के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
वायरल फीवर यानी वायरस बुखार या वायरल इंफेक्शन (Viral infection)। यह बिल्कुल बुखार के जैसा ही होता है। हालांकि, इसके शुरूआती दौरान में शारीरिक रुप से बहुत ज्यादा थकान महसूस करना, मांसपेशियों या बदन में गंभीर दर्द होने की समस्या हो सकती है। वायरल फीवर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम (Immune system) काफी कमजोर रहता है। वायरल फीवर आमतौर पर हवा में फैलने वाले वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। इसे हम कह सकते हैं कि वायरल फीवर (Viral fever) एयरबॉर्न होता है। लेकिन, इसके अलावा इसका कारण दूषित पानी के फैलने के कारण भी हो सकता है जिसे हम वाटरबॉर्न संक्रमण (Waterborne infection) कहते हैं। इसके अलावा, वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण के शुरूआती लक्षण भी एक जैसे हो सकते हैं, जिस वजह से इनके बीच के अंतर को स्पष्ट करना मुश्किल हो सकता है।
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वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण में अंतर समझने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
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अगर शरीर का तापमान 99 ° F से 103 ° F (39 ° C) तक है या इससे अधिक है, तो यह वायरल बुखार के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा इसके निम्न लक्षण भी हो सकते हैं, जैसेः
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सामान्य तौर पर, ये लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो सकते हैं। लेकिन, अगर अगर ऊपर बताए गए निम्न में से कोई भी लक्षण एक हफ्ते से अधिक समय तक के लिए बने रहते हैं या स्वास्थ्य स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको जल्द ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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दरअसल, हमारे शरीर के अंदर ऐसे कई वायरस होते हैं, जो शरीर में बाहर से प्रवेश करने वाले संक्रमणों से लड़ते हैं और शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन, कमजोर इम्यूनिटी (Weak immunity) के कारण ये शरीर के ये गुड वायरस की संख्या कम हो सकती है, जो बाहरी संक्रमण से शरीर की सुरक्षा करने में असमर्थ हो सकते हैं। इसके अलावा, बुखार (Fever) या वायरस बुखार होने पर अचानक या धीरे-धीरे हमारे शरीर का तापमान अधिक हो जाता है। जिसका मतलब होता है कि हमारे शरीर के वायरस शरीर में प्रवेश करने वाले बाहरी वायरस से लड़ रहे होते हैं। ये बाहरी वायरस (Virus) किसी भी स्वस्थ्य शरीर के अंदर तेजी से फैल सकते हैं।
वायरल फीवर के ऐसे कई मुख्य कारण हो सकते हैं जिससे हमारा शरीर संक्रमित हो सकता है। जिसमें शामिल हो सकते हैंः
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वायरल फीवर के बारे में पता लगाने के लिए सिर्फ व्यक्ति के लक्षणों पर भरोसा करना मुश्किल हो सकता है। कुछ स्थितियों में इसके लक्षणों की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test), सीबीसी टेस्ट (Complete Blood Test) या चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) करवाने की सलाह दे सकते हैं। ब्लड टेस्ट से जहां शरीर में निम्न तत्वों की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है, वहीं सीबीसी शरीर में पनपन रहे किसी तरह के संक्रमण की जानकारी दे सकता है। जिनसे आपके डॉक्टर निम्न स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगा सकते हैं, जैसेः
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वायरल फीवर की रोकथाम करने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसेः
लेकिन अगर आपका वायरल बुखार तीन से चार दिनों के बाद भी है या आपको सांस लेने में अधिक परेशानी हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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आमतौर पर वायरल फीवर का उपचार घरेलू देखभाल के जरिए ही ठीक हो सकता है। कुछ मामलों में आप अपने डॉक्टर की सलाह पर मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली एंटीवायरल दवाओं जैसे, एसिटामिनोफेन (Acetaminophen), ओसेल्टामिविर फॉस्फेट (टैमीफ्लू) या आइबूप्रोफेन का भी सेवन कर सकते हैं। इन दवाओं के लिए आपको डॉक्टर की पर्ची की आवश्कता नहीं हो सकती है, लेकिन सेहत के नजरिए से आपको अपने डॉक्टर की उचित सलाह लेनी चाहिए।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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