जब बात प्रजनन की आती है तो उम्र बहुत बड़ी भूमिका अदा करती है। वास्तविकता यह है कि पुरुष और महिलाएं अपने 20वें साल में सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि 35 की उम्र के बाद महिलाओं में प्रजनन की दर काफी तेजी से कम होने लगती है। और जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है उनमें
भी गर्भधारण और एक स्वस्थ बच्चे की क्षमता कम हो जाती है- पुरुषों के टेस्टोस्टेरॉन का स्तर 40 की उम्र से कम होने लगता है।
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लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : वजन (Weight)
बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन गर्भधारण में समस्याएं खड़ी कर सकता है। यदि आप अंडरवेट हैं तो गर्भ धारण करने में आपको परेशानी हो सकती है, डॉक्टरों का कहना है कि मोटापा होने से हॉर्मोनल असंतुलन होता है, जोकि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बांझपन का कारण बन सकता है।
लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध: तनाव (Stress)
आप पहले से ही इस बात को जानते हैं कि तनाव की वजह से दिल की बीमारियां, अस्थमा, मोटापा और डिप्रेशन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन तनाव गर्भधारण को भी बाधित कर सकता है।विशेषज्ञों ने इस बारे में चेताया है कि व्यस्त लाइफस्टाइल का प्रभाव भारतीय युवा दंपतियों की कामेच्छा और
सेक्स ड्राइव पर पड़ सकता है। फर्टिलिटी एंड स्टेरलिटी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, तनाव स्पर्म और स्पर्म की गुणवत्ता को कम कर सकता है, जोकि पुरुष प्रजनन को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि लंबे समय तक तनाव की स्थिति में रहने से कुछ महिलाओं में ओव्यूलेशन पर प्रभाव पड़ सकता है। इस
तनाव की वजह से हाइपोथैलेमस की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है- यह मस्तिष्क का केंद्रीय भाग है जोकि कुछ हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने का काम करता है, जोकि हर महीने ओवरीज को एग्स रिलीज करने के लिये प्रेरित करता है।
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लाइफस्टाइल और फर्टिलिटी में संबंध : ईडीसी का एबीसी (ABC of EDC)
वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस बात से चिंतित हैं, जिसे प्रजनन क्षमता के संबंध में अंतःस्रावी विघटनकारी रसायन (ईडीसी) कहा जाता है। ईडीसी रसायनों के एक व्यापक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे कि ऑर्गनोक्लोराइनेटेड और ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशक – कृषि और मच्छर नियंत्रण में उपयोग किया जाता है –
और औद्योगिक रसायन, प्लास्टिक और प्लास्टिसाइजर (प्लास्टिक को नरम करने के लिये उपयोग किया जाता है) और ईंधन। ईडीसी फूड रैप्स और प्लास्टिक की पानी की बोतलों में भी पाये जा सकते हैं, यहाँ तक कि आपके द्वारा लगाये जाने वाले परफ्यूम में भी, नल का पानी जिसे आप पीते हैं और पकाते हैं और जिस हवा में
आप सांस लेते हैं। और इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है, जोकि प्राकृतिक गर्भधारण करने की हमारी क्षमता को नुकसान पहुँचा रहा है।