अगर एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior placenta) की बात करें, तो जब प्लेसेंटा (Placenta) पेट की दीवार से जुड़ा हुआ गर्भाशय के सामने वाले हिस्से से अपने आप जुड़ जाता है, तो इस स्थिति को एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior placenta) कहते हैं। क्योंकि प्लेसेंटा खुद को गर्भाशय में कहीं भी जुड़ सकता है। वैसे यह यह बैक की तरफ रीढ की हड्डी के नजदीक और पोस्टीरियर की ओर विकसित होती है। एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior placenta) के पोजिशन होने पर मां शिशु की अधिकतर मूवमेंट को महसूस नहीं कर पाती हैं। लेकिन यह स्थिति बहुत कम ही देखी जाती है। यानि कि दुर्लभ ही किसी गर्भवती महिला को एंटीरियर प्लेसेंटा होता है और यदि किसी महिला की पहले सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी है, तो इसके होने का खतरा अधिक रहता है।
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एंटीरियर प्लेसेंटा का प्रेग्नेंसी पर प्रभाव
प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा की पोजिशन का भ्रूण (Embryo) पर कोई असर नहीं पड़ता है, पर प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा को ब्लॉक कर सकता है, तो इस स्थिति में मां के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रीविया कहते हैं, जो कि मां के हेल्थ के लिए सही नहीं है। प्लेसेंटा प्रीविया को मॉनिटर करने के लिए प्रेग्नेंट मां को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी पड़ सकती है। इतना ही नहीं इस कंडिशन में सिजेरियन डिलीवरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि, एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior placenta) में ऐसा नहीं होता है, इसमें ऐसी गंभीर स्थिति नहीं है। प्लेसेंटा की पोजिशन शिशु के सामने होने के कारण प्रेग्नेंट मां को बच्चे की मूवमेंट पोस्टीरियर पोजिशन की तरह महसूस नहीं होती है।