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बच्चों में विटामिन-के डिफिशिएंसी पड़ सकती है भारी!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2021

    बच्चों में विटामिन-के डिफिशिएंसी पड़ सकती है भारी!

    बच्चों का विकास, उन्हें मिलने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर करता है। शरीर में सभी प्रकार के मिनरल्स और विटामिन की अलग-अलग भूमिका होती है। किसी एक की कमी भी बच्चे के विकास में रूकावट बन सकती है। आज हम यहां बात करेंगे बच्चों में होने वाले विटामिन-के डिफिशिएंसी (Vitamin-K Deficiency) की। विटामिन-के, बच्चों के विकास में उतना ही सहायक है, जितना कि अन्य विटामिन है। बच्चों में लगातर विटामिन-के की कमी, उनमें कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है, जैसे कि एनीमिया (Anemia)। इसकी कमी से शरीर में रक्त संबंधी और भी समस्याएं हो जाती हैं। तो आइए जानते हैं विटामिन-के लक्षण और इसके कारणों में बारे में, साथ ही विटामिन-के डिफिशिएंसी (Vitamin-K Deficiency) को पूरा करने वाले फूड भी।

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     विटामिन-के डिफिशिएंसी क्या है (Vitamin-K Deficiency)?

    विटामिन-के (Vitamin K), एक ऐसा पोषक तत्व है, जो हड्डियों (Bone), हार्ट (Heart), ब्रेन में रक्त संचार (Blood circulation in the brain) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विटामिन-के  दो मुख्य प्रकार के होते हैं। पहला विटामिन-के1, जोकि फाइलोक्विनोन पौधों में पाया जाता  है, विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक और काले आदि में। तो वहीं, विटामिन K2 चिकन (Chicken), मक्खन (Butter), अंडे (Egg), पनीर (cheese) और फर्मेंटेड सोयाबीन (Fermented soybeans)आदि में पाया जाता है। यह एक ऐसा विटामिन है, जो वसा (Fat) में घुलनशील होता है। यह खून को जमाने और प्रोटीन के अवशोषण (Absorption of proteins) में सहायक माना जाता है, जिसे हम खून का थक्का या ब्लड क्लॉट्स कहते हैं। क्लॉटिंग (Clotting) एक ऐसी प्रक्रिया है, जो शरीर के अंदर और बाहर अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में मदद करती है। कई बार बच्चों में रक्त संबंधित बीमारियों का कारण (Cause of blood related diseases)विटामिन-के डिफिशिएंसी भी हो सकती है। जिसका असर बच्चों के विकास पर भी पड़ सकता है।

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    विटामिन-के डिफिशिएंसी के लक्षण? (Vitamin-K deficiency Symptoms)

    यदि आपके बच्चे में विटामिन-के डिफिशिएंसी है, तो उनमें कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जिनमे शामिल हैं:

    • चोट लगने पर त्वचा का बहुत जल्दी छील या कट जाना (Skin Injury)
    • त्वचा में ब्लड क्लॉटेज हो जाना (Blood clotting)
    • नाखून के नीचे की त्वचा पर रक्त के थक्के होना (blood clotting in Nails)
    • शिशु में विटामिन-के डिफिशिएंसी होने पर गर्भनाल क्षेत्र, जहां से वो काटा गया है, वहां से अधिक खून बहना ( Bleeding)
    • हल्की चोट लगने पर अधिक खून बहना (Heavy Bleeding)
    • कई बार नाक से अचानक खून आना ( Bleeding on Nose)
    • मसूड़ों में सूजन और साथ में  खून आना (Bleeding gums)
    • कई बार यूरिन के साथ खून आना (Bleeding with urine)
    • अगर बच्चे में विटामिन की बहुत अधिक कमी है, तो कई बार उसके मल से भी खून आ सकता है (bleeding with Stool)
    • बोन डेन्सिटी कम हो जाना (Bone Density)
    • दांतों का कमज़ोर होना (Weak Teeth)

    यहां पर दिए गए लक्षणों के आलावा और भी बहुत से लक्षण हो सकते हैं, जो यहां पर न दिए हुए हो। यदि आपके बच्चें के ब्लड क्लॉटिंग या रक्त से संबंधित कोई भी समस्या नजर आती है, तो आपको तुरंत बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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    विटामिन-के की कमी के कारण ( Causes of vitamin-K deficiency)

    ऊपर आपने विटामिन-के डिफिशिएंसी के लक्षणों के बारे में जाना। अब आपको इसके कारणों को भी जानना जरूरी है, जिनमें शामिल हैं:

    • यदि लंबे समय से बच्चे की कोई  एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) चल रही है।
    • ऐसी स्थिति है जिसके कारण शरीर वसा (Fat) को ठीक से अवशोषित (Absorbed) नहीं कर पाता है
    • बच्चे के आहार में विटामिन-के की अत्धिक कमी (Diet)

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    विटामिन-के शरीर में भी बनता है, लेकिन कुछ एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) शरीर को अपने स्वयं के विटामिन-के उत्पादन के बाधा पैदा करते हैं। जिसके कारण बॉडी में नैचुरली विटामिन-के नहीं बन पाता है। अन्य एंटीबायोटिक्स के कारण शरीर में विटामिन-के कम प्रभावी हो सकता है। इसके आलावा, जिन लोगों में विटामिन-के की कमी (Vitamin K deficiency) होती है, उनमें वसा की कमी हो सकती है और कई रोग भी इसका कारण हो सकते है:

    • सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis)
    • आंतों में दिक्कत (Bowel problems)
    • सीलिएक रोग (Celiac Disease )
    • पित्त में विकार (Bile Disorder)

    नवजात शिशुओं में कई कारणों से विटामिन-के की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है, यदि मां के दूध में विटामिन-के की कमी हो। इनके अलावा और भी कई कारण और रोग हो सकते हैं।

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    विटामिन-के डिफिशिएंसी की जांच (Vitamin K deficiency test)

    सबसे पहले, आपके डॉक्टर को यह समझने के लिए आपके बच्चे की हेल्थ हिस्ट्री (Health History) को जानना होगा कि क्या आपको विटामिन K की कमी होने का खतरा है। जोखिम वाले लोग आम तौर पर वे होते हैं। शरीर में विटामिन-के डिफिशिएंसी को चैक करने के लिए डॉक्टर बच्चे को प्रोथ्रोम्बिन टाइम (Prothrombin time) टेस्ट नामक जांच के लिए बोल सकते हैं। यह देखने के लिए कि क्या विटामिन-के की कमी (Vitamin K deficiency) आपके बच्चे के बीमार होने का कारण बन रही है। यह एक रक्त परीक्षण है, जो यह मापता है कि आपके ब्लड को क्लॉट (Blood clot) में बनने के लिए कितना समय लेता है। रक्त को आमतौर पर थक्का (Clot) बनने में लगभग 11 से 13.5 सेकंड का समय लगता है। यदि रक्त का थक्का बनने में अधिक समय लगता है, तो आपका डॉक्टर यह निर्धारित कर सकता है कि आपमें विटामिन-के की कमी है।

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    विटामिन-के की कमी का इलाज (Vitamin K deficiency treatment)

    विटामिन-के डिफिशेएंसी का उपचार के तौर पर डॉक्टर फाइटोनाडायोन (Phytonadione) नामक दवा भी दे सकते  हैं, जो विटामिन K1 है। इसके अलावा बच्चों की उम्र के अनुसार उन्हें अन्य दवाएं भी दे सकते हैं। ज्यादातर समय डॉक्टर इसके उपचार के लिए डिज़ॉल्वेबल ओरल टैबलेट या सिरप लिखते हैं। विटामिन-के डिफिशेएंसी होने पर नवजात शिशुओं (New Born Baby)को जन्म के समय 0.5 से 1 मिलीग्राम विटामिन K1 का एक शॉट दिया जाता। यदि मां एंटीकोआगुलंट्स या एंटी-जब्ती दवाएं ले रही है तो एक उच्च खुराक आवश्यक हो सकती है।

    विटामिन k की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं।

    • अनियमित खान-पान (Diet) के कारण विटामिन के की कमी हो सकती है। कारण यह है कि यह कुछ खास खाद्य पदार्थों में ही उपलब्ध होता है।
    • शरीर में विटामिन के का अवशोषण (Absorbed) न हो पाना।
    • बड़ी अंत में पाए जाने वाले खास जीवाणुओं की कमी, जो विटामिन के-2 (Vitamin K-2) को शरीर में अवशोषित करने का काम करते हैं।
    • लिवर संबंधी (Liver Problem) समस्याएं होने पर।
    • आंतों में सूजन और सिस्टिक फाइब्रोसिस(Cystic fibrosis) के रोगियों में विटामिन के की कमी होने का खतरा रहता है।

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    विटामिन-के डिफिशिएंसी को दूर करने वाले फूड (Food)

    बच्चों में विटामिन-के डिफिशेएंसी को दूर करने के लिए दवाओं के साथ उनके डायट का भी पूरा ध्यान रखें। कुछ ऐसे फूड्स भी हैं, जिन्हें बच्चें के डायट में शामिल करने से उनमें विटामिन-के की कमी को दूर किया जा सकता है। जिनमें शामिल हैं:

    विटामिन-के डिफिशिएंसी (Vitamin-K Deficiency)

    काले (Kale)

    काले शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद है। उन बच्चों के लिए भी, जो ओबेसिटी के शिकार हैं। काले में विटामिन-के के अलावा फाइबर, प्रोटीन और ओमेगा -3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid) में भी उच्च मात्रा में पायी जाती है। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट (Anti-oxidant) भी पाया जाता है, जो बच्चें के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अच्छा होने के साथ कई हेल्थ रिस्क को भी कम करता है। काले का सेवन कर आपको विटामिन-के की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है।

    पालक (Spinach)

    बच्चों में डायट में पालक सबसे अच्छा माना है। यह बच्चे के शरीर में विटामिन-के डिफिशेएंसी को दूर करने के साथ बच्चों के शरीर में और भी कई डिफिशिएंसी को पूरा करती है। पालक में विटामिन-के होने के साथ विटामिन ए (Vitamin A) और विटामिन सी  (Vitamin C) की भी मात्रा पायी जाती है। यह डायटरी फाइबर (Dietary fiber) और आयरन से भी भरपूर होता है। पालक का सेवन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के समुचित कार्य के अलावा हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।

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     ब्रॉक्ली (Broccoli)

    ब्रॉक्ली सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक है और यह शरीर में कई बीमारियों को भी दूर करती है। इसमें विटामिन-के के अलावा और भी कई विटामिन खनिज पाए जाते हैं।  इसमें प्रोटीन (Protein), कैल्शियम (calcium), कार्बोहायड्रेट (Carbohydrate), आयरन (Iron), विटामिन ए (Vitamin A), सी और कई दूसरे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

    मछली (Fish)

    विटामिन-के डिफिशिएंसी को दूर करने  के लिए फिश का सेवन भी एक अच्छा विकल्प है। मछली के कई हेल्थ बेनेफिट्स होते हैं। इसका सेवन शरीर में विटामिन-के की कमी तो पूरा करता ही है, साथ में इसमें ओमेगा-3 (Omega-3)के साथ और भी कई मिनरल्स पाए जाते हैं। बच्चों को आप फिश कई रूप में दे सकते हैं, जैसे कि बेक्ड फिश या ग्रिल्ड फिश आदि। क्योंकि बच्चों को मछली स्वाद की वजह से जल्दी पसंद नहीं आती है, लेकिन यह कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी हुई होती है।

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    5. अंडे (Egg)

    वैसे तो लोग अंडे का अधिक सेवन शरीर में प्रोटीन (Protein) की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होता है कि इसमें विटामिन-के की भी मात्रा पायी जाती है। अंडे को बच्चे के शरीरिक और मानसिक (Physical & Mental) विकास दोनों के लिए अच्छा माना जाता है। अंडे में पाया जाने वाला ओमेगा-3 मानसिक विकास के साथ शरीर में कई बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। तो विटामिन-के की डिफिशिएंसी को दूर करने के लिए आप अंडे भी एक अच्छा फूड है।

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    तो इस तरह से आपने जाना कि विटामिन-के डिफिशिएंसी (Vitamin-K Deficiency) को बच्चे में कम करने के लिए किन बातों का रखें ध्यान और किन फूड को बच्चों की डायट में शामिल करें। यदि आपके बच्चे को किसी फूड से एलर्जी है या डायबिटिज पेशेंट हैं, तो उन्हें बिना डॉक्टर के सलाह के उसे कुछ भी न दें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें और फिर दें।

     

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