आप अपने काम या दफ्तर में कितने ही व्यस्त क्यों न हों पर घर पर अगर वृद्ध माता-पिता हैं तो उनके लिए भी समय निकालना बहुत जरूरी है। वृद्धावस्था में अपना ध्यान अकेले रखना आसान नहीं है। इस समय अलगाव, अकेलापन और रोजमर्रा के कामों में असमर्थता बहुत ही आम बात है। ऐसे में यदि बच्चे अपनी बिजी लाइफस्टाइल में से थोड़ा सा वक्त अपने मां- बाप लिए निकालते हैं तो उन्हें अकेलापन और निराशा का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइए बात करते हैं वे कौन सी बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखकर आप बेहतर तरीके से अपने माता-पिता की देखभाल कर सकते हैं।
फोन कॉल
अगर आप घर से ज्यादा समय बाहर रहते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि कम से एक बार घर पर फोन करके अपने पेरेंट्स का हालचाल जरूर लें। दिन के 5 मिनट निकालना इतना मुश्किल नहीं है इसके लिए आप लंच ब्रेक में एक बार घर पर फोन कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि व्यस्तता के चलते आपको ध्यान नहीं रहेगा तो इसके लिए आप फोन में रिमाइंडर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से मां बाप को इस बात के एहसास होता है कि आपको उनकी फिक्र रहती है और यह एहसास मन की शांति और खुशी के लिए काफी है।
बाहर घूमने जाएं
कभी-कभी ब्रेक बहुत जरूरी होता है और खासकर कि वे लोग जो दिन भर घर में रहते हैं। उनके लिए थोड़ी आउटिंग जरूरी है। इससे मूड चेंज होता है और काफी पॉजिटिविटी आती है। इसलिए वीकेंड पर या महीने में कम से कम एक बार एक फैमिली पिकनिक पर जाएं।
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मिलने में ज्यादा समय का अंतराल न रखें
अगर आप घर से दूर हैं तो इस बात की पूरी कोशिश करें कि उनसे मिलने कम समय के अंतराल में जाएं। माना कि काम के चलते ज्यादा छुटियां मिलना मुश्किल है पर अपनी छुट्टियों को कुछ ऐसे मैनेज करें कि उनका इस्तेमाल आप घर जाने के लिए कर सकें। कोशिश करें कि कम से कम 2 -3 महीने में एक बार घर जरूर जाएं।
पेरेंट्स की सोशल लाइफ
वृद्धावस्था में अकेलापन सबसे ज्यादा परेशान करता है इसलिए कोशिश करके मां-बाप को सोशल एक्टिविटी का हिस्सा बनाएं। उन्हें क्लब हाउस जॉइन कराने या उनकी उम्र के लोगों के साथ मेल- जोल बढ़ाने में मदद करें। ताकि वे सारा दिन घर में अकेले परेशान न हों।
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उनकी असमर्थता को समझें
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