फैटी लिवर डिजीज (Fatty liver disease)
फैटी लिवर डिजीज दो प्रकार की होती है। एक एल्कोहॉल का ज्यादा सेवन करने के कारण और दूसरा नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या। ये लाइफस्टाइल प्रॉब्लम के कारण हो सकती है। खानपान की आदतों में सुधार कर नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर से राहत पाई जा सकती है। लिवर मेटाबॉलिज्म को मेंटेन करता है और पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किन्हीं कारणों से जब लिवर में फैट जमा होने लगता है, तो ये नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर का कारण बनता है। समय पर ट्रीटमेंट न मिलने पर व्यक्ति को लिवर कैंसर की समस्या भी हो सकती है। इस बीमारी के लक्षण में थकान के साथ ही ऊपरी दाहिने पेट में दर्द बना रहता है। वहीं एल्कोहॉल का अधिक सेवन सिरोसिस का कारण बन सकता है।
फैटी लिवर डिजीज का इलाज (Treatment of fatty liver disease)
पौष्टिक आहार का सेवन करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें। खाने में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज का सेवन रोजाना करें। अच्छी जीवनशैली का चुनाव करके इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें। शराब शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। शराब का कम मात्रा में सेवन या फिर शराब को बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। अगर डॉक्टर ने दवाएं दी हैं, तो नियमित उसका सेवन करें।
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ऑटोइम्यून कंडीशन (Autoimmune conditions) के कारण लिवर की बीमारियां
ऑटोइम्यून सिस्टम (Autoimmune conditions) के कारण लिवर डिजीज हो सकती है। ऑटोइम्यून कंडीशन में इम्यून सिस्टम गलती से हेल्दी सेल्स पर वार शुरू कर देता है और जिसके कारण लिवर सेल्स पर भी बुरा असर पड़ सकता है। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के कारण लिवर सेल्स खतरे में पड़ जाती हैं और लिवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। पीबीसी (Primary biliary cirrhosis) में बाइल डक्ट डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। वहीं प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलिन्जाइटिस (Primary sclerosing cholangitis) इंफ्लामेट्री कंडीशन है, जो बाइल डक्ट (Bile duct) डैमेज का कारण बनता है। ये सिरोसिस को जन्म दे सकता है।
लिवर कैंसर (Liver cancer)
लिवर कैंसर (Liver cancer) की शुरुआत लिवर में होती है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है। इसे सेकेंड्री लिवर कैंसर कहते हैं। कॉमन लिवर कैंसर हेपेटोसेल्युलर कार्सिनोमा ( hepatocellular carcinoma) है। जो लोग लिवर डिजीज का इलाज नहीं करवाते हैं, उन्हें लिवर कैंसर (Liver cancer) का अधिक खतरा रहता है। अगर लिवर डिजीज के लक्षण दिखने पर इलाज करा लिया जाए, तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।
लिवर कैंसर का ट्रीटमेंट
लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल होता है। लिवर कैंसर (Liver cancer) से बचाव मुश्किल होता है। अगर पहली स्टेज में लिवर कैंसर की जानकारी मिल जाए, तो इससे बचा जा सकता है। सेकेंड्री स्टेज में पहुंचने पर लिवर कैंसर का ट्रीटमेंट मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सर्जरी भी बहुत मुश्किल हो जाती है। लिवर कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर सर्जरी, रेडिएशन थेरिपी, इम्यूनोथेरिपी आदि से लिवर कैंसर का ट्रीटमेंट किया जाता है।
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सिरोसिस (Cirrhosis)
लंबे समय तक शराब का सेवन करने या वायरल इंफेक्शन के कारण लिवर की बीमारी सिरोसिस हो सकती है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में सिरोसिस होने की अधिक संभावना रहती है। हेपेटाइटिस सी भी सिरोसिस का कारण बन सकता है। कुछ ओवर द काउंटर दवाएं या प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स भी सिरोसिस का कारण बन सकते हैं। सिरोसिस होने पर नाक से खून आना, पीलिया, त्वचा के नीचे नस का जाल बनना, वजन कम होना, कमजोरी, स्किन में ईचिंग आदि लक्षण दिख सकते हैं।