खेलना-कूदना 🙋🏻♀️… बच्चों की पहली पसंद है। किसी भी तरह की प्ले या एक्टिविटी बच्चों के विकास में अपना खास योगदान देती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के शारीरिक विकास एवं मानसिक विकास (Child’s growth) में खेलकूद की अहम भूमिका बताई गई है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपके बच्चों के लिए खास प्ले की जानकारी शेयर करने जा रहें, जिसका नाम है कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play)।
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- कोऑपरेटिव प्ले क्या है?
- कोऑपरेटिव प्ले की शुरुआत कब की जा सकती है?
- बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले क्यों आवश्यक है?
- कोऑपरेटिव प्ले से जुड़े आइडिया एवं एक्टिविटी।
बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) से जुड़े इन ऊपर बताए सवालों का जवाब जानते हैं।
कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) क्या है?
कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) इंग्लिश वर्ड है और इसे हिंदी में अलग-अलग नामों से जैसे सहकारी खेल, सहकारी नाटक या सहयोगी नाटक के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिकन सोशिओलॉजिस्ट मिल्ड्रेड पार्टन नेव्हाल (American sociologist Mildred Parten Newhall) ने दो से पांच साल के बच्चों के विकास के लिए सहकारी खेल को लाभकारी बताया था। सहकारी नाटक पार्टन के छह प्रकार के नाटकों में से एक है, जिसमें अन्य खाली खेल, एकान्त नाटक, दर्शक नाटक, समानांतर खेल और सहयोगी खेल हैं। सहकारी खेल पार्टन के छह प्रकार के अलग-अलग प्ले में से एक है। अन्य खेलों में अनएक्विप्याड प्ले (Unoccupied play), सोलीटरी प्ले (Solitary play), ऑनलुकर प्ले (Onlooker play) एवं अन्य सहयोगी प्ले (Associative play)।
कोऑपरेटिव प्ले अन्य बच्चों के साथ खेलने वाली एक्टिविटी है। सहकारी खेल के लिए एक ग्रुप, लक्ष्य या विशिष्ट कार्यों को प्राप्त करने के लिए उनके बीच प्रयासों के विभाजन की आवश्यकता होती है। वहीं कंपटीटिव गेम्स (Competitive games) में एक जितने वाला होता है और एक हारने वाला। कोऑपरेटिव गेम एक तरह का प्रॉब्लम सॉल्विंग गेम है, जिसमें ग्रुप के सभी सदस्य विनर होते हैं। खेल के इस चरण के माध्यम से बच्चे प्रॉब्लम सॉल्विंग (Problem-solving), सेल्फ-एडवोकेसी (Self-advocacy), डिसीजन मेकिंग स्किल (Decision-making skills), टीमवर्क (Teamwork), शेयरिंग (Sharing) और लड़ाई-झगड़ों के समाधान के लिए जाना जाता है। बच्चों को शुरुआत उम्र से ही अगर सहकारी खेल के लिए प्रोत्साहित किया जाए, तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है और वे लोगों से घुलना मिलना पसंद करते हैं।
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कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) की शुरुआत कब की जा सकती है?
कोऑपरेटिव गेम (Cooperative Game) की शुरुआत वैसे तो दो वर्ष की आयु वाले बच्चों के साथ की जा सकती है। हालांकि इस दौरान पेरेंट्स को यह ध्यान रखना चाहिए की बच्चा अपने एज ग्रुप के बच्चों के साथ बात कर सके और अपने आइडिया उनके साथ शेयर कर सके। इसके साथ ही बच्चे में उनकी उम्र के अनुसार थोड़ी समझ हो और वे खेल के नियमों को समझें। बहुत छोटे बच्चों में समझने की भावना कम हो सकती है, लेकिन पांच साल के बच्चों के कोऑपरेटिव गेम बेहतर माना जाता है, क्योंकि चार या इससे कम उम्र के बच्चों शायद चीजों को समझने या अपने आइडिया (Idea) को शेयर करने में परेशानी हो लेकिन पांच साल के बच्चों में ऐसा नहीं होता है।
नोट: कोऑपरेटिव गेम के दौरान पेरेंट्स को भी थोड़ा ध्यान चाहिए और समझना चाहिए कि उनके बच्चे कोऑपरेटिव गेम (Cooperative Game) में पार्टिसिपेट कर रहें या नहीं।
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बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले क्यों आवश्यक है? (Benefits of Cooperative Play)
बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले के कई फायदे हैं, इसलिए यह बच्चों के लिए लाभकारी माना गया है। जैसे:
- सहयोग (Cooperation) करना
बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले इसलिए लाभकारी माना गया है, क्योंकि इससे बच्चों के बढ़ने के साथ-साथ सहयोग की भावना बढ़ती है। बच्चों में सहयोगी खेल (Cooperative Play) में हिस्सा लेने से उनमें लक्ष्य प्राप्ति को आसान बनाने के साथ-साथ उनमें अच्छी भावना के विकास इ मदद करती है।
- संवाद (Communication) करना
सहकारी खेल के दौरान बच्चों को अपनी जरूरतों और इच्छाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ दूसरों की जरूरतों और इच्छाओं को सुनना और उनका सम्मान करना चाहिए। इस दौरान बच्चे सीखते हैं कि यदि वे संवाद ठीक तरह से नहीं करते हैं या ध्यान से नहीं सुनते हैं, तो उनका खेल उतना मजेदार नहीं होगा। जैसे-जैसे बच्चों का विकास होता है वैसे-वैसे वे खेल के माध्यम से अपने संवाद बेहतर तरीकों से करने में सक्षम हो पाते हैं।
- सहानुभूति (Empathy) दिखाना
सहकारी खेल के दौरान बच्चों को उनके खेल में खेलने के लिए एक अलग भूमिका होती है। जैसे-जैसे बच्चे नियमों और भूमिकाओं पर बातचीत करते हैं, वे सीखते हैं कि उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए दूसरों के दृष्टिकोण से सोचना चाहिए कि खेल सभी के लिए “निष्पक्ष” है। यह मान्यता है कि अलग-अलग लोग समान परिस्थितियों का अलग-अलग अनुभव करते हैं, सहानुभूति के शुरुआती रूप भी उन्हीं में से एक है।
- विश्वास (Trust) करना
सहकारी खेल के दौरान बच्चे एक-दूसरे को उनकी भूमिकाएं बताते हैं और नियमों का पालन करते हैं। फिर इस दौरान यह ध्यान दिया जाता है कि वे वक-दूसरों पर भरोसा करते हैं या नहीं। बच्चे एक दूसरे की ताकत और योगदान को महत्व देना सीखते हैं और एक दूसरों पर विश्वास करना भी सीखते हैं।
- संघर्ष (Conflict resolution) करना
इस गेम के दौरान अगर कोई समस्या होती है, तो उससे संघर्ष कर बाहर निकलने की भी तैयारी करते हैं। इसलिए बच्चों के लिए कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) किसी भी संघर्ष से खुद को और अपने ग्रुप के सदस्यों को कैसे बाहर निकालना है इसकी भी सीख मिलती है।
ये हैं कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative Play) के एक नहीं, बल्कि अलग-अलग कई फायदे। आइये जानते हैं अब इस खेल को खेलने का तरीका क्या है।
कोऑपरेटिव गेम कैसे खेल सकते हैं? (How to play Cooperative games)
कोऑपरेटिव गेम खेलने के तरीके निम्नलिखित हैं। जैसे:
- खजाना ढूंढ़ने वाला गेम– घर में कुछ चीजों या बच्चों के खेलने वाले रुपयों को किसी खास जगहों पर छिपाएं और बच्चों इशारों-इशारों में समझांयें कि खजाना कहां मिलेगा और फिर खजाने को ढूंढ़ने के लिए उन्हें प्रेरित करें।
- कोरियोग्राफी करें– बच्चों को नाचना या गाना भी खूब पसंद आता है। ऐसे बच्चों के ग्रुप में अच्छे सिंगर (Singer) या डांसर (Dancer) को दूसरों बच्चों को सीखाने की जिम्मेदारी दें।
ऐसे ही अन्य मजेदार गेम्स में बच्चों की रूचि बढ़ाएं। ऐसा करने से से बच्चों एक साथ-साथ कई अच्छे गुणों को पेरेंट्स भी आसानी से नोटिस कर सकते हैं। आसान शब्दों में समझें, तो सहकारी खेल बच्चों के लिए एक-दूसरे को जानने-समझें और महत्वपूर्ण कौशल के विकास में सहायक होते हैं। वहीं अगर आपका बच्चा इस तरह से खेलों में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाता है, तो हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट करें। आप अपने सवालों का जवाब का जवाब हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट से भी जान सकते हैं। इसके लिए आपको अपना सवाल इनबॉक्स करना होगा और आपके सवालों का जवाब हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे।
बच्चों के विकास के साथ-साथ मां को अपना ख्याल रखना भी जरूरी है। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर एक्सपर्ट से जानें न्यू मॉम अपना ध्यान कैसे रख सकती हैं और यह उनके लिए क्यों जरूरी है।
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