एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1000 बच्चों के जन्म से 4 बच्चें जुड़वां पैदा होते हैं। देखा जाए तो ट्विन्स प्रेग्नेनी पिछले कुछ सालों में बढ़ी है। वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि तकरीबन 30 से 50 प्रतिशत ट्विन्स प्रेग्नेंसी इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Infertility treatments) के कारण होती है। आज इस आर्टिकल में ट्विन्स प्रेग्नेंसी एवं ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल (Twin pregnancy timetable) के बारे में समझेंगी।
ट्विन्स प्रेग्नेंसी क्या है?
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल क्या है?
जुड़वां बच्चों की डिलिवरी का सही समय क्या है?
बच्चों के जन्म से पहले कौन-कौन सी टेस्ट की जा सकती हैं?
जुड़वां बच्चों का ध्यान कैसे रखें?
चलिए अब ट्विन्स प्रेग्नेंसी (Twin pregnancy) एवं ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल (Twin pregnancy timetable) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
ट्विन्स प्रेग्नेंसी एक ऐसी स्थिति है जब गर्भवती महिला के गर्भ में दो शिशु का विकास हो रहा होता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जब गर्भ में दो एग एक समय पर फर्टिलाइज हो जाते हैं या फर्टिलाइज्ड एग दो सेपरेट एम्ब्र्यो embryos में बट जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में जुड़वां बच्चों का जन्म होता है। चलिए अब ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल (Twin pregnancy timetable) के बारे में समझते हैं।
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल को अगर सामान्य शब्दों में समझें, तो इसका अर्थ है कि आपको पता है की गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं, लेकिन यह जानकारी नहीं होती है की बच्चों का जन्म कब होने वाला है। यहां हम ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल को समझने की कोशिश करते हैं।
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल: जुड़वां बच्चों की डिलिवरी का सही समय क्या है? (Twins delivery date)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ट्विन्स बेबी की डिलिवरी डेट 34 से 37वें हफ्ते की होती है, जो एक ही गर्भनाल से जुड़े होते हैं। वहीं 37 से 39वें हफ्ते का समय उन जुड़वा बच्चों के लिए बताया गया है, जो अलग-अलग गर्भनाल से जुड़े हुए होते हैं। वैसे इस अंतर को समझने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने जुड़वा बच्चों वाली 32 प्रेग्नेंसी के अध्ययनों की समीक्षा की। इन्हें पिछले 10 सालों में प्रकाशित और विश्लेषित किया गया। इस विश्लेषण में 35,171 जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी (29,685 दो गर्भनाल वाले और 5,486 एक गर्भनाल वाले) को शामिल किया गया।
नोट: ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में प्रकाशित एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया कि 36 हफ्तों के प्रेग्नेंसी पीरियड के समर्थन में स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि सिंगल बच्चे की डिलिवरी के मुकाबले जुड़वा बच्चों में मृत्यु का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इस प्रकार के खतरों को कम करने के लिए अक्सर डिलिवरी पहले कराई जाती है।
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल: बच्चों के जन्म से पहले कौन-कौन सी टेस्ट की जा सकती हैं? (Test during twins pregnancy)
जुड़वां बच्चों के जन्म से पहले डॉक्टर वो सभी टेस्ट करते हैं जो सिंगल बेबी डिलिवरी के दौरान की जाती है। हालांकि ट्विन प्रेग्नेंसी के दौरान नॉनस्ट्रेस टेस्ट (Nonstress tests) एवं लेट-स्टेज एम्निओसेंटेसिस टेस्ट (Late-stage amniocentesis) की जाती है।
नॉनस्ट्रेस टेस्ट (Nonstress tests)- ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर गर्भवती महिला का नॉनस्ट्रेस टेस्ट करते हैं। इस टेस्ट की सहायता से गर्भ में पल रहे शिशु के हार्ट रेट और बच्चों के मूवमेंट को मॉनिटर किया जाता है।
लेट-स्टेज एम्निओसेंटेसिस टेस्ट (Late-stage amniocentesis)- गर्भावस्था के 24 हफ्ते के बाद लेट-स्टेज एम्निओसेंटेसिस टेस्ट की जाती है। इस टेस्ट की सहायता से फीटल ऑर्गन डेवलपमेंट को समझने में सहायता मिलती है।
टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर जुड़वां बच्चों के डिलिवरी डेट डिसाइड करते हैं। गायनोकोलॉजिस्ट स्थिति को समझते हुए निर्णय लेते हैं कि उनका जन्म समय से पहले करवाना चाहिए या बाद।
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल: गर्भवती महिला को भी अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। (Tips to follow during Twins pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान अगर जुड़वां बच्चे गर्भ में डेवलप हो रहें हैं, तो ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। जैसे:
गर्भवती महिला को न्यूट्रिशन (Nutrition) की मात्रा ज्यादा लेनी चाहिए।
गर्भवती महिला को आराम (Rest) करना चाहिए।
डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब्ड मेडिकेशन (Prescribed medication) को समय-समय पर लेना चाहिए।
ऐसा करने से गर्भवती महिला कॉम्प्लिकेशन से बच सकती हैं, जिससे बेबी डिलिवरी (Baby delivery) में भी स्ट्रेस (Stress) कम रहता है और मां और बच्चे तीनो स्वस्थ रह सकते हैं।
ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल: जुड़वां बच्चों का ध्यान कैसे रखें? (Tips to care twins baby)
ट्विन्स बेबी की डिलिवरी प्रोसेस की तरह उनकी देखभाल में भी ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। इसलिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
दोनों बच्चों के शेड्यूल को एक जैसा बनाए रखने की कोशिश करें। उन्हें साथ में खाना खिलाएं और साथ में ही डायपर चेंज करें।
जुड़वां बच्चों को अलग-अलग कमरों में सुलाने की बजाए एक साथ सुलाएं। ऐसा करने से दोनों बच्चों की बॉन्डिंग (Baby bonding) पर असर पड़ता है। बड़े होकर हो सकता है कि आपके दोनों ही बच्चों की आदतें और पर्सनैलिटी विपरीत हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप उन्हें एक जैसा बनाए रखने की कोशिश करें।
दोनों बच्चों की रूचि अलग हो सकती है ऐसे में उनकी परेशानियों को भी अलग तरह से समझने की कोशिश करें।
कभी भी एक बच्चे को अकेला या कम पसंद होने का एहसास न होने दें। जुड़वा बच्चों की उम्र एक होती है इसलिए उनमें माता-पिता के भेदभाव के विचार
जल्दी आने लगते हैं। दोनों ही बच्चों को एक सामान प्यार करें और उन्हें इस बात का एहसास न होने दें की आपका कोई फेवरेट बच्चा है।
ट्विन्स बेबी पेरेंट्स को इन ऊपर बताये बातों का ध्यान रखना चाहिए। जुड़वां बच्चों के देखभाल में ज्यादा मेहनत लगती है। ऐसे में कपल को साथ देना चाहिए। वहीं इस दौरान फेमली मेंबर को भी नए पेरेंट्स को सपोर्ट करना चाहिए। अगर ऐसे वक्त में हेल्पर की जरूरत महसूस होती है, तो हेल्पर की मदद लें। ऐसा करने से नई मां पर ज्यादा प्रेशर नहीं पड़ेगा, क्योंकि नई मां को भी रेस्ट करना जरूरी है। बच्चों की सेहत भी मां की सेहत पर निर्भर होती है।
इस आर्टिकल में हमनें आपके साथ ट्विन प्रेग्नेंसी एवं ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल (Twin pregnancy timetable) की जानकारी शेयर की है। इसलिए अगर आप ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल (Twin pregnancy timetable) से जुड़े किसी तरह के सवालों का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देनी की पूरी कोशिश करेंगे। वहीं ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कोई परेशानी महसूस होती है, तो बिना देर किये जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अपना ख्याल तो रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद भी गर्भवती महिला को अपने विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्पर्ट से जानें न्यू मदर के लिए खास टिप्स यहां।
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