backup og meta

पीलिया का आयुर्वेद इलाज क्या है? जॉन्डिस होने पर क्या करें, क्या न करें?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/08/2020

पीलिया का आयुर्वेद इलाज क्या है? जॉन्डिस होने पर क्या करें, क्या न करें?

परिचय

जॉन्डिस एक मेडिकल टर्म है जिसमें त्वचा और आंखों में पीलापन आ जाता है जो कि सबसे आम लिवर डिजीज है। यह स्वास्थ्य स्थिति तब बनती है जब बॉडी में बहुत अधिक बिलीरुबिन होता है। बिलीरुबिन एक पीला पिग्मेंट है जो कि लिवर में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनता है। पीलिया नवजात शिशुओं में भी अक्सर होता है, विशेषकर उन बच्चों में जो समय से पहले जन्म लेते हैं। जॉन्डिस के कारण कई होते हैं। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस  लेख में जानते हैं कि पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है, पीलिया की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी है।

आयुर्वेद में पीलिया क्या है?

शरीर में पित्त दोष की अधिकता से जॉन्डिस की समस्या पैदा होती है। पीलिया को आयुर्वेद में रक्‍त धातु में स्थित पित्त दोष बढ़ने के कारण होने वाले रोगों के समूह में रखा गया है।

इसके अलावा पीलिया अन्‍य किसी बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के कारण भी हो सकता है। जीवनशैली और खानपान की कुछ आदतें भी शरीर में पित्त के स्‍तर को बढ़ावा देते हैं। नतीजन, व्‍यक्‍ति को जॉन्डिस (jaundice) हो सकता है।

और पढ़ें : वयस्कों और बच्चों दोनों को ऐसे हो जाता है जॉन्डिस, जानिए पीलिया के लक्षण

लक्षण

आयुर्वेद में पीलिया के लक्षण क्या हैं?

कभी-कभी, व्यक्ति में पीलिया के लक्षण नहीं दिखते हैं लेकिन, जॉन्डिस होता है। यदि संक्रमण के कारण व्यक्ति पीलिया ग्रस्त है तो निम्न लक्षण दिख सकते हैं:

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • पेट में दर्द
  • फ्लू
  • त्वचा के रंग में बदलाव
  • गहरे रंग का यूरिन या मिट्टी के रंग का पूप

यदि पीलिया इंफेक्शन के कारण नहीं है, तो वजन घटना, खुजली वाली त्वचा (प्रुरिटस) जैसे लक्षण हो सकते हैं। यदि पीलिया अग्नाशय या पित्त पथ के कैंसर के कारण होता है, तो सबसे आम लक्षण पेट दर्द है। कभी-कभी, आपके पास लिवर डिजीज के साथ पीलिया हो सकता है।

और पढ़ें : पीलिया (Jaundice) में भूल कर भी न खाएं ये 6 चीजें

पीलिया के कारण क्या हैं?

कारण

  • लिवर की सूजन
  • पित्त के प्रवाह में रुकावट
  • लिवर कार्सिनोमा
  • बहुत ज्यादा एल्कोहॉल का सेवन
  • जन्म के समय शिशु के वजन मे कमी होना
  • निओनेटल पीलिया (Neonatal jaundice) आदि।

और पढ़ें : Fatty Liver : फैटी लिवर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज : थेरिपी

निदान परिवर्जन (पीलिया उत्‍पन्‍न करने वाले कारकों से बचना)

इस आयुर्वेदिक थेरिपी से बीमारी पैदा करने वाले कारकों को खत्म करके रोग से मुक्‍ति दिलाई जाती है। निदान परिवर्जन कई रोगों को बढ़ने और उसे दोबारा होने से रोकना शामिल है। पीलिया से बचाव के लिए गंदी जगहों पर खाने और पानी पीने से बचें और साफ-सफाई का पूरा ध्‍यान रखें।

विरेचन

विरेचन, आयुर्वेदिक थेरिपी में बॉडी में मौजूद ज्यादा पित्त को निकाला जाता है। इससे लिवर और जमे हुए पित्त की सफाई की जाती है।

और पढ़ें : Gallbladder Stones: पित्ताशय की पथरी क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स

कुटकी

कुटकी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल जॉन्डिस के इलाज में किया जाता है। पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए कुटकी को पाउडर के रूप में पानी या डॉक्‍टर के निर्देशानुसार ले सकते हैं।

भूम्‍यामलकी

जॉन्डिस जैसी कई लिवर डिजीज में भूम्‍यामलकी का सेवन किया जाता है। इसके इस्तेमाल से लिवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार होता है। भूम्‍यामलकी को चूरन या जूस के रूप में डॉक्‍टर के निर्देशानुसार लिया जाता है।

जंगली गाजर

आयुर्वेद में जंगली गाजर का इस्तेमाल ब्लड साफ करने और मानसिक संतुलन को बेहतर करने में किया जाता है। पिछले कई सालों से पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज करने में इसका उपयोग किया जाता रहा है। शमन चिकित्‍सा में वाइल्ड कैरट का इस्‍तेमाल किया जाता है। जंगली गाजर रक्‍त धातु में पित्त को कम करने और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है।

चिरायता

कालमेघ को चिरायता भी कहते हैं। चिरायता का इस्तेमाल तेज बुखार के उपचार में किया जाता है। इसके उपयोग से डाइजेशन सिस्टम भी बेहतर होता है। चूर्ण के रूप में उपलब्‍ध चिरायता को पानी के साथ लिया जा सकता है।

और पढ़ें : Obstructive Jaundice : ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस क्या है?

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज : दवा

आरोग्‍यवर्धिनी वटी

लिवर डिजीज के उपचार में इस्‍तेमाल होने वाली कई दवाओं के मिश्रण से इस दवा को तैयार किया गया है। सभी दोषों को संतुलित करने के लिए यह दवा जानी जाती है। दवा में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट और हेप्‍टो प्रोटेक्टिव गुण लिवर फंक्शन को बेहतर बनाते हैं।

पुनर्नवा मंडूर

पीलिया की इस आयुर्वेदिक दवा को दो से तीन सप्‍ताह तक लिया जा सकता है। यह पुनर्नवा मंडूर आयुर्वेदिक दवा खांसी और बुखार को कम करने के लिए जानी जाती है। पुनर्नवा के लाभ पाने के लिए इसका उपयोग सब्‍जी के रूप में भी किया जा सकता है।

फलत्रिकादि क्वाथ

आंवला, गिलोय, हरड़, नीम, विभीतकी और वसाका (अडूसा) जैसी कई लाभकारी जड़ी-बूटियों से बना यह काढ़ा पित्त को खत्‍म करने के लिए जाना जाता है। यह जॉन्डिस के साथ-साथ एनीमिया के उपचार में भी प्रभावकारी है। यह क्वाथ एंटी-ऑक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। उपचार के तौर पर फलत्रिकादि क्वाथ को दो से तीन हफ्ते तक ले सकते हैं।

और पढ़ें : जानें बच्चों में डेंगू (Dengue) बुखार के लक्षण और उपाय

पीलिया की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी है?

एक शोध में पाया गया कि गंभीर हेपेटाइटिस, पीलिया और ऑब्‍सट्रक्‍टिव पीलिया की बीमारी में चिरायता असरकारी साबित हुई। आरोग्‍यवर्धिनी वटी को हेप्‍टो प्रोटेक्टिव और एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर पाया गया। यह लिवर के लिए नेचुरल डिटॉक्सिफाइंग एजेंट के रूप में काम करती है और फैटी लिवर की हेल्थ के लिए यह दवा है।

और पढ़ें : लिवर साफ करने के उपाय: हल्दी से लहसुन तक ये नैचुरल चीजें लिवर की सफाई में कर सकती हैं मदद

आयुर्वेद के अनुसार पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज के दौरान जीवनशैली में बदलाव

क्या करें?

  •  गेहूं, आलू, परवल, हरीद्रा, जौ, आंवला, छाछ और अदरक को अपने आहार में शामिल करें।
  • फलों में अंजीर, सेब, अंगूर, आम, पपीता, अनार आदि का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
  • उबला और ठंडा पानी पीएं।
  • प्रॉपर रेस्ट करें।

क्या न करें?

  • तली-भुनी और ज्‍यादा तीखी चीजें खाने से बचें।
  • धूप में अधिक न बैठें।
  • सरसों का तेल, मटर, सुपारी, ज्यादा तेल और उड़द का सेवन न करें।
  • शराब का सेवन न करें।
  • दिन के समय न सोएं।
  • जरुरत से ज्यादा एक्सरसाइज न करें।

और पढ़ें : पीलिया के लक्षण वयस्कों में हो सकते हैं बच्चों से अलग, जानें

पीलिया के घरेलू उपाय

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज : टमाटर का रस

एक गिलास टमाटर के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लिया जाना चाहिए।

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज : मूली के पत्ते

मूली के कुछ पत्ते लें और इसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर रस प्रतिदिन पीने से लगभग दस दिनों में रोगी को रोग से छुटकारा मिल जाता है।

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज : पपीता के पत्ते

पीलिया में पपीता असरदार साबित होता है। पपीता के पत्तों के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे नियमित रूप से लगभग एक या दो सप्ताह तक खाएं। यह पीलिया के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू इलाज है।

और पढ़ें : बाधक पीलिया (Obstructive jaundice) क्या है?

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज : गन्ना

पीलिया में गन्ना लाभकारी होता है। यह लिवर फंक्शन को सुधारता है, जिससे रोगी को पीलिया से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। एक गिलास गन्ने का रस लें और इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए इस रस को रोजाना दो बार पियें।

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज : चुकंदर और नींबू का रस

एक कप चुकंदर का रस लें और उसमें नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावी परिणाम के लिए कुछ दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करें।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल सलाह और इलाज प्रदान नहीं करता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. पूजा दाफळ

· Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/08/2020

advertisement iconadvertisement

Was this article helpful?

advertisement iconadvertisement
advertisement iconadvertisement