के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
कॉलरबोन टूटना यानी कंधे की हड्डी जब टूटती है तो एक क्लिक जैसी आवाज आती है और बहुत तेज दर्द होता है। प्रभावित हिस्से को जब हिलाया जाता है तो दर्द और अधिक होता है। किसी की भी कॉलरबोन टूट सकती है चाहे वह बच्चा हो, टीनेज या व्यस्क। कॉलरबोन टूटने की वजह भी अलग-अलग होती है, लेकिन कुछ सामान्य वजहों में शामिल है- खेलना, गिरना, हड्डियों का कमजोर होना, जन्म के समय बच्चे पर अधिक दवाब आदि। कॉलरबोन टूटने पर क्या करना चाहिए जानिए इस लेख में।
कॉलरबोन टूटना एक सामान्य इंजरी है जो बच्चों, युवाओं और वयस्कों में हो सकती है। दरअसल, कॉलरबोन आपके ब्रेस्टबोन के ऊपरी हिस्से को कंधे के ब्लेड से जोड़ता है। कॉलरबोन किसी एक्सीडेंट, गिरने, खेलने के दौरान चोट लगने आदि से टूट सकती है। जन्म लेने के दौरान भी कई शिशुओं की कॉलरबोन टूट जाती है। कॉलरबोन टूटना को कॉलरबोन फ्रैक्चर और क्लैवकल फ्रैक्चर भी कहा जाता है।
कुछ लोगों के कॉलरबोन टूटना बिना किसी एक्सीडेंट या ट्रॉमा के ही टूट जाते हैं। इसकी वजह है आनुवांशिक हो सकती है। कुछ लोगों के बोन्स ऑस्टियोपोरोसिस या कैंसर जैसी बीमारी के कारण जन्म से ही कमजोर होते हैं जिसकी वजह से टूट जाते हैं।
कई बार पूरी तरह से स्वस्थ बच्चे की डिलिवरी के दौरान बच्चे का आकार बड़ा या ज्यादा वजन होने या पेल्विस के संकरा होने के वजह से भी बच्चे का कॉलरबोन टूट सकता है। डिलिवरी के दौरान टूटने वाली यह सबसे सामान्य हड्डी होती है। लेकिन इसका पता तुरंत चल जाता है जिससे बच्चे का इलाज करके ठीक कर दिया जाता है।
कॉलरबोन बचपन में टूटने वाली सबसे आम हड्डी है। यह आमतौर पर खेलने के दौरान कंधे के बल गिरने या खेल के दौरान कंधे को बहुत अधिक स्ट्रेच करने से हो सकता है। फुटबॉल या हॉकी जैसे गेम में कॉलरबोन को सीधे झटका लगने की वजह से भी फ्रैक्चर हो सकता है।
व्यस्कों में भी खेल के दौरान कॉलरबोन फ्रैक्चर हो सकता है। कई बार गिरने या किसी एक्सीडेंट की वजह से भी कॉलरबोन में फ्रैक्चर हो सकता है।
आपका कॉलरबोन 20 साल की उम्र तक पूरी तरह से सख्त नहीं होता है। बच्चों और किशोरों में कॉलरबोन के टूटने का जोखिम अधिक होता है। 20 साल की उम्र के बाद जोखिम कम हो जाता है, लेकिन फिर उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती है।
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अधिकांश मामलों में टूटी हुई कॉलरबोन टूटना बिना किसी समस्या के ठीक हो जाती है। कॉलरबोन टूटने पर होने वाली कॉम्पिलकेशन्स-
नर्व और ब्लड वेसल में इंजरी हो- टूटी हुई कॉलरबोन के नुकीले सिरे आसपास की नर्व्स और ब्लड वेसल को चोट पहुंचा सकते है। इसलिए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं यदि आपके हाथ या बांह सुन्न हो रहे हैं।
जल्दी ठीक न होना- कॉलरबोन को यदि गंभीर रूप से क्षति पहुंची है तो उसे ठीक होने में बहुत अधिक समय लग सकता है। हिलिंग के दौरान हड्डियों का ठीक तरह से एकसाथ न होने पर हड्डियां छोटी हो सकती हैं।
हड्डी में एक गांठ- हीलिंग प्रक्रिया के दौरान, जहां हड्डियां आपस में मिलती है वहां बोनी लंप (हड्डी का गांठ) बन जाता है। इसे आसानी से देखा जा सकता है, क्योंकि यह त्वचा के करीब होता है। कुछ गांठ समय के साथ गायब हो जाती हैं, जबकि कुछ स्थायी रूप से रहती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस- यदि फ्रैक्टर ऐसे जॉइंट में हुआ है जो कॉलरबोन को शोल्डर ब्लेड से या आपके ब्रेस्टबोन से जोड़ता है तो आगे चलकर आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
जब कॉलरबोन टूटती है तो आपको क्रैक की आवाज आ सकती है, इसके बादः
टूटे हुए कॉलरबोन का निदान करने के लिए आपका चिकित्सक फिजिकल चेक करता है और फिर इसकी पुष्टि के लिए एक्स रे किया जाता है।
यदि आपका या आपके बच्चे को कॉलरबोन फ्रैक्चर हुआ है तो यदि दर्द थोड़ी देर में कम नहीं होता तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि इलाज में देरी होने पर परेशानी बढ़ सकती है। खासतौर पर बच्चों के मामले में लापरवाही न बरतें। कई बार बच्चे खेलने की धुन में दर्द की अनदेखी कर देते हैं और हड्डी टूटन पर भी खेलते रहते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को अलर्ट रहने और बच्चे पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है, वरना आगे चलकर परेशानी बढ़ सकती है।
आमतौर पर टूटी कॉलरबोन अपने आप ठीक हो जाती है, बस आपको थोड़ा समय देने की जरूरत होती है।
जल्दी हीलिंग में मदद के लिएः
दुर्लभ मामलों में- खासतौर पर जब लिगामेंट्स क्षतिग्रस्त हो तो कॉलरबोन फ्रैक्चर होने पर सर्जरी करनी पड़ सकती है।
टूटी कॉलरोबन को ठीक होने में कितना समय लगता है?
कॉलरबोन को ठीक होने में 6 से 12 हफ्ते का समय लग सकता है। हालांकि हर किसी की रिकवरी स्पीड अलग-अलग होती है। आप पहले की तरह शारीरिक गतिविधि कर सकते है जबः
याद रखिए शारीरिक गतिविधि शुरू करने में जल्दबाजी न करें। यदि आप कॉलरबोन के ठीक होने से पहले ही शारीरिक गतिविधि शुरू कर देते हैं, तो इसके दोबारा टूटने का खतरा रहता है।
कॉलरबोन फ्रैक्चर से बचाव मुश्किल है, क्योंकि यह आमतौर पर दुर्घटनावश ही होते हैं। यहां तक की अच्छी ट्रेनिंग लिया हुआ एथलीट और खिलाड़ी भी इसका शिकार हो सकते हैं। बावजूद इसके एक्सरसाइज के दौरान थोड़ी सी सावधानी बरतकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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