बच्चे को दिया गया पहला दूध फोरमिल्क ( Foremilk) कहलाता है। जब बच्चे को पहली बार दूध पिलाया जाता है, तो मां का ब्रेस्ट फुल होता है। फोरमिल्क में हाय लेक्टोज (High in lactose) यानी मिल्क शुगर होता है। फोरमिल्क में कम फैट और कम कैलोरी होती है। फोरमिल्क वॉटरी और रंग में सफेद होता है। जब बच्चे को ब्रेस्ट के पास लाया जाता है, तो बच्चा दूध पीना शुरू कर देता है। जब बच्चा दूध पीता है, तो फोरमिल्क धीमे-धीमे हाय फैट, हाय कैलोरी मिल्क में बदल जाता है, जिसे हिंडमिल्क के नाम से जाना जाता है। अब जब बच्चा एक ब्रेस्ट को छोड़कर दूसरे ब्रेस्ट से मिल्क पीना शुरू करता है, तो वो फोरमिल्क फीड करता है, जो कि कुछ समय बाद हिंडमिल्क में बदल जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको फोरमिल्क और हिंडमिल्क के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि स्तनपान के दौरान किन बातों का ध्यान रख बच्चे को फोरमिल्क और हिंडमिल्क इम्बैलेंस से बचाया जा सकता है।
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फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk)
ब्रेस्ट मिल्क कंसिस्टेंसी (Consistency) ब्रेस्टफीडिंग के दौरान (During breastfeeding) बदलती रहती है। जब मां बच्चे को दूध पिलाना शुरू करती है, तो पहले दूध को फोरमिल्क कहा जाता है। यह दूध स्किम मिल्क होता है यानी कि इसमें फैट की मात्रा कम होती है। साथ में कैलोरी भी कम होती है।जब बच्चा दूध पीना शुरू कर देता है तो कुछ समय बाद हिंडमिल्क यानी कि अधिक कैलोरी वाला मिल्क आना शुरू हो जाता है। फीडिंग के कुछ समय के बाद फोरमिल्क हिंडमिल्क में बदलने लगता है।फोरमिल्क की कंसिस्टेंसी (Consistency) भूखे बच्चे के पेट को भरने के लिए काफी होती है। सभी माओं में फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk) की भिन्न फैट कंटेंट्स हो सकते हैं। जैसे ही स्तन खाली होना शुरू होता है, फैट ग्लोब्यूल्स बाहर निकलने लगते हैं और डक्ट के नीचे चले जाते हैं। लेट-डाउन प्रोसेस से ये काम आसान हो जाता है। जिस भी स्तन से फीड जितना अधिक होगा, दूध में फैट की मात्रा उतनी ही अधिक होगी, क्योंकि अधिक से अधिक फैट वाले ग्लोब्यूल्स बाहर निकल जाएंगे। रिजल्ट यह होता है कि जैसे-जैसे दूध पिलाया जाता है, दूध में धीरे-धीरे फैट बढ़ता जाता है।
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फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk Imbalance) के इम्बैलेंस से क्या मतलब है?
फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk) को लेकर क्या असंतुलन क्या हो सकता है? ऐसी बातें अक्सर मां के मन में रहती हैं। मांओं को ये बात भी परेशान करती है कि बच्चों को फोरमिल्क से पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता है, जिस कारण से बेबी का वजन नहीं बढ़ पाता है और साथ ही इसके कारण गैस की समस्या और लूज स्टूल आदि समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। पूरी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लैक्टोज की कन्सिस्टेंसी बनी रहती है। हिंडमिल्क के मुकाबले फोरमिल्क में अधिक लैक्टोज की मात्रा रहती है। इस कारण से बच्चे को अधिक मात्रा में लैक्टोज प्राप्त होता है।
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फोरमिल्क और हिंडमिल्क इम्बैलेंस के लक्षण (Foremilk and hindmilk Imbalance Symptoms)
फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk) इम्बैलेंस के लक्षणों के बारे में मां को जानकारी होना बहुत जरूरी है। अगर आपको यह जानना है कि बच्चे में फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk) इम्बैलेंस हो रहा है, तो आप कुछ लक्षणों से इसकी पहचान कर सकते हैं।
- बच्चा अगर दूध पीने के बाद चिड़चिड़ा या फिर बेचैन महसूस कर रहा हो।
- अगर बच्चे के स्टूल में परिवर्तन हो। अगर बच्चे का स्टूल ग्रीन कलर, वॉटरी या फिर झाग जैसा हो, तो इसे फोरमिल्क और हिंडमिल्क इम्बैलेंस (Foremilk and hindmilk) माना जा सकता है।
- अगर बच्चा दूध पीने के दौरान उतावलापन दिखाएं, तो ये भी लक्षणों के रूप में गिना जाएगा।
- अगर बच्चा केवल 5 से 10 मिनट के लिए ही फीडिंग करता है, तो भी समस्या का लक्षण साफ तौर पर देखने को मिलता है।
- कभी-कभी फोरमिल्क और हिंडमिल इम्बैलेंस (Foremilk and hindmilk) के कारण बच्चों को पेट में दर्द, एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux), गैस (Gas), मिल्क प्रोटीन एलर्जी (Milk protein allergy) आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
- माताओं को भी ऐसे में अपने ब्रेस्ट बहुत भरे हुए महसूस हो सकते हैं। मांओं को लेटडाउन या मिल्क इजेक्शन रिफ्लेक्स भी दिखाई दे सकता है।
ऐसे मैं आपको अपनी समस्या के बारे में डॉक्टर को जानकारी देनी चाहिए डॉक्टर जांच करेंगे कि बच्चों को पूर्ण मात्रा में पोषण मिल रहा है या नहीं साथ ही मां को होने वाली परेशानियों को भी जांचा जाएगा। डॉक्टर आपको ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कुछ खास सलाह या राय दे सकते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रखें इन बातों का ख्याल!
अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फोरमिल्क और हिंडमिल्क इम्बैलेंस (Foremilk and hindmilk) हो रहा है, तो आप कुछ बातों का ध्यान रखकर समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
- आप जब भी बच्चे को ब्रेस्टफीड कराएं, उससे कुछ समय पहले ही थोड़ा बहुत दूध निकाल लें, ताकि बच्चे को फोरमिल्क अधिक मात्रा में ना पीना पड़े।
- बच्चों को तब तक दूध पिलाया, जब तक उसका पेट ना भर जाए या फिर वह खुद दूध पीना न छोड़ दे।
- अगर बच्चा दूध पीना छोड़ देता है और कुछ समय बाद रोने लगता है, तो आपको उसी ब्रेस्ट से दोबारा मिल्क पिलाना चाहिए। जब तक बच्चे का पेट ना भर जाए। अगर ऐसे में आप दूसरे ब्रेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चों को हिंडमिल्क की बजाय फोरमिल्क मिलेगा, जो कि इम्बैलेंस या आसमान्यता को बढ़ाने का काम करता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से भी राय लेनी चाहिए।
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आपके मन में यह प्रश्न होगा कि आखिर बच्चे को दूध पिलाते समय कैसे फोरमिल्क की अधिक मात्रा को कम किया जाए। फीडिंग पैर्टन पर ये बहुत अधिक निर्भर करता है। आपको फोरमिल्क और हिंडमिल्क की मात्रा को कम करने की आवश्यकता नहीं है। बच्चों को जब भी दूध पिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को दोनों स्तनों से बराबर में दूध पिलाएं। ऐसा ना हो कि आप बच्चे को सिर्फ एक स्तन से ही दूध पिलाती रहें। कुछ बातों का ध्यान रख आप बच्चे में स्तनपान के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको फोरमिल्क और हिंडमिल्क (Foremilk and hindmilk) के अंतर के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपकोइस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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