मां बनने का ख्याल ही एक औरत को खुशी और उत्साह से भर देता है। यह समय हालांकि उसके जीवन का सबसे मुश्किल समय होता है। क्योंकि, यह नौ महीने इतने आसान नहीं होते। इसमें होने वाली मां को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी ख्याल रखना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में जहां एक तरफ आप खुश और इमोशनल महसूस करती हैं। वहीं, इस दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव आपको परेशान कर सकते हैं। जैसे प्रेग्नेंसी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है वैसे ही गर्भावस्था को भी कुछ पड़ावों में बांटा गया है। यह प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) जिन्हें आप गर्भावस्था के चरण (Stages of Pregnancy) भी कह सकते हैं, एक-दूसरे से अलग होते हैं और इनका अनुभव भी अलग होता है। जानिए, प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) के बारे में विस्तार से।
क्या होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण (Symptoms of Pregnancy)
प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) के बारे में जानने से पहले जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण कौन से होते हैं। इस दौरान होने वाले कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
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- मिस्ड पीरियड
- स्पॉटिंग और क्रैम्पिंग
- ब्रेस्ट में बदलाव
- थकावट
- मॉर्निंग सिकनेस
इनके साथ ही गर्भधारण के बाद महिलाएं लगातार पेशाब आना, कब्ज,मूड स्विंग्स, सिरदर्द आदि भी अनुभव कर सकती हैं। अगर आप इन लक्षणों को अनुभव करती हैं तो यूरिन या कुछ अन्य टेस्ट से डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं। जब इस बात की पुष्टि हो जाती है तो प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) की जानकारी लेना अनिवार्य है।
प्रेग्नेंसी के पड़ाव कौन से हैं (What are the Stages of Pregnancy)?
प्रेग्नेंसी के नौ महीनों को तीन पड़ावों में बांटा गया है। हर चरण में महिला और गर्भ में पल रहे शिशु में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन आते हैं। प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) इस प्रकार हैं:
- पहली तिमाही (पहले से तीसरा महीना)
- दूसरी तिमाही (चौथे से छठा महीना)
- तीसरी तिमाही (सातवें से नौवां महीना)
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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (First Trimester of Pregnancy)
पहली तिमाही यानी प्रेग्नेंसी के पड़ाव (stages of pregnancy) का पहला चरण। इस चरण की शुरुआत उसी दिन से हो जाती है जब से गर्भवती महिला को पिछली बार पीरियड आए हों। प्रेग्नेंसी के पड़ाव (stages of pregnancy) का यह हिस्सा पहले हफ्ते से 13 हफ्ते तक चलता है।
पहली तिमाही (First Trimester) में महिला के शरीर में कौन से परिवर्तन आ सकते हैं?
पहली तिमाही (First Trimester) में, एक महिला का शरीर कई परिवर्तनों से गुजरता है। शरीर कुछ हार्मोन का निर्माण करता है जो शरीर के लगभग हर एक अंग को प्रभावित करता है। इसमें कुछ महिलाएं निम्नलिखित अनुभव करती हैं:
- थकान
- पेट की ख़राबी
- मूड स्विंग
- ब्रेस्ट में दर्द
- पेट में जलन
- भार बढ़ना
- सिर दर्द
- कुछ खाद्य पदार्थों के लिए क्रेविंग
- कब्ज
- मॉर्निंग सिकनेस
हो सकता है कि कुछ महिलाएं इनमें से कुछ या किसी भी लक्षण का अनुभव न करें।
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इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में भ्रूण में क्या बदलाव आता है?
पहली तिमाही (First Trimester) के दौरान भ्रूण तेजी से विकसित होता है। इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में भ्रूण के मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी में विकास और अंगों का निर्माण शुरू होता है। पहली तिमाही (First Trimester) के दौरान बच्चे का दिल भी धड़कने लगता है। आठ सप्ताह के अंत तक उंगलियां और पैर की अंगुलियां बनने लगती हैं। पहली तिमाही के अंत तक, बच्चे के सेक्स ऑर्गन्स भी बन जाते हैं। पहली तिमाही के बाद भ्रूण अब लगभग 3 इंच लंबा और उसका वजन लगभग 28.35 ग्राम होता है।
पहली तिमाही (First Trimester) में कौन से टेस्ट कराना जरूरी हैं?
जब इस बात की पुष्टि हो जाती है कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो उसके बाद डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है। डॉक्टर आपसे आपकी हेल्थ हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे और आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:
- अल्ट्रासाउंड
- ब्लड प्रेशर
- सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन, HIV और हेपेटाइटिस की जांच
- जोखिम वाले चीजों का टेस्ट जैसे एनीमिया
- थायराइड लेवल और वजन चेक
- शुगर प्रोफाइल
11 हफ्ते में डॉक्टर आपको न्यूक्ल ट्रांसलुसेंसी (Nuchal Translucency) स्कैन कराने को भी कहेंगे जो एक अल्ट्रासाउंड है। इससे यह पता चल सकता है कि कहीं आपका शिशु डाउन सिंड्रोम नामक एक आनुवंशिक विकार का शिकार तो नहीं है।
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव के दौरान डायट (Diet during Stages of Pregnancy) कैसी होनी चाहिए?
आपको गर्भावस्था में कैलोरी के साथ-साथ भरपूर प्रोटीन (Protin), विटामिन (Vitamin), कैल्शियम (Calcium) आदि की जरूरत होती है। जानिए, कैसी होनी चाहिए पहली तिमाही (first trimester) के दौरान डायट :
- गर्भावस्था की शुरुआत में ही हेल्दी खाने की आदत ड़ाल लें। अपने आहार में सब्जियों जैसे पालक, ब्रोकली, शिमला मिर्च, मटर, शकरकंदी आदि को अवश्य शामिल करें।
- खट्टे फल फोलिक एसिड का एक अच्छा स्रोत हैं, इसलिए नियमित रूप से अंगूर, संतरे, और अन्य फलों खाने की कोशिश करें।
- डेयरी उत्पाद प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत हैं। दही, कम वसा वाले दूध और पनीर आदि को अपने आहार में शामिल अवश्य करें।
- साबुत गेहूं, जई, जौ, मक्का, बाजरा और साबुत अनाज आपके पहले ट्राइमेस्टर में जरूरी हैं। यह बच्चे को ऊर्जा प्रदान करते हैं और गर्भनाल के विकास के लिए आवश्यक हैं।
- अदरक और नींबू जैसे खाद्य पदार्थ आपको मतली और मॉर्निंग सिक्नेस जैसी परेशानियों से राहत दिला सकते हैं, जो इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में होना सामान्य है।
- इस गर्भावस्था के चरण (Stages of Pregnancy) में जितना हो सके, अधिक पानी और अन्य तरल पदाथों का सेवन करना न भूलें।
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इस दौरान किन चीजों का सेवन न करें
गर्भावस्था की पहली तिमाही (First Trimester) में आपको इन चीजों का सेवन कम या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए:
इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि प्रसव के दौरान, धीरे-धीरे और गहरी सांस लेने से आपको आराम करने में मदद मिलती है और यह आपकी मांसपेशियों में होने वाले तनाव को भी रोकता है, जिससे आपके गर्भाशय ग्रीवा का विस्तार होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को सांस फूलने की तकलीफ होती है। तो ऐसे में ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से आपको डिलीवरी के समय काफी आसानी होगी। सांस की समस्या से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान आप इस तरह से खुद को सक्रिए रखें।
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में कौन से व्यायाम करने चाहिए
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) यानी पहली तिमाही (First Trimester) में आपको निम्नलिखित व्यायाम करने चाहिए:
- वाकिंग और रनिंग
- स्विमिंग
- डांसिंग
- योग
- पिलाटे
इस दौरान आपको एक्सरसाइज करने की आदत डालनी चाहिए। हालांकि, आपको कौन सी और कितनी देर एक्सरसाइज करनी चाहिए, इसकी सलाह अपने डॉक्टर से अवश्य लें।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy)
अब बात करते हैं दूसरे प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) की, जो 13 to 28वें हफ्ते का समय होता है। इस दौरान आप पहली बार अपने बेबी को हिलते हुए भी देख सकते हैं। दूसरी तिमाही (Second Trimester) की अच्छी बात यह है कि इसमें आपकी थकावट और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या दूर हो जाएगी। लेकिन, आप कुछ अन्य समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।
दूसरी तिमाही (Second Trimester) में महिला के शरीर में कौन से परिवर्तन आ सकते हैं?
- पेट में दर्द
- पीठ दर्द
- मसूड़ों से खून बहना
- ब्रेस्ट का बढ़ना
- नाक का बहना या बंद हो जाना
- डिस्चार्ज
इसके साथ ही आपको सिर चकराना, बार-बार मूत्र त्याग, सिरदर्द जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) का भ्रूण में क्या बदलाव आता है?
दूसरी तिमाही (Second Trimester) के दौरान शिशु के अंग पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। शिशु सुनना और निगलना भी शुरू कर सकता है। दूसरी तिमाही (Second Trimester) के अंत में, शिशु घूमना शुरू कर देगा जिसे मां महसूस कर सकती है। दूसरी तिमाही (Second Trimester) के अंत तक शिशु की लंबाई लगभग 14 इंच होगी और उसका वजन 900 ग्राम से थोड़ा अधिक होगा।
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दूसरी तिमाही (Second Trimester) में कौन से टेस्ट कराना जरूरी हैं?
गर्भावस्था के दूसरे तिमाही (Second Trimester of Pregnancy) में महिलाओं को हर दो से चार सप्ताह में डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:
- ब्लड प्रेशर और वजन की जांच
- अल्ट्रासाउंड
- ब्लड ग्लूकोज
- जन्म दोष और अन्य आनुवंशिक जांच के लिए टेस्ट
- एमनियोसेंटेसिस (Amniocentesis)
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव के दौरान डायट (Diet during Stages of Pregnancy) कैसी होनी चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें पर्याप्त विटामिन, खनिज, प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट मिल रहे हैं या नहीं। हालांकि, दूसरी तिमाही (Second Trimester) के दौरान गर्भवती महिला शरीर को थोड़ी अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।
जानिए इस दौरान डायट में किन चीजों को शामिल करें
- यदि आपके आहार में आयरन (Iron) की कमी है, तो इससे एनीमिया हो सकता है। हरी सब्जियां, दालें, बींस, साबुत अनाज आदि इसका अच्छा स्त्रोत हैं।
- आप प्रोटीन (Protin) को मेवे, अंडे, मछली, दालों आदि से प्राप्त कर सकते हैं।
- कैल्शियम (Calcium) से बच्चे की हड्डियों और दांतों को बनाने में मदद मिलती है। दूध और दूध से बने उत्पाद, सब्जियां आदि इसका अच्छा स्त्रोत हैं।
- फोलेट (Folate) न्यूरल ट्यूब डिफेक्टस को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए संतरे, हरी सब्जियां, साबुत अनाज आदि को अपने आहार में शामिल करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिडस (Omega-3 Fatty Acids) हृदय, मस्तिष्क, आंखों, प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक हैं। मछली का तेल, चिया सीडस से आप इन्हें प्राप्त कर सकते हैं।
- गर्भवती महिला को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए पानी और अन्य तरल पदार्थों को अधिक से अधिक पीएं।
इस दौरान किन चीजों का सेवन न करें
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy)में आपको इन चीजों का सेवन कम या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए:
- कच्चे अंडे, मांस और मछली
- अधिक मिर्च-मसाले या तला हुआ आहार
- सॉफ्ट चीज़ जैसे ब्लू चीज़ और फेटा
- अल्कोहल
- कैफीन
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में कौन से व्यायाम करने चाहिए
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy) में हमेशा लौ इम्पैक्ट एक्सरसाइजेज को ही चुनें, जैसे:
- सैर करना (Walking)
- स्विमिंग (Swimming)
- योग (Yoga)
इन्हें करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही करें।
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प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही (Third Trimester of Pregnancy)
यह अंतिम प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) है यानी 29 से 40वें सप्ताह की अवधि है। इस तिमाही में शिशु का पूरा विकास हो जाता है, वह अपनी पोजीशन बदलता है और जन्म के लिए तैयार होता है। यह समय सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।
तीसरी तीसरी (Third Trimester) में महिला के शरीर में कौन से परिवर्तन आ सकते हैं?
- पेट में दर्द (Stomach Ache)
- ब्लीडिंग (Bleeding)
- पीठ में दर्द (Back Ache)
- थकावट (Fatigue)
- लगातार मूत्र त्याग (Frequent Urination)
- हार्टबर्न और कब्ज (Heartburn and Constipation)
कुछ महिलाएं इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of pPregnancy) पर बवासीर, बैचनी, डिस्चार्ज का भी सामना कर सकती हैं।
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) पर भ्रूण में क्या बदलाव आता है?
तीसरी तिमाही (Third Trimester) में शिशु का विकास होता रहता है। इस समय शिशु यह सब करने में सक्षम होता है:
- सुनना
- अपने अंगूठे को चूसना
अब आपके शिशु का दिमाग का विकास जारी होता है। इसके फेफड़े और गुर्दे तैयार होते हैं। इस तिमाही के अंत में शिशु का आकार 19 to 21 इंच और 2 .5 से 4 किलोग्राम तक हो सकता है।
तीसरी तिमाही (third trimester) में कौन से टेस्ट कराना जरूरी हैं?
तीसरी तिमाही (Third Trimester) में डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करेंगे और आपको यूरिन और ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहेंगे, ताकि वो यह सब टेस्ट कर सकें:
- आपके खून के प्रकार और रीसस फ़ैक्टर (Rhesus Factor) को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट
- एनीमिया (Anemia) के लिए रेड ब्लड सेल काउंट
- हेपेटाइटिस B and HIV
- इम्युनिटी टू जर्मन मीसल्स (Rubella) और चिकेनपॉक्स (Varicella)
इसके साथ ही आपको अल्ट्रासाउंड, ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस स्क्रीनिंग, ग्लूकोज स्क्रीनिंग और कंट्रक्शन स्ट्रेस टेस्ट के लिए भी कहा जा सकता है। आपकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए कुछ टेस्ट टेस्ट भी कराए जा सकते हैं।
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इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव के दौरान डायट (Diet during Stages of Pregnancy) कैसी होनी चाहिए?
आपके आहार पर ही शिशु की ग्रोथ निर्भर करती है। ऐसे में, आपको इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) पर अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखना चाहिए। अपने आहार में इन चीजों को शामिल करें:
- आयरन (Iron)
- प्रोटीन (Protin)
- फोलिक एसिड (Folic Acid)
- DHA-रिच फूड जैसे दूध, अंडे, फ्रूट आदि
- कैल्शियम युक्त आहार (Calcium Rich Food)
- मैग्नीशियम (Magnisium) जैसे बादाम, कद्दू के बीज, जौ, जई और सेम आदि।
- फल और सब्जियां (Fruits and Vegetable)
- मेवे (Nuts)
- तरल पदार्थ (Liquids)
इस दौरान किन चीजों का सेवन न करें
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (Third Trimester of Pregnancy) में आपको इन चीजों का सेवन कम या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए:
- अधिक नमक और चीनी युक्त आहार
- कच्ची या अधपकी सब्जियां,मांस, अंडा, मछली
- मिर्च-मसाले वाला आहार
इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में कौन से व्यायाम करने चाहिए
तीसरी तिमाही (Third Trimester) में भी आपका शारीरिक रूप से एक्टिव रहना जरूरी है। इस दौरान आप इन एक्सरसाइजेज को कर सकती हैं। लेकिन, इन्हें करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही इन्हें करें।
- योग (Yoga) और पिलाटे (Pilate)
- वाकिंग (Walking)
- स्विमिंग (Swiming)
- पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज यानी केगल एक्सरसाइज (Kegal Exercise)
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यह नौ महीने एक सुन्दर और कभी न भूलने वाला अहसास है। ऐसे में जरूरी है प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) के हर पल को एन्जॉय करने का। अपने बैग को पैक करें और तैयार हो जाएं एक स्वस्थ और सुन्दर शिशु को अपने घर लाने के लिए। इस दौरान आपका सकारात्मक, स्वस्थ और खुश रहना भी बेहद जरूरी है।
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