के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ट्रेचर कॉलिंस सिंड्रोम (Treacher Collins syndrome) एक दुर्लभ चिकित्सक स्थिति है, जो बच्चे के जन्म से पहले उसके हड्डियों के विकास और चेहरे के अन्य उत्तकों को प्रभावित करती है। इसके कारण बच्चे के सिर, चेहरे और कानों में असामान्यताएं हो सकती हैं।
इस सिंड्रोम को मंडिबुलोफेशियल डिस्टोस्टोसिस (Mandibulofacial Dysostosis), ट्रेचर कोलिन्स-फ्रांसेचेती सिंड्रोम (Treacher Collins-Franceschetti Syndrome), फ्रांसेचेती-ज़्वहलेन-क्लेन सिंड्रोम (Franceschetti-Zwahlen-Klein Syndrome) और जायगौरोमैंडिबुलर डिसप्लेसिया (Zygo Auto Mandibular Dysplasia) के नामों से भी जाना जाता है।
TCS जन्म लेने वाले प्रति 50,000 शिशुओं में से किसी एक को प्रभावित करती है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से पारमर्श करें।
और पढ़ेंः भ्रूण के विकास में मदद करता है ईस्ट्रोजेन, जानें गर्भावस्था के प्रमुख हाॅर्मोन्स
ट्रेचर कॉलिंस सिंड्रोम के संकेतों और लक्षणों में शिशु के शरीर के कुछ हिस्से असामान्य या अपूर्ण रूप से विकसित हो सकते हैं। इन शरीर क्षेत्रों में शामिल हैं:
चेहरे की हड्डियों के असामान्य विकास और कानों के अधूरे या असामान्य विकास के कारण बच्चा बहरा भी हो सकता है।
TCS के कारण बच्चे देरी से बोलना शुरू कर सकते हैं।
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
और पढ़ेंः 18 महीने की उम्र में भी मेरी बच्ची ने एक शब्द नहीं बोला है, मुझे क्या करना चाहिए ?
TCS तीन जीन (Gene) में से एक में उत्परिवर्तन होने के कारण हो सकता है:
TCOF1 जीन में उत्परिवर्तन होने के कारण 90-95 फीसदी लोगों में TCS का कारण बनता है। वहीं, लगभग 8% लोगों को POLR1C या POLR1D जीन में उत्परिवर्तन होने के कारण ट्रेचर कॉलिंस सिंड्रोम होता है।
ये सभी जीन चेहरे की हड्डियों और ऊतकों के प्रारंभिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब वे उत्परिवर्तित होते हैं, तो कुछ कोशिकाएं हड्डियों और ऊतकों के विकास को प्रभावित कर देती हैं।
इसके अलावा कुछ ऐसे भी अज्ञान जीन हैं, जिसके कारण TCS का विकास हो सकता है।
लगभग 40 फीसदी लोगों में से किसी एक हो ही अपने माता-पिता के कारण TCS विरासत में मिलती है। हालांकि, ऐसे मामलें बहुत ही दुर्लभ होते हैं।
जबकि, 60 फीसदी लोग एक नए उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप TCS का विकास होता है।
अगर किसी परिवार में उत्परिवर्तन का इतिहास है, तो जन्म लेने वाले बच्चे में टीसीएस (TCH in children) होने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
यह भी पढ़ेंः गर्भ में जुड़वां बच्चों में से एक की मौत हो जाए तो क्या होता है दूसरे के साथ?
[mc4wp_form id=’183492″]
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
TCS का निदान (Diagnosis of TCS) निम्नलिखित के आधार पर किया जाता है:
रेडियोग्राफिक परीक्षा में विभिन्न प्रकार के एक्स-रे या कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन किए जा सकते हैं। ताकि, पता लगाया जा सके कि चीकबोन्स और जॉबोन का असामान्य रूप से अपूर्ण विकास हुआ है या नहीं।
सिर, गर्दन और कान की शारीरिक रचना का विश्लेषण करने के लिए क्रैनियोफेशियल सीटी स्कैन (CT Scan) किया जा सकता है। अगर जन्म के पहले 6 महीनों के दौरान बच्चे को सुनाई देना बंद हो गया है, तो इस स्कैन का उपयोग कर सकते हैं।
दांतों की असामान्यताओं को देखने के लिए दांतों की एक परीक्षा की जा सकती है, यह टेस्ट तभी किया जा सकेगा जब बच्चे के पहला दांत दिखाई देगा।
जेनेटिक टेस्ट का उद्देश्य उन तीन जीन में उत्परिवर्तन का पता लगाना है जिनकी वजह से TCS की समस्या हुई है। अधिकांश समय, आनुवंशिक परीक्षण टीसीएस के निदान के लिए (Diagnosis of TCS) आवश्यक नहीं होते हैं, क्योंकि डॉक्टर किसी व्यक्ति के लक्षणों को देखकर आसानी से इसका निदान कर सकते हैं। हालांकि, व्यक्ति के फैमिली प्लानिंग (Family planning) के लिए जेनेटिक टेस्टिंग मददगार हो सकता है।
प्रारंभिक निदान करने के बाद, टीसीएस की गंभीरता को निर्धारित करने के लिए अन्य परीक्षण भी किए जा सकते हैं। जिनमें शामिल हो सकते हैंः
ट्रेचर कॉलिंस सिंड्रोम का उपचार इसके लक्षणों पर निर्भर करता है। इसका इलाज करने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ, प्लास्टिक सर्जन, कान, नाक और गले के विशेषज्ञ (ENT), दंत चिकित्सक, नेत्र रोग विशेषज्ञ और ऑडियोलॉजिस्ट (Osteologist) शामिल हो सकते हैं।
इसका इलाज जन्म के समय शुरू होता है। टीसीएस (Treacher Collins syndrome) से पीड़ित नवजात शिशुओं को सांस लेने में परेशानी हो सकती है क्योंकि उनके वायुमार्ग बहुत पतले होते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे को पेट के बल लेटाना चाहिए, ताकि उसे सांस लेने में आसानी हो। सांस लेने की गंभीर समस्याओं (Breathing problem) के लिए, बच्चे के विंडपाइप (ट्रेकोस्टॉमी) में एक ट्यूब डाली जाती है। इसके अलावा, कुछ शिशुओं को दूध पिलाने में समस्या होती है, ऐसे में बच्चे की नाक के माध्यम से पेट में ट्यूब डाला जाता है, जिससे बच्चे को फीडिंग (Feeding) कराई जाती है।
सांस लेने की समस्या और खाने की समस्या का इलाज करने के बाद, बच्चे के बड़े होने पर बच्चे के चेहरे की सर्जरी की जाती है। यह कई सालों तक चलती रहती है। चेहरे और जबड़े की सर्जरी के बच्चे को जरूरत के अनुसार स्पीच थेरेपी (Speech therapy) भी दी जा सकती है।
TCS के कारण बच्चे के आंखों में हुई समस्या को दूर करने के लिए नियमित तौर इसकी जांच करवानी जरूरी होती है।
और पढ़ेंः Cosmetic surgery : जानिए क्या है कॉस्मेटिक सर्जरी
निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव लाने और घरेलू उपायों से आप ट्रेचर कॉलिंस सिंड्रोम के खतरे को कम कर सकते हैंः
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।