रेक्टम (Rectum) और एनल (Anal) से निचले हिस्से में पाई जाने वाली सूजी हुई नसों को हेमोरॉइड्स (Hemorrhoids) कहा जाता है। कई बार इन ब्लड वैसल्स की दीवारें स्ट्रेच होकर पतली हो जाती हैं जिससे वेन्स उभरकर आ जाती हैं और इरीटेट करती हैं, खासकर स्टूल पास करने के दौरान। हेमोरॉइड्स को पाइल्स (Piles) भी कहा जाता है। कई बार ये ओवर द काउंटर ट्रीटमेंट से ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ रेयर केसेज में ये इंफेक्टेड हो जाते हैं जिन्हें इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स कहते हैं। ऐसे में मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। एक्सटर्नल हेमोरॉइड्स की तुलना में इंटरनल हेमोरॉइड्स के इंफेक्टेड होने का रिस्क ज्यादा होता है। कई बार हेमोरॉइड का सर्जिकल रिमूवल भी इंफेक्शन के रिस्क को बढ़ा सकता हैं। इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है ताकि कॉम्प्लिकेशन्स से बचा जा सके। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
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कब हेमोरॉइड बन जाते हैं इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स? (Infected Hemorrhoids Causes)
ज्यादातर मामलों में हेमोरॉइड्स के इंफेक्टेड होने का कारण उस जगह पर ब्लड फ्लो कम होना या न होना होता है। रेक्टल एरिया में हेल्दी ब्लड फ्लो होने पर वाइट ब्लड सेल्स और कुछ प्रोटीन्स की सप्लाई होती है जो इंफेक्शन के रिस्क को कम करने का काम करते हैं। एक्सर्टनल हेमोरॉइड्स (External Hemorrhoids) के कारण जलन, दर्द और खुजली जैसी परेशानियां होती हैं जबकि इंटरनल हेमोरॉइड्स (Internal Hemorrhoids) पेनलेस ब्लीडिंग का कारण बनते हैं, लेकिन ये कभी-कभी इंफेक्टेड हो जाते हैं।
हेमोरॉइड्स के इंफेक्टेड होने का दूसरा सबसे सामान्य कारण प्रोलेप्सड हुए इंटरनल हेमोरॉइड (Prolapsed internal hemorrhoids) एनस के बाहर आ जाना है। सामान्य तौर पर वे कुछ समय बाद अंदर चले जाते हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो मरीज को डॉक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ सकती है। अगर आप समय पर इलाज नहीं करवाते हैं तो प्रोलैप्सड हेमोरॉइड स्ट्रैंगुलेट (Prolapsed Hemorrhoids Strangulate) (ऐसा हिस्सा जहां ब्लड सप्लाई कम हो जाती है) बन सकता है। इससे उस एरिया के टिशू के लिए जरूरी ब्लड फ्लो नहीं प्राप्त होता है। ऐसे में इंफेक्शन बहुत तेजी से फैल सकता है। ऐसे में जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इसके अलावा हेमोरॉइड्स को रिमूव करने के लिए की जाने वाली सर्जरी भी कई बार इंफेक्शन का कारण बन जाती है।
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इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स होने के अन्य कारण
इनके अलावा निम्न स्थितियां भी इंफेक्टेड हेमोरॉइड का कारण बन सकती हैं। क्योंकि इनकी वजह से रेक्टम में हेल्दी ब्लड सर्क्युलेशन नहीं होता और ये ब्लड फ्लो को प्रभावित करती हैं।
- डायबिटीज (Diabetes)
- क्रोहन डिजीज (Crohn Disease)
- ओबेसिटी (Obesity)
- ब्लड क्लॉट (Blood Clots)
- एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
एचआईवी (HIV) जैसी कोई दूसरी कंडिशन जो कि इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स (Infected Hemorrhoid) का कारण बन सकती है।
इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स के लक्षण क्या हैं? (Infected Hemorrhoid Symptoms)
इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स के लक्षण (infected Hemorrhoid Symptoms) नॉर्मल हेमोरॉइडस के लक्षणों की तरह ही होते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- बॉवेल मूवमेंट (Bowel Movement) के बाद टॉयलेट या बाथरूम टिशू में ब्लड दिखाई देना
- एनल (Anal) के आसपास सूजन आना
- एनस (Anus) के आसपास खुजली होना
- स्टूल पास करते वक्त दर्द होना
- एनस के आसपास लंप होना
इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स होने पर फीवर जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही इंफेक्शन वाली जगह पर लालिमा आना, असहनीय दर्द होना। हेमोरॉइड्स के इंफेक्टेड होने पर डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेना जरूरी है क्योंकि ये इंफेक्शन पेरिटोनाइटिस (Peritonitis) का कारण बन सकता है जो कि जानलेवा स्थिति है जिसमें एब्डोमिनल वॉल (Abdominal Wall) और इंटरनल ऑर्गन में इंफेक्शन हो जाता है।
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इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis Of Infected Hemorrhoids)
इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछेगा। वे इसके लिए नीचे बताए जा रहे दोनों या सिर्फ एक टेस्ट का सहारा भी ले सकते हैं।
फिजिकल एग्जाम (Physical Exam)
डॉक्टर लंप का पता लगाने के लिए एनस और रेक्टम को चेक करेंगे। इसके साथ ही वे स्वेलिंग, खुजली, जलन और इंफेक्शन का पता लगाने की कोशिश करेंगे।
डॉक्टर ग्लोव्स (GLOVES) पहनकर, ल्यूब्रिकेशन अप्लाई करके ऊंगली को रेक्टम में इंसर्ट करके रेक्टम की जांच करेंगे। जिससे लंप्स, टेंडरनेस और किसी प्रकार के इंफेक्शन के बारे में पता लगाया जा सके। इंटरनल हेमोरॉइड्स जो अक्सर इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स का कारण बनते हैं उनके लिए डॉक्टर कुछ दूसरे टेस्ट भी कर सकते हैं जो निम्न हैं।
एनोस्कोपी (Anoscopy)
डॉक्टर एक छोटी प्लास्टिक ट्यूब जिसे एनोस्कोप (Anoscope) कहते हैं का उपयोग कर एनल कैनाल (Anal Canal) का परीक्षण करते हैं।
सिग्मोइडोस्कोपी (Sigmoidoscopy)
डॉक्टर लोअर कोलोन में फ्लैग्जिबल लाइटेड ट्यूब की मदद से कोलोन (Colon) का परीक्षण करते हैं। वे टेस्ट के लिए टिशू लेने के लिए ट्यूब का उपयोग भी कर सकते हैं।
कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)
डॉक्टर लार्ज इंटेस्टाइन को देखने के लिए कोलनोस्कोपी कर सकते हैं। जिसमें एक फ्लैग्जिबल ट्यूब का उपयोग किया जाता है जिसे कोलोनोस्कोप (Colonoscope) कहते हैं। वे कंडिशन का उपचार करने के लिए टिशू सैम्पल भी ले सकते हैं।
इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment Infected Hemorrhoids)
एंटीबायोटिक का उपयोग इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स का उपचार करने के लिए किया जाता है। किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही करना चाहिए। डॉक्टर इंफेक्शन की गंभीरता के आधार पर दवा रिकमंड करते हैं।
- डॉक्टर सर्जरी के द्वारा भी हेमोरॉइड्स के आसपास के इंफेक्टेड टिशूज को हटा सकते हैं।
- कोल्ड कम्प्रेस और आइस पैक का उपयोग करके भी लक्षणों से राहत प्राप्त की जा सकती है।
- ओरल पेन रिलीवर्स जैसे कि एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) और आईब्रूप्रोफेन (Ibuprofen) का उपयोग भी दर्द को कम करने में किया जाता है।
हेमोरॉइड्स से कैसे बच सकते हैं? (Tips for Prevent Hemorrhoid )
अगर आप हेमोरॉइड्स से बचना चाहते हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखना होगा।
डायट में फायबर (Fiber) को शामिल करें
फायबर फूड को रेक्टम से पास होने में मदद करता है। फाइबर को डायट में शामिल करने का आसान तरीका प्लांट फूड्स जैसे कि सब्जियों, फल और होल ग्रेन्स, नट्स, सीड्स, बीन्स और दालों को डेली डायट में शामिल करें। एक दिन में 20 से 35 ग्राम डायट्री फाइबर का सेवन करने का लक्ष्य बनाएं।
फाइबर सप्लिमेंट्स (Fiber Supplements) भी कर सकते हैं मदद
अगर फूड से आपको फाइबर नहीं मिल रहा है तो ओवर द काउंटर मिलने वाले सप्लिमेंट्स भी स्टूल को सॉफ्ट करने में मदद कर सकते हैं। इनका उपयोग शुरुआत में कम मात्रा में करें। उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
पानी पिएं
पानी की कमी हार्ड स्टूल और कब्ज का कारण बनती है। जो पाइल्स का कारण बनती है। इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं। बता दें कि सब्जियों और फलों में फाइबर के साथ पानी भी होता है जो बॉडी में पानी की कमी को दूर करने में मददगार है।
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एक्सरसाइज जरूर करें
फिजिकल एक्टिविटी जैसे कि आधे घंटे का वॉक बॉवेल और ब्लड को मूविंग रखने में मदद करता है। इसलिए इसे अपने रूटीन में शामिल करें। आप चाहे तो घर पर कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। जिसमें क्रंचेस शामिल हैं।
लंबे समय तक टॉयलेट में ना बैठें
कब्ज के शिकार लोग लंबे समय तक टॉयलेट में बैठते हैं जिससे वेन्स पर प्रेशर पड़ता है जो हेमोरॉइड्स का कारण बनता है। इसिलए आपको टॉयलेट में अधिक समय तक बैठना बंद करना होगा। इसके साथ ही हेल्दी वेट को मैंटेन रखना भी बेहद जरूरी है। मोटापा कई बीमारियों का कारण बनता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इंफेक्टेड हेमोरॉइड्स और उसके उपचार से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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