परिचय
स्लिप डिस्क (Slip Disk) क्या है?
हमारे शरीर के रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डियों जिन्हें कशेरुका (Vertebrae) कहा जाता है, को सहारा देने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार दो डिस्क होती हैं जो रीढ़ की हड्डी को किसी के झटकों से चोट लगने से बचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा इन्हीं डिस्क की मदद से हमारी रीढ़ की हड्डी लचीला बनी रहती है। लेकिन, अगर किसी कारण या चोट से कोई एक या दोनों डिस्क खराब हो जाएं, इनमें सूजन या टूटने के कारण ये खुल सकते हैं जिसे ही स्लिप डिस्क कहा जाता है। एक बात का ध्यान रखें स्लिप डिस्क (Slip Disk) इसका नाम होने की वजह से इसका यह मतलब नहीं रीढ़ की हड्डियों ये डिस्क अपनी जगह से खिसक जाते हैं। बल्कि, इसका यह मतलब होता है कि ये डिस्क अपनी सामान्य सीमाओं से आगे बढ़ जाते हैं या फूल जाते हैं या इन डिस्क की बाहरी दीवार में किसी तरह की दरार या छेद हो जाती है जिससे इसमें मौजूद द्रव जिसे न्यूक्लियस पल्पोसस (Nucleus Pulposus) कहते हैं, का रिसाव होने लगता है। जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी या उसके नजदीकी तंत्रिका पर हो सकता है। इसके कारण एक हाथ या पैर में कमजोरी आ सकती है। या यह स्थिति दोनों ही हाथों पैरों को प्रभावित कर सकती है।
रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में स्लिप डिस्क हो सकती है लेकिन इसकी सबसे अधिक समस्या पीठ के निचले हिस्से को ही प्रभावित करती है। इसकी समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र खासकर 35 से 50 साल के बीच की उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल के कारण इसकी समस्या छोटे उम्र के लोगों में भी देखी जा सकती है। इसके अलावा स्लिप डिस्क की समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों को होने का जोखिम लगभग दोगुना हो सकता है। साथ ही, ओवरवेट की समस्या भी इसके जोखिम को कई गुना बड़ा सकती है। क्योंकि शरीर का अधिक वजन शरीर के निचले हिस्से में डिस्क पर अधिक प्रेशर का कारण बन सकता है।
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स्लिप डिस्क के प्रकार (Types of Slip Disk)
स्लिप डिस्क के मुख्य तीन प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
सर्वाइकल डिस्क स्लिप (Cervical disc slip)
सर्वाइकल डिस्क स्लिप की समस्या गर्दन में होती है। जिसके कारण सिर के पिछले हिस्से, गर्दन, कंधे की हड्डी, बांह और हाथ में दर्द हो सकता है।
थोरैसिक डिस्क स्लिप (Thoracic disc slip)
थोरैसिक डिस्क स्लिप की समस्या रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग में होता है। जिसके कारण पीठ के बीच में और कंधे में दर्द हो सकता है और कभी-कभी गर्दन, हाथ, उंगलियों, पैरों, कूल्हे और पैर के पंजों में भी दर्द की समस्या हो सकती है। हालांकि, इसके होने की संभावनाएं बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है।
लंबर डिस्क स्लिप (Lumbar disc slip)
लंबर डिस्क स्लिप की समस्या रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है। जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, जांघ, जननांग क्षेत्रों, पैर और पैर की उंगुलियों में दर्द की समस्या हो सकती है।
स्लिप डिस्क के स्टेज (चरण)
स्लिप डिस्क के मुख्य तीन चरण होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- पहला स्टेजः उम्र बढ़ती उम्र के कारण डिस्क में डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है जिससे उसका लचीलापन कम हो जाता है और यह कमजोर हो सकती है।
- दूसरा स्टेजः बढ़ती उम्र के कारण डिस्क की रेशेदार परतों में दरारें आने लगती हैं जिससे उसके अंदर का द्रव बाहर आने लग सकता है।
- तीसरा स्टेजः इस स्टेज में आने पर न्यूक्लिअस का एक भाग टूट सकता है।
- चौथा स्टेजः आखिरी चरण में, डिस्क के अंदर का द्रव न्यूक्लियस पल्पोसस डिस्ट से बाहर आने लगता है और रीढ़ की हड्डी में उसका रिसाव होने लगता है।
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लक्षण
स्लिप डिस्क के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Slip Disk)
स्लिप डिस्क के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
- शरीर के एक या दोनों तरफ के हिस्से में दर्द होना
- शरीर के एक या दोनों हिस्सों में कमजोरी आना
- एक हाथ या पैर या दोनों में दर्द होना
- खड़े होने या बैठने के बाद अधिक दर्द होना
- चलने फिरने पर शरीर के निचले हिस्से में दर्द होना
- प्रभावित अंग में झुनझुनी होना या जलन होना
- मांसपेशियों का कमजोर होना
हर व्यक्ति में इसके दर्द के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। अगर आपको इसके लक्षणों पर किसी तरह का संदेह है, तो कृपया अपने डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें।
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कारण
स्लिप डिस्क के क्या कारण हो सकते हैं? (Cause of Slip Disk)
स्लिप डिस्क के निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी भी कमजोर होने लगती है, जिससे इन डिस्क पर प्रेशर बढ़ सकता है। इसके साथ ही, बढ़ती उम्र के कारण डिस्क की हड्डियां भी प्रभावित होती है, जिससे इनके टूटने, आकार में परिवर्तन होने और इनमें दरारें आना का खतरा भी अधिक बढ़ सकता है।
डिस्क का चोटिल होना
गिरने, धक्का लगने, बहुत वजनदार वस्तु उठाने, किसी तरह की एक्सरसाइज करने या अचानक से कोई शारीरिक गतिविधि करने से डिस्क पर अधिक दबाव पड़ सकता है जिससे स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है।
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निदान
स्लिप डिस्क के बारे में पता कैसे लगाएं?
स्लिप डिस्क की समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे अपने आपसे आपके लक्षणों और स्वास्थ्य स्थितियों की जानकारी ले सकते हैं। जिसके आधार पर वो आपको निम्न टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
फिजिकल टेस्ट
फिजिकल टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपके सामान्य चलने-फिरने, दौड़ने, शारीरिक गतिविधियों के दौरान आपकी शारीरिक स्थिति का आंकलन कर सकते हैं।
एक्स-रे
आपके दर्द का कारण कोई चोट है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए डॉक्टर एक्स-रे की सलाह दे सकते हैं।
सीटी स्कैन
सीटी स्कैन के जरिए इसकी जांच की जा सकती है कि क्या आपके डिस्ट में किसी तरह की कोई चोट लगी है या नहीं या उसके आकार या दिशा में कोई परिवर्तन आया है या नहीं।
एमआरआई टेस्ट
एमआरआई टेस्ट की मदद से आपके डिस्क की जगह में कोई परिवर्तन आया है या नहीं और यह तंत्रिका तंत्र को किस तरह प्रभावित कर रही है, इसकी जांच की जा सकती है।
मायलोग्राम (Myelogram)
मायलोग्राम (Myelogram) टेस्ट के दौरान रीढ़ की हड्डी में एक तरह का डाई इंजेक्ट किया जाता है जो तरल पदार्थ के रूप में होता है। जिसके बाद रीढ़ की हड्डी का एक्स-रे किया जाता है। इससे इसकी जांच की जा सकती है कि रीढ़ की हड्डी या नसों पर किस तरह का दबाव पड़ रहा है।
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रोकथाम और नियंत्रण
स्लिप डिस्क को कैसे रोका जा सकता है?
स्लिप डिस्क की समस्या की रोकथाम करने और इसके जोखिम को कम करने के लिए आप निम्न बातों पर ध्यान दें सकते हैंः
- बढ़ते वजन को कंट्रोल करें, ताकि पीठ के निचले हिस्से पर दबाव कम पड़े
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- अगर स्मोकिंग की आदत है, तो उससे छुटकारा पाने के विकल्पों पर विचार करें
- बहुत ज्यादा भारी वस्तु उठाने से बचें
- अचानक से झुके नहीं
- बैठने और खड़े होने के लिए सही पुजिशन अपनाएं
- अगर बहुत देर तक कुर्सी पर बैठने की जरूरत है, तो अपनी पीठ के पीछे और कुर्सी के सीट के तकिए या किसी गद्देदार वस्तु का इस्तेमाल करें।
- सोते समय पीठ को सही स्थिति में रखें।
- अगर एक तरफ करवट लेकर सोने की आदत है, तो सोते समय घुटनों के बीच में एक तकिया रखें।
- सोने के लिए सही गद्दे और बिस्तर का चुनाव करें।
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स्लिप डिस्क की समस्या से बचाव करने के लिए क्या खाना चाहिए?
स्लिप डिस्क की समस्या के जोखिम को कम करने के लिए निम्न आहार को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैंः
- विटामिन सी
- विटामिन डी
- विटामिन ई
- ग्लूकोसामाइन
- कोनड्रोइटिन
- कैल्शियम
- हरी सब्जियां
- मौसमी फल
- लीन प्रोटीन
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उपचार
स्लिप डिस्क का उपचार कैसे किया जाता है?
स्लिप डिस्क का उपचार करने के लिए आप निम्न तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैंः
उचित एक्सरसाइज करना
आप अपने चिकित्सक की सलाह पर स्लिप डिस्क के दर्द को कम करने, पीठ और आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए उचित एक्सरसाइज कर सकते हैं।
दर्द निवारक दवाओं का सेवन
अपने डॉक्टर की सलाह पर मेडिकल स्टोर पर मिलने वाले दर्द निवारक दवाओं का भी सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, आपके डॉक्टर निम्न दवाओं की भी सलाह दे सकते हैंः- जैसेः
- गाबापेन्टिन (Gabapentin)
- ड्युलोकसेटाईन (Duloxetine)
सर्जरी
अगर इन तरीकों और उपचार की विधियों के बाद भी आपकी समस्या बनी रहती है, तो आपके डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं। जिसके लिए वे माइक्रोडिसकेक्टमी (Microdiskectomy) सर्जरी की प्रक्रिया कर सकते हैं। इस सर्जरी में सर्जन सिर्फ डिस्क के खराब हुए हिस्से को निकाल देते हैं या एक कृत्रिम डिस्क लगा सकते हैं।
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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