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लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय

Written by डॉ तुहिना गोयल · प्रेग्नेंसी सपोर्ट · नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी


अपडेटेड 25/01/2022

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध (Relationship between lifestyle and fertility) के बारे में क्या पता है आपको? कई बार कंसीव न होने का कारण हमारी खराब लाइफस्टाइल होती है। इस पर  इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेस पहले ही इस बात का खुलासा कर चुका है कि पिछले कुछ सालों में 15-20 मिलियन भारतीय बांझपन (इनफर्टिलिटी) से प्रभावित हुए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हालिया रिसर्च में यह नजर आया है कि भारत में 31 साल से अधिक उम्र के लगभग 40% पुरुष बांझपन से ग्रसित हैं, जिससे यह पता चलता है कि देश में पुरुष बांझपन की समस्या खतरनाक रूप से बढ़ रही है। विशेषज्ञ इसके लिये असक्रिय जीवनशैली, खाने की अस्‍वस्‍थ आदतें, अत्यधिक प्रदूषित पर्यावरण को दोषी मान रहे हैं, जिसकी वजह से पिछले कुछ सालों में बांझपन की दर बढ़ती जा रही है। इसमें कोई शक नहीं कि भारत में ऐसी लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं जिनमें उम्र से पहले प्यूबर्टी हो रही है, वहीं महिलाएं अपनी माँओं या नानी-दादी की तुलना में बहुत कम उम्र में ही अच्छी गुणवत्ता के एग्स (अंडाणु) खोती जा रही हैं। लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध (Relationship between lifestyle and fertility) क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय :

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    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय (What is the relationship between lifestyle and fertility, know the opinion of experts on this)

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध जानने से पहले कुछ और बातों का भी जानना जरूरी है। चीन के बाद, दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत, विरोधाभासी स्थिति के केंद्र में खुद को खड़ा पाता है: एक तरफ तेजी से बढ़ती आबादी और वहीं दूसरी तरफ प्रजनन दर में गिरावट हो रही है। फैमिली हेल्थ एंड सर्वे रिपोर्ट की हाल में आई रिपोर्ट यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में प्रजनन दर में 2.2 से लेकर 2.0की गिरावट देखी गई है, यह हालात चिंताजनक हैं। यदि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच तुलना की जाये तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन (फर्टिलिटी) की दर काफी अधिक 82% है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह काफी कम, 60% है। साथ ही यह भी देखा गया है कि शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही महिलाओं में बड़े स्तर पर बांझपन का

    कारण उनके जीवन जीने का तरीका है। इसके साथ ही गर्भनिरोधक उपायों के अलावा, ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न ट्यूबल संक्रमणों के कारण बांझपन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जबकि शहरी महिलाओं के लिये यह उनकी तेजरफ्तार जीवनशैली और अधिक उम्र में शादी, चिंता का विषय है।

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    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध को लेकर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि आज के दौर की महिलाओं का ध्यान अपने कॅरियर और आकांक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित है। भले ही, घर बसाना और परिवार शुरू करना, उनकी आकांक्षाओं की सूची में है लेकिन काफी सारी महिलाएं इस हिस्से को जीवन में काफी बाद में अंजाम देती हैं। आज की महिलाएं, आत्मनिर्भर होना चाहती हैं और शादी तथा परिवार नियोजन जैसे फैसले खुद लेना चाहती हैं। यह उन पर निर्भर करता है कि उन्‍हें कब और कैसे अपना परिवार शुरू करना है। आज की महिलाएं, परिवार शुरू करने का विकल्प तब चुन सकती हैं जब उन्हें लगता है कि उन्होंने अपनी आकांक्षाओं और जीवन के लक्ष्यों को पा लिया है। लेकिन इस बारे में काफी महिलाएं अनजान हैं कि बायोलॉजिकल क्लॉक किसी भी चीज का इंतजार नहीं करती। अब यह जरूरी हो गया है कि महिलाएं अपनी त्वचा, बाल, मुंह और शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। वैकल्पिक प्रजनन संरक्षण (इलेक्टिव फर्टिलिटी प्रिजरवेशन) के विकल्प के बारे में इतनी कम जागरूकता है कि इसके बारे में महिलाएं जीवन में काफी बाद में विचार करती हैं और यह उनकी टु-डू लिस्ट में भी नहीं आता है। ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में प्रजनन को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कारणों पर यहाँ नजर डालें;

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : उम्र (Age)

    जब बात प्रजनन की आती है तो उम्र बहुत बड़ी भूमिका अदा करती है। वास्तविकता यह है कि पुरुष और महिलाएं अपने 20वें साल में सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि 35 की उम्र के बाद महिलाओं में प्रजनन की दर काफी तेजी से कम होने लगती है। और जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है उनमें

    भी गर्भधारण और एक स्वस्थ बच्चे की क्षमता कम हो जाती है- पुरुषों के टेस्टोस्टेरॉन का स्तर 40 की उम्र से कम होने लगता है।

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    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : वजन (Weight)

    बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन गर्भधारण में समस्याएं खड़ी कर सकता है। यदि आप अंडरवेट हैं तो गर्भ धारण करने में आपको परेशानी हो सकती है, डॉक्टरों का कहना है कि मोटापा होने से हॉर्मोनल असंतुलन होता है, जोकि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बांझपन का कारण बन सकता है।

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध: तनाव (Stress)

    आप पहले से ही इस बात को जानते हैं कि तनाव की वजह से दिल की बीमारियां, अस्थमा, मोटापा और डिप्रेशन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन तनाव गर्भधारण को भी बाधित कर सकता है।विशेषज्ञों ने इस बारे में चेताया है कि व्यस्त लाइफस्टाइल का प्रभाव भारतीय युवा दंपतियों की कामेच्छा और

    सेक्स ड्राइव पर पड़ सकता है। फर्टिलिटी एंड स्टेरलिटी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, तनाव स्पर्म और स्पर्म की गुणवत्ता को कम कर सकता है, जोकि पुरुष प्रजनन को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि लंबे समय तक तनाव की स्थिति में रहने से कुछ महिलाओं में ओव्यूलेशन पर प्रभाव पड़ सकता है। इस

    तनाव की वजह से हाइपोथैलेमस की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है- यह मस्तिष्क का केंद्रीय भाग है जोकि कुछ हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने का काम करता है, जोकि हर महीने ओवरीज को एग्स रिलीज करने के लिये प्रेरित करता है।

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    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : ईडीसी का एबीसी (ABC of EDC)

    वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस बात से चिंतित हैं, जिसे प्रजनन क्षमता के संबंध में अंतःस्रावी विघटनकारी रसायन (ईडीसी) कहा जाता है। ईडीसी रसायनों के एक व्यापक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे कि ऑर्गनोक्लोराइनेटेड और ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशक – कृषि और मच्छर नियंत्रण में उपयोग किया जाता है –

    और औद्योगिक रसायन, प्लास्टिक और प्लास्टिसाइजर (प्लास्टिक को नरम करने के लिये उपयोग किया जाता है) और ईंधन। ईडीसी फूड रैप्स और प्लास्टिक की पानी की बोतलों में भी पाये जा सकते हैं, यहाँ तक ​​कि आपके द्वारा लगाये जाने वाले परफ्यूम में भी, नल का पानी जिसे आप पीते हैं और पकाते हैं और जिस हवा में

    आप सांस लेते हैं। और इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है, जोकि प्राकृतिक गर्भधारण करने की हमारी क्षमता को नुकसान पहुँचा रहा है।

    लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : धूम्रपान और शराब सेवन (Smoking and drinking)

    धूम्रपान पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का कारण बन सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उन्हें गर्भधारण करने में अधिक समय लगता है। इसी तरह, धूम्रपान करने वाले पुरुषों में प्रजनन क्षमता की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन ने धूम्रपान को शुक्राणुओं की संख्या में कमी, शुक्राणु की गतिशीलता में कमी और खराब शुक्राणु आकृति विज्ञान के साथ जोड़ा है।पुरुषों में, अधिक शराब पीने से शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और स्तंभन दोष में वृद्धि हो सकती है। ज्यादा शराब पीने से महिलाओं में ओव्यूलेशन विकारों का खतरा भी बढ़ जाता है। ओव्यूलेशन विकार बांझपन का सबसे बड़ा कारण है।

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    बांझपन के मुद्दे हमेशा से उठते रहे हैं, लेकिन वे कभी भी इतने गंभीर या खतरनाक नहीं थे। जबकि हम जो खाना खाते हैं, जो पानी पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जो तनाव हम लेते हैं और हमारे सोने के पैटर्न सभी बांझपन को प्रभावित करते हैं। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये अपनी प्रजनन क्षमता को जानना महत्वपूर्ण है तब, जब वे अपने परिवार को आगे बढ़ाना चाहते हैं। अविवाहित महिलाओं के लिये भी यह जानना जरूरी है, यदि विवाह और बच्चा नहीं चाहती हैं।आज, महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार अपनी प्रेगनेंसी प्लान कर सकती हैं तथा अंडे को फ्रीज करने जैसे प्रजनन संरक्षण विकल्पों को अपना सकती हैं। देश में उपलब्ध प्रजनन संरक्षण योजनाओं की वजह से फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम प्रजनन सूचकांक को बहुत अच्छा को बहुत अच्छी तरह से बरकरार रखा जा सकता है। लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध (Relationship between lifestyle and fertility) के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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    डॉ तुहिना गोयल

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