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अब सरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बनना आसान नहीं, जानें इसके रूल्स

अब सरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बनना आसान नहीं, जानें इसके रूल्स

सरोगेसी यानी किराए की कोख, ये एक प्रॉसेस है जिसके माध्यम से कई नि:संतान लोग संतान की खुशी हासिल कर सकते हैं। अधिकतर मामलों में इसकी जरूरत तब पड़ती है जब कोई स्त्री गर्भ धारण नहीं कर पाती है और आईवीएफ प्रॉसेस भी फेल हो जाता है। तब ऐसे में ऐसे में दंपति सरोगेसी का रास्ता अपनाते हैं। लेकिन, भारत में सरोगेसी के अपने कुछ कानूनी नियम हैं। इसलिए,अब कानून की सीमा के अंदर रहकर के सरोगेसी का तरीका अपनाया जा सकता है।

दंपित के अलावा सिगल व्यक्ति, सिंगल पेरेंट बनने की चाह में भी इसे अपनाना चाहते हैं, पर अब ये उनके लिए भी मुश्किल होगा। बल्कि होमोसेक्शुअल कपल, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग और सिंगल व्यक्ति भी सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जिन दंपति की शादी को पांच साल से ज्यादा हो चुका है और जिन्हें किसी मेडिकल कारण से बच्चा नहीं हो सकता है, सिर्फ वही सरोगेसी का इस्तेमाल कर सकेंगे।कुछ लोग जहां इसकी आलोचना कर रहे हैं, वहीं कई स्पेशलिस्ट इसे सरोगेसी और एडॉप्शन के हो रहे दुरूपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से  भारत में सरोगेसी के साथ ही उससे जुड़े नियम के बारे में भी जानें।

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क्या है सरोगेसी ?

ये एक तरह की तकनीक है, जिसमें एक महिला और एक कपल के बीच अग्रीमेंट होता है। इसमें ऐसी महिलाएं मां बन पाती हैं, जो बार-बार गर्भपात होने या आईवीएफ के फेल हो जाने के कारण बच्चों को जन्म दे पाने में असफल होती हैं। सरोगेसी में पुरूष के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसके अलावा,जेस्‍टेशनल सरोगेसी में माता और पिता दोनों के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित किया जाता है। इसमें बच्‍चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है। जन्म के बाद बच्चे पर उस महिला का अधिकार समाप्त हो जाता है।

आसान भाषा में सरोगेसी का मतलब है जब कोई शादीशुदा कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख को किराए पर लेता है। सरोगेसी कराने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई कपल के बच्चे नहीं हो पा रहे होते तब वह इस तकनीक का सहारा लेते हैं। कई मां इतनी कमजोर होती हैं कि बच्चा पैदा करने में उनकी जान तक जा सकती है जिस वजह से वह खुद बच्चा न पैदा कर सरोगेसी का सहारा लेती हैं। बच्चे के लिए जिस महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। इस प्रोसेस में बच्चा पैदा करने वाली महिला और बच्चे के पेरेंट्स में एक एग्रीमेंट होता है, जिसमें प्रेग्नेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता वो कपल ही होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी कराई है। सरोगेट मां का भले ही पैदा हुए बच्चे से इमोशनल अटैचमेंट हो जाता हो, लेकिन उसका बच्चे पर अधिकार नहीं होता है।

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कितनी तरह की होती है सरोगेसी ?

आमतौर पर सरोगेसी को दो प्रकार का माना जाता है: पहला परोपकारी सरोगेसी और दूसरा कमर्शियल सरोगेसी। कमर्शियल सरोगेसी की बहुत आलोचना होती रही हैं, क्योंकि, कमर्शियल सरोगेसी में कोखं को किराए पर लिया जाता है। इसमें सरोगेट बनने वाली महिला को मेडिकल खर्चे के अलावा उन्हें इसकी फीस भी दी जाती है। परोपकारी सरोगेसी में सिर्फ मेडिकल खर्चे और इन्स्योरंस के अलावा किसी तरह का भुगतान नहीं किया जाता।

भारत में सरोगेसी: सरोगेसी से संबंधित नियम:

  • देश में सरोगेसी से बच्चा चाहने वाले कपल्स को कम-से-कम पांच साल से शादी-शुदा जीवन निर्वाह किया होना अनिवार्य होगा, साथ ही इन कपल्स का भारत का नागरिक होना भी जरूरी है। कपल्स को सरोगेसी की सुविधा केवल एक बार ही उपलब्ध होगी।
  • सरोगेट के माध्यम से बच्चा चाहने वाले कपल्स का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी होगा। उनका पहले से विवाहित होना भी अनिवार्य होगा, जिसका स्वयं भी कम-से-कम एक बच्चा हो।
  • संतान चाहने वाली महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष और पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होना जरूरी है।
  • ऐसे कपल्स जो शादीशुदा हो और बच्चे पैदा करने योग्य हो, वो सरोगेसी की सहायता नहीं ले सकते हैं।
  • सरोगेट करने वाली मां की उम्र 25 से 35 के बीच होना जरूरी। शोषण रोकने व सरोगेट बच्चों के अधिकार तय करने के अलग से प्रावधान है।
  • सरोगेसी के लिए भ्रूण की बिक्री पर 10 साल की सजा और अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा।
  • सरोगेसी के दौरान सरोगेट मदर को बायोलॉजिकल पेरेंट्स से मिलने की इजाजत है या फिर नहीं, इस बारे में एग्रीमेंट में जानकारी दी जाती है।
  • कई केस में सेरोगेट मदर को बायोलॉजिकल कपल्स से मिलने की इजाजत नहीं होती है।

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भारत में सरोगेसी की स्थिति ?

यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 3000 से ज्यादा सरोगेसी के केंद्र हैं। जिनमें महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे अधिक सरोगेसी सेंटर पाया गया है। इसकी सबसे बड़ा कारण है, भारत में सरोगेसी में आने वाला कम खर्च। आंकड़े कहते हैं कि इनका कारोबार सालाना लगभग तीन से चार हजार करोड़ रूपए का है।सरोगेसी बिल 2019 में ये बात साफ तौर पर कही गई है कि सरोगेसी की सुविधा केवल विवाहित कपल्स को ही दी जाएगी। होमोसेक्सुएल मैन के लिए ये सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही बिल में लिव इन कपल्सॉ, विधवा या विधुर के लिए सरोगेसी की सुविधा उठाने पर रोक लगाई गई है। आपको बताते चले कि सरोगेसी बिल को लेकर बहुत आलोचना भी हो चुकी है। साल 2016 में सरोगेसी के दुरुपयोग को लेकर बिल भी पेश किया जा चुका है। इस मुद्दे को इसीलिए उठाया गया ताकि सरोगेसी का कोई भी गलत फायदा न उठा सके।

सरोगेसी के बाद अगर बच्चा विकलांग पैदा होता है या फिर बच्चे में किसी प्रकार की कमी होती है तो बच्चे को पैरेंट्स उसे लेने से मना कर देते हैं, लेकिन बिल में ये बात साफ तौर पर कही गई है कि सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे के अधिकार सामान्य तरीके से पैदा हुए बच्चे जैसे ही होंगे। यानी बच्चे के विकलांग पैदा होने या फिर अन्य समस्या होने पर भी पेरेंट्स उसे लेने से इंकार नहीं कर सकते हैं। साथ ही सरोगेसी के दौरान अगर सरोगेट मां का बच्चे से अधिक अटैचमेंट हो जाता है तो सरोगेट मां बच्चे को देने से इंकार नहीं कर सकती है। इन नियमों को मानने के बाद ही सरोगेसी का सहारा लिया जा सकता है। जो इन नियमों को नहीं मानेगा, उसे खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकेगा। 

भारत में सरोगेसी :  महिला राज-नेताओं ने बिल पर ऐसे रखी अपनी राय:

विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि देश में सरोगेसी एक तरह का बिजनेस इंडस्ट्री बन गया है। बहुगुणा मानती हैं कि, यह विधेयक महिलाओं को शोषित होने से बचाएगा। वाईएसआर कांग्रेस की सांसद वीवी सत्यवती कहती हैं, कि इस विधेयक में करीबी रिश्तेदारों का जिक्र किया गया है, लेकिन, इसकी परिभाषा नहीं बताई गई है। इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि करीबी रिश्तेदार को परिभाषित करने पर व्यापक चर्चा की गई है। सरोगेसी को लेकर दुनिया के विभिन्न देशों में भिन्न नियम है। भारत में भी कुछ सालों में इन नियमों में बदलाव किए हैं। नियमों में बदलाव हालात को देखते हुए किए गए हैं। अगर आपको भारत में सरोगेसी के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए को आप सरोगेसी सेंटर से जानकारी हासिल कर सकते हैं।

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लोगों की राय: सीमा कहती हैं, कि ‘सरोगेसी को लेकर सरकार की ओर से लिया गया फैसला सही है। क्योंकि, सरोगेट मदर को कई बार परेशान करने की बात भी सामने आती रही है। लेकिन, अब जब सिर्फ अपने दोस्त या परिवार के सदस्यों की मदद से ही सरोगेसी संभव है, तो ऐसी समस्याओं से राहत मिल सकती है। – सीमा सिंह, 40 वर्ष, आईटी प्रोफेशनल

अपने शरीर में किसी दूसरे के बच्चे को जीवन देना ऊपर वाले और विज्ञान दोनों की उपलब्धी है। लेकिन, कुछ लोगों द्वारा इसे भी बिजनेस की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा था। सरोगेसी के लिए भारत दुनिया भर में प्रसिद्ध होने लगा था। इसमें भी गलत तरीके से धंधा किया जाने लगा, इसे रोकना और इन पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है। सरकार की यह फैसला बहुत ही सराहनीय है। – दीपक सिंह राजपूत, 32 वर्ष, बैंकर

हम आशा करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत में सरोगेसी के संबंध में जानकारी मिल गई होगी। अगर आप बच्चे की चाहत रखते हैं लेकिन कई प्रयासों के बाद भी आप पेरेंट्स नहीं बन पाए हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। सरोगेसी के दौरान किन नियमों की जानकारी होनी चाहिए या फिर सरोगेसी का फायदा उठाने के क्या नियम है, इन बातों की जानकारी सरोगेसी क्लीनिक के विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। प्रेग्नेंसी या डिलिवरी से संबंधित अधिक आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट में विजिट कर सकते हैं। आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में प्रश्न भी पूछ सकते हैं। हम आपको उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे।

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डिस्क्लेमर

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The Surrogacy (Regulation) Bill, 2016 https://dhr.gov.in/sites/default/files/surrogacyregbill_0.pdf/Accessed on 11/12/2019

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Social, ethical, medical & legal aspects of surrogacy: an Indian scenario | https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4345743/ | Accessed on 22/12/2021

 

Current Version

22/12/2021

Nikhil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar

Updated by: Nikhil deore


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Dr. Shruthi Shridhar


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/12/2021

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