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कम मात्रा में पिलाएं दूध
शुरुआती दिनों में आपको शिशु को 30 से 60 ग्राम ब्रेस्ट मिल्क देना है। इसके बाद जब बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करने लगे तो उसका पेट भरने से पहले इस बोतल को उसके मुंह पर लगाएं। इससे उसे पता नहीं चलेगा कि वह बॉटल से दूध पी रहा है।
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निप्पल के मुंह पर ब्रेस्टमिल्क टपकाएं
शिशु को बोतल से दूध पिलाने से पहले निप्पल के ऊपर ब्रेस्टमिल्क की कुछ बूंदे टपका लें। ऐसा करने से शिशु को इसकी खुशबू और स्वाद दोनों ही ब्रेस्टमिल्क की तरह लगेगा। इसके बाद शिशु के ऊपर वाले लिप पर इसकी कुछ बूंद टपकाएं। इससे बॉटल से शिशु को दूध पिलाना आसान होगा।
बॉटलफीडिंग की पोजिशन
शिशु जब बिस्तर पर लेटा हो तब उसे बॉटल से कभी दूध ना पिलाएं। उसे गोद में सेमि-अपराइट की पुजिशन में उठाकर ही बोतल से दूध पिलाएं। बीच-बीच में थोड़े टाइम का पॉज जरूर दें।
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शिशु को बोतल से दूध पिलाने के फायदे
बोतल से शिशु को दूध पिलाना बहुत जरूरी है। इससे कुछ फायदे होते हैं जो मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं जैसे-
- बोतल से शिशु को दूध पिलाना मां को स्तनपान के समय होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाता है।
- बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय मां को बच्चे की सही खुराक के बारे में पता रहता है। अगर शिशु ने पेट भर दूध पी लिया है तो ऐसे में मां को बच्चे के भूखे रहने की चिंता नहीं होती है और वह कुछ घंटों के लिए निश्चिंत हो जाती है।
- कई बार मां को बाहर बच्चे को स्तनपान कराने में थोड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है। ऐसे में शिशु को बोतल से दूध पिलाना आसान हो जाता है।
- बोतल से शिशु को दूध पिलाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चे को जब भी भूख लगे कोई भी फैमिली मेंबर बच्चे को दूध पिला सकता है।
- कुछ महिलाओं के शरीर में उचित मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क नहीं बन पाता है। ऐसे में महिलाओं को चिंता होती है। लेकिन, शिशु को बोतल से दूध पिलाने से महिलाओं को किसी भी तरह की प्रॉब्लम से निजात मिलती है।
- कई बार ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ महिलाएं बीमार हो जाती हैं ऐसे में शिशु को मां का दूध नहीं पिलाया जाता है। ऐसी स्थिति में बोतल से शिशु को दूध पिलाना सही रहता है। इससे बच्चा भूखा नहीं रहता है।