अल्सर एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण जैसे कि हार्टबर्न और पेट दर्द को हम इग्नोर कर देते हैं। हमारी यही गलती ब्लीडिंग अल्सर का कारण बन जाती है। ब्लीडिंग अल्सर बेहद खतरनाक स्थिति है। पेप्टिक अल्सर स्टमक लाइनिंग या स्माल इंटेस्टाइन पर होने वाला घाव है। अगर अल्सर से ब्लीडिंग हो रही है या ब्लीडिंग का रिस्क है तो इसका मतलब है कि मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। ब्लीडिंग अल्सर का पता लगाने के लिए एंडोस्कॉपी की मदद ली जाती है। इसका उपचार करने के लिए डॉक्टर एंजियोग्राफी और सर्जरी भी कर सकते हैं। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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ब्लीडिंग अल्सर क्या है? (What is bleeding ulcer)
हमारा पेट एक मिक्सिंग बाउल की तरह है। जहां पर फूड और डायजेस्टिव जूस मिलते हैं और डायजेशन की शुरुआत होती है। पेट में एक प्रोटेक्टिव लाइन होती है जो खाने से मिलने वाले डायजेस्टिव एंजाइम्स को बाहर जाने से रोकती है। अगर यह लाइनिंग डैमेज हो जाती है सूजन और दर्द होता है। अगर इंफ्लामेशन बढ़ता जाता है और अल्सर का रूप ले लेता है फिर लाइनिंग या छोटी आंत के छोटे भाग से ब्लीडिंग होने लगती है। कई बार इस ब्लीडिंग के बारे में पता नहीं चलता और मरीज मेडिकल केयर नहीं लेता। ब्लीडिंग अल्सर होने पर निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- थकान
- कमजोरी
- एनर्जी में कमी
कई बार ब्लीडिंग अल्सर एनीमिया का कारण भी बन सकता है। इनकी वजह से सीवियर ब्लड लॉस भी हो सकता है और मरीज को ब्लड ट्रांसफ्यूजन तक की जरूरत पड़ सकती है।
अगर इंफ्लामेशन ब्लड वैसल्स के अंदर होता है तो यह अधिक ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। ऐसे में मरीज को खून की उल्टी होना, ब्लड का इंटेस्टाइन में जाकर डायजेस्ट होकर काले रंग के स्टूल के रूप में बाहर आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गेस्ट्रोलॉजिस्ट एंडोस्कोपी के जरिए पेट को इंटेस्टाइन के ऊपर देखकर ब्लीडिंग के कारण के बारे में पता लगाते हैं। अगर ब्लड वैसल्स लीक कर रही होती है तो तुरंत ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाता है। ब्लीडिंग अल्सर का ट्रीटमेंट जानने पहले जान लेते हैं कि अल्सर के लक्षण और कारण क्या हैं?
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अल्सर के लक्षण (Symptoms of ulcer)
अल्सर के सामान्यत: लक्षण नहीं दिखाई देते। यहां तक कि केवल एक तिहाई लोग ही लक्षणों का अनुभव करते हैं। इसके कुछ लक्षणों में शामिल हैं।
- पेट में दर्द और जलन
- पेट के भरे होने या फूले होने का एहसास होना
- हार्ट बर्न
- जी मिचलाना
- फैटी फूड्स के प्रति इंटॉलरेंस
- एब्डॉमिनल पेन
पेप्टिक अल्सर का सबसे कॉमन लक्षण बर्निंग स्टमक पेन है। एसिड पेन को और भी बुरा बना देता है। कुछ फूड्स को खाने से दर्द कम होता है तो कुछ को खाने से बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा दर्द का एहसास रात को होता है।
ब्लीडिंग अल्सर के लक्षण (Symptoms of bleeding ulcer)
ब्लीडिंग अल्सर की शुरुआत धीरे-धीरे होती है जिसे नोटिस नहीं किया जा सकता। स्लो ब्लीडिंग अल्सर का पहला संकेत एनीमिया है। जिसके लक्षण निम्न हैं।
- त्वचा का पीला पड़ना
- फिजिकल एक्टिविटीज के दौरान सांस फूलना
- सिर का हल्का लगना
- थकान और ऊर्जा की कमी
- स्टूल में ब्लड आना
- खून की उल्टी होना
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किन कारणों से होता है अल्सर? (Causes of Ulcer)
डायजेस्टिव ट्रैक में म्यूकस की एक लेयर होती है जो पेट की लाइनिंग को प्रोटेक्ट करती है। जब बहुत सारा एसिड इक्ठ्ठा हो जाता है और म्यूकस की मात्रा कम हो जाती है तो स्टमक के ऊपरी भाग पर या छोटी आंत पर अल्सर का निमार्ण होता है। जिसका परिणाम एक घाव होता है जिससे ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसा क्यों होता है इसका कारण हमेशा निश्चित नहीं रहता है, लेकिन इसके दो सामान्य कारण बताए गए हैं जो निम्न हैं।
हेलीकोबैक्टर पायलोरी (Helicobacter pylori) या (H. pylori)
हेलीकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया सामान्य तौर पर म्यूकस लेयर पर ही रहता है जो कि लाइन स्टमक और स्माल इंटेस्टाइन की लाइन और म्यूकस को प्रोटेक्ट करती है। यह बैक्टीरिया कई बार स्टमक लाइनिंग पर इंफ्लामेशन का कारण बन जाता है जो बाद में अल्सर का रूप ले लती है। यह क्लियर नहीं है कि एच पायलोरी इंफेक्शन कैसे फैलता है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में किसिंग या क्लोज कॉन्टैक्ट के जरिय फैल सकता है। इसके अलावा यह फूड और पानी के जरिए भी फैलता है।
पेन किलर्स का रेग्युलर यूज (Regular use of certain pain killers)
एस्प्रिन जैसी कुछ ओवर द काउंटर दवाएं और प्रिस्क्रिप्शन पेन मेडिकेशन जिन्हें नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग्स कहा जाता है का रेगुलर यूज स्टमक और स्माल इंटेस्टाइन की लाइनिंग को इरिटेट करने के साथ ही इंफ्लामेशन का कारण बन सकता है। इनमें आईबुप्रोफेन (ibuprofen) , नेप्रोक्सेन सोडियम (naproxen sodium), कीटोप्रोफेन आदि शामिल हैं। हालांकि इनमें एसिटामिनोफेन (acetaminophen) शामिल नहीं है। नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग्स के साथ कुछ दूसरे मेडिकेशन जैसे कि स्टेरॉइड्स, एंटीकॉग्यूलेंट्स, एस्प्रिन का कम डोज, सेलेक्टिव सेरोटॉनिन रिप्यूटेक इंहिबिटर्स अल्सर के डेवलप होने के रिस्क को बढ़ा सकते हैं। NSAIDs के कारण अल्सर का रिस्क तब और बढ़ जाता है जब आप :
- इन्हें नॉर्मल डोज से ज्यादा ले रहे हों
- इन्हें बहुत कम समय के अंतराल पर ले रहे हों
- शराब पीते हों
- वृद्ध हों
- पहले कभी अल्सर रहा हो
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) का उपयोग करते हों
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अल्सर का रिस्क कैसे बढ़ जाता है? (Risk Factors for Ulcer)
NSAIDs के अलावा दूसरे भी कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं जो अल्सर का रिस्क बढ़ा देते हैं। निम्न फैक्टर्स हमेशा ब्लीडिंग अल्सर का कारण बनें यह जरूरी नहीं है, लेकिन यह लक्षणों को बिगाड़ सकते हैं।
स्मोकिंग (smoking)- अगर आप धूम्रपान करते हैं तो एच पायलोरी से इंफेक्ट होने पर आपको अल्सर के डेवलप होने का रिस्क बढ़ जाता है।
एल्कोहॉल (alcohol)- एल्कोहॉल स्टमक लाइनिंग के म्यूकस को नष्ट कर देती है और स्टमक एसिड को बढ़ाती है जो कि अल्सर का कारण बनता है।
स्पाइसी फूड्स (spicy food)- स्पाइसी फूड का अधिक सेवन भी एसिड का निमार्ण करता है जो कि अल्सर का कारण बनता है।
स्ट्रेस (stress)- लंबे समय से जारी तनाव अल्सर का कारण बन सकता है क्योंकि यह एसिड के निमार्ण में मदद करता है।
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ब्लीडिंग अल्सर का उपचार कैसे किया जाता है?
ब्लीडिंग अल्सर का इलाज निम्न मेडिकेशन से किया जा सकता है। जिसमें डॉक्टर कॉम्बिनेशन मेडिसिन दे सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हो सकती हैं।
एंटीबायोटिक्स (antibiotics)
एंटीबोयोटिक्स हेलीकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं जो कि पेप्टिक अल्सर का सबसे सामान्य कारण है। मरीज को एक समय पर कई एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं।
प्रोटोन पंप इंहिबिटर्स (Proton pump inhibitiors)
ये स्टमक को एसिड बनाने से रोकने का काम करते हैं
एच 2 ब्लॉकर्स (H2 blockers)
यह स्टमक के द्वारा बनने वाले एसिड की मात्रा में कमी करता है
बिस्मथ सबसालिलेट (Bismuth subsalicylate)
ये स्टमक लाइनिंग को एसिड से प्रोटेक्ट करते हैं।
बता दें कि मरीज को एंटीबायोटिक्स का डोज 7 से 14 दिन के लिए लेना पड़ता है। लक्षणों में सुधार दिखने पर इसे अपनी इच्छा से बंद ना करें। इन दवाओं का उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। डॉक्टर इसके बारे में बेहतर बताएंगे। दवाओं के साथ एंट्री इंफ्लामेट्री ड्रग्स का यूज ना करें।
दवाओं के साथ ही डॉक्टर ब्लीडिंग अल्सर के लिए इंटरवेंशनल एंजियोग्राफी और सर्जरी भी रिकमंड कर सकते हैं। जानते हैं इनके बारे में।
ब्लीडिंग अल्सर के लिए इंटरवेनशनल एंजियोग्राफी (Interventional angiography)
इसमें एक लंबी सुई को अल्सर के पास वाली आर्टरीज में डाला जाता है और ब्लीडिंग को रोकने के लिए उस पर एक क्लॉट रख दिया जाता है।
ब्लीडिंग अल्सर के लिए सर्जरी (Surgery for bleeding ulcer)
ब्लीडिंग अल्सर के लिए सर्जरी दो प्रकार से की जाती है।
ओपन सर्जरी (Open surgery)
इस सर्जरी में एब्डोमिन में कट लगाया जाता है ताकि अल्सर तक पहुंचा जा सके। इसके बाद सर्जन अल्सर का उपचार करता है।
ब्लीडिंग अल्सर के लिए लेप्रोस्कोपी (laparoscopy for bleeding ulcer)
इसके लिए बेली में छोटा कट लगाया जाता है। एक स्कूप छोटे कैमरे के साथ कट के जरिए अंदर डाला जाता है। पेट की इमेज स्क्रीन पर भेजी जाती है। इससे अल्सर का पता करने में मदद मिलती है। इसके बाद कट्स के जरिए अल्सर के उपचार के लिए कुछ छोटे टूल्स डाले जाते हैं। अल्सर के आसपास की नर्व, ब्लड वैसल्स और स्टमक के हिस्से का भी उपचार किया जाता है। सर्जरी होने के बाद कट्स को बंद कर दिया जाता है और टूल्स को निकाल लिया जाता है।
सर्जरी के बाद
आपको एक रिकवरी रूम या ICU (गहन चिकित्सा इकाई) में ले जाया जाएगा। नर्सें आपकी स्थिति को करीब से देखेंगी। हालत स्थिर होने पर मरीज को अस्पताल के कमरे में ले जाया जाएगा। पेन मैनेजमेंट और लक्षणों को कम करने में मदद करने के लिए दवाएं दी जाएंगी। ब्लीडिंग अल्सर में आराम मिला है या नहीं यह देखने के लिए टेस्ट किया जा सकता है। जब तक डॉक्टर कंफर्म नहीं कर देते आप तब तक मरीज को अस्पताल रहना होगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और ब्लीडिंग अल्सर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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