्छे से कर पाएंगे। डांटने से सिर्फ वो काम करेंगे लेकिन उस काम को दोबारा करने में डरेंगे क्योंकि उनके मन में डर बैठ जाएगा। आपकी डांट आपको बच्चे से दूर कर देगी।
और पढ़ें: नए माता-पिता के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए टिप्स
[mc4wp_form id=”183492″]
माता – पिता का प्यार एक दोस्त के रूप में भी दें
एक बच्चा अपने पिता से यही उम्मीद करता है कि वो एक दोस्त की तरह उसकी हर बात सुने। जो बात वो किसी से नहीं कह पाता वो अपने पैरेंट्स से कहता है। ऐसे में जरूरी है कि अपने बच्चे की हर बात को ध्यान से सुनें। उसकी किसी भी बात को नजरअंदाज (Ignore) न करें। अगर आप बच्चे की बात सुनने का दिखावा करते हैं, तो उसे इस बात का एहसास हो जाता है। फिर वो आगे अपनी बात कहने से कतराने लगेंगे। ये पिता और बच्चे में दूरी बढ़ने का एक बड़ा कारण है।
पैरेंट्स का तलाक भी पिता-बच्चे में लाता है दूरी
जब पैरेंट्स में तलाक की नौबत आती है, तो बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर गहरा प्रभाव पड़ता है। घर में होने वाले झगड़े से बच्चा अपने पिता ही नहीं मां से भी दूर हो जाता है। अगर तलाक के बाद भी आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपसे दूर न हो, तो उससे समय-समय पर मिलते रहें। हफ्ते या महीने में एक बार अपने बेटे या बेटी से मिलें और उसके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। उसके बर्थडे पर उसे सरप्राइज दें और पूरा दिन उसके साथ बिताएं। बच्चे को यह एहसास न होने दें कि तलाक के बाद आप उससे दूर हो गए हैं। कभी-कभी आप बच्चे और मां दोनों के साथ समय बिताएं। अपने पैरेंट्स को साथ देखकर बच्चे को बहुत खुशी मिलती है।
बच्चों के साथ अपनी भावनाएं जाहिर करें
कुछ आदमी अपनी भावनाएं जाहिर करने में शर्माते हैं और कुछ जाहिर करना पसंद नहीं करते। लेकिन अगर आप एक पिता हैं, तो बच्चे के सामने अपनी भावनाएं खुलकर जाहिर करें और अपने बच्चों के लिए पिता का प्यार उन्हें दें। बच्चे के साथ खेले-कूदें और हंसी-मजाक भी करें। बच्चे को घुमाने ले जाएं। उसे गोद में उठाकर प्यार जताएं। जिन पिता में अपनी भावनाएं जाहिर करने की कला होती है उनका अपने बच्चे के साथ अच्छा रिश्ता होता है। ऐसा देखा जाता है कि कुछ पिता अपनी बेटियों के सामने अपनी भावनाएं जाहिर नहीं कर पाते हैं। लेकिन हमारी सलाह है कि किसी भी बात में बेटा-बेटी में फर्क न करें। जो व्यवहार माता-पिता अपने बच्चों के साथ करेंगे वैसा ही वे बाहर जाकर औरों के साथ करेंगे। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सामाजिक तौर पर अच्छा हो तो घर पर उसके साथ वैसा ही व्यवहार करें।