के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
खसरा या रुबेला रेस्पिरेटरी सिस्टम संबंधित एक वायरल इंफेक्शन (Viral infection) है। यह एक संक्रामक बीमारी है। खसरा संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ाें (Lungs) के बलगम और लार के संपर्क में आने पर यह फैल जाता है। खसरा से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने के कारण यह संक्रमण (Infection) हवा में जल्दी फैल जाता है और दूसरे व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है।
खसरा का वायरस वातावरण में कई घंटों तक जीवित रह सकता है। संक्रमित पदार्थ के हवा में प्रवेश करने या सतह पर गिरने पर यह किसी भी नजदीकी व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के जूठे ग्लास से पानी पीने या संक्रमित व्यक्ति की जूठी चीजें खाने से खसरे के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। खसरा एक महामारी है। इसका मतलब यह हुआ कि यह समाज में लगातार मौजूद रहती है और कई लोग इसके प्रति रोग रोधी क्षमता विकसित कर लेते हैं। यह एक असहज स्थिति है, लेकिन बिना इलाज के सात से 10 दिनों के भीतर ठीक हो जाती है।
खसरे का मुकाबला करने के बाद एक व्यक्ति अपने बचे हुए जीवन के लिए इम्यूनिटी विकसित कर लेता है। दूसरी बार उन्हें खसरा होने की संभवाना बेहद ही कम होती है। खसरा एक मानवीय बीमारी है। अभी तक यह पशुओं में नहीं पाई गई है।
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खसरा बेहद ही संक्रामक है। 2018 में खसरा से 1,40,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर पांच वर्ष की आयु के बच्चे थे। यह मौतें इसके सुरक्षित और प्रभावी इलाज के उपलब्ध होने के बावजूद हुई थीं।
पेरामायक्सोवायरस (Paramyxovirus) प्रजाति से आने वाले वायरस से खसरा फैलता है। आमतौर पर सीधे संपर्क में आने और हवा के जरिए फैलता है। यह वायरस रेस्पिरेटरी ट्रैक को संक्रमित करता है इसके बाद पूरे शरीर में फैल जाता है।
खसरा से होने वाली मौंतों को कम करने में वैक्सीनेशन ने एक अहम भूमिका निभाई है। 2000-2008 के बीच खसरा के वैक्सीन ने करीब 2.32 करोड़ लोगों की मौत होने से रोका है। खसरा से होने वाली मौतों के वैश्विक आंकड़े में 73% तक कमी आई है। वर्ष 2000 में खसरा से 5,36,000 लोगों की मौत हुई थी, तो वहीं 2018 में इससे 1,42,000 लोगों की जान गई।
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आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 14 दिन के भीतर खसरा होता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हैं:
बड़े पैमाने पर त्वचा पर चकते पड़ना खसरा एक क्लासिकल लक्षण है। इस प्रकार के चकते सात दिनों तक रह सकते हैं। वायरस के संपर्क में आने के पहले तीन से पांच दिनों के भीतर सामने आते हैं।
खसरा में चकत्ते लाल, फूले हुए, जिनमें खुजली होती है, आमतौर पर सिर पर विकसित होते हैं। इसके बाद यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं।
उपरोक्त लक्षणों के अलावा खसरे के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप खसरा के लक्षणों को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
यदि आपको उपरोक्त लक्षणों या संकेतों का अनुभव होता है या आपको कोई सवाल है तो अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, किसी भी समस्या में हर व्यक्ति की बॉडी अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। अपनी स्थिति की बेहतर जानकारी के लिए हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना उचित रहता है।
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खसरा पेरामायक्सोवायरस (Paramyxovirus) प्रजाति से आने वाले वायरस के संक्रमण से फैलता है। वायरस छोटे परिजीव रोगाणु होते हैं। एक बार संक्रमित होने पर यह होस्ट या मेजबान कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देता है और अपने जीवन काल को पूर्ण करने के लिए सेल्युलर कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करता है।
खसरा का वायरस सबसे पहले रेस्पिरेटरी ट्रैक को संक्रमित करता है। हालांकि अक्सर यह ब्लडस्ट्रीम के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच जाता है। जैसा कि पहले ही बता दिया गया है कि खसरा बेहद ही संक्रामक होता है। यह बच्चों और युवाओं की नाक और गले में अपनी एक प्रतिकृति बना लेता है। जब खसरे से पीढ़ित कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो संक्रमित छोटी बूंदे हवा में फैल जाती है, जिन्हें लोग सांस के जरिए सूंघ लेते हैं।
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इसके अतिरिक्त, खसरा का निम्नलिखित कारण हो सकता है:
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प्राथमिक रूप से वैक्सीनेशन न कराने वाले बच्चों में खसरा होता है। कुछ माता पिता इस डर से अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं कराते हैं कि इसका उनके बच्चे पर गलत प्रभाव पड़ेगा। खसरे का वैक्सीन लेने वाले ज्यादातर बच्चों में इसके साइड इफेक्ट्स नजर नहीं आते हैं। शरीर में विटामिन ए की कमी खसरे के जोखिम को बढ़ाती है। डायट में कम मात्रा में विटामिन-ए (Vitamin A) लेने वाले बच्चों में वायरस के संपर्क में आने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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त्वचा के चकत्तों की जांच और इस बीमारी की विशेषता वाले लक्षणों की जांच करने के बाद डॉक्टर खसरा की पुष्टि कर सकता है। इन लक्षणों में मुंह में सफेद धब्बे, बुखार, खांसी और गले में खराश हो सकती है।
यदि वह अवलोकन के आधार पर इस बीमारी की पुष्टि नहीं कर पाते हैं तो डॉक्टर खसरे के वायरस का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करा सकता है।
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खसरा के इलाज के लिए कोई भी प्रिस्क्रिप्शन दवा उलब्ध नहीं है। दो से तीन हफ्तों के बीच वायरस और इसके लक्षण चले जाते हैं। हालांकि, आपका डॉक्टर निम्नलिखित दवाओं की सलाह दे सकता है:
निम्नलिखित घरेलू उपाय आपको खसरा में राहत प्रदान करने में मदद करेंगे:
खसरा की बीमारी के दौरान ट्रीटमेंट के साथ ही कुछ घरेलू उपचार करना भी बहुत जरूरी है। अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको इस बीमारी के दौरान राहत मिल सकती है। यहां हम आपको कुछ बातें बताएंगे, उन्हें ध्यान से पढ़ें।
उपरोक्त दिए गए घरेलू उपाय को अपनाकर खसरा यानी मीजल्स रोग के दौरान पीड़ित व्यक्ति को राहत मिल सकती है। अगर इलाज के दौरान भी आपको राहत नहीं मिल रही है तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। साथ ही डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी प्रकार की दवा का सेवन न करें।इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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