परिचय
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) क्या है?
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन को जानने से पहले आपको कोरोनरी आर्टरी के बारे में जान लेना चाहिए। कोरोनरी आर्टरी डिजीज एक ऐसी बीमारी है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण मरीज की मौत भी हो जाती है। इस बीमारी में दिल की दीवारों में प्लाक्स बन जाते हैं, जिससे खून की नसों में फैट, कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम जमा हो जाता है। हार्ट स्कैन कर के प्लाक्स में कैल्शियम की मात्रा का पता लगाया जाता है। यूं तो कोरोनरी आर्टरी का काम दिल तक खून पहुंचाना है। सामान्यतः कोरोनरी आर्टरी में कैल्शियम नहीं होता है। कोरोनरी आर्टरी में कैल्शियम होने का मतलब ये होता है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) हो गई है।
अब बात करते हैं कोरोनरी कैल्शियम स्कैन की। कोरोनरी कैल्शियम स्कैन एक प्रकार का विशेष एक्स-रे होता है, जिसे सीटी स्कैन भी कहते हैं। इस टेस्ट के द्वारा दिल और नसों में कैल्शियम का पता लगाया जाता है। दिल की बीमारी के शुरुआती समय में पता लगाने के लिए ये टेस्ट बहुत मददगार साबित होता है। कोरोनरी कैल्शियम स्कैन को कार्डियक कैल्शियम स्कोरिंग भी कहा जाता है। इस टेस्ट में सीटी स्कैन के द्वारा दिल में कैल्शियम या प्लाक्स की तस्वीरें निकाली जाती है।
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) क्यों किया जाता है?
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन यानी कि हार्ट स्कैन हार्ट अटैक के रिस्क को जानने के लिए किया जाता है। इसका मतलब ये है कि इस स्कैन से 10 सालों के अंदर आ सकने वाले हार्ट अटैक के बारे में पता लगाया जा सकता है। जिससे हार्ट अटैक आने के रिस्क को कम किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके परिवार में किसी को हार्ट अटैक आया हो या आप स्मोकिंग या एल्कोहॉल का सेवन करते हैं तो आप हार्ट अटैक के रिस्क कैटेगरी में आते हैं। अगर आपकी उम्र 55 से 65 के बीच में है और ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल है तो कोरोनरी कैल्शियम स्कैन से आपके हार्ट अटैक रिस्क का पता लगाया जा सकता है। अगर आपके खून के नसों में कैल्शियम प्लाक्स पता चलते हैं तो आप समय रहते अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर के हार्ट अटैक रिस्क को कम कर सकते हैं।
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जानिए जरूरी बातें
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
हार्ट स्कैन कराना हमेशा से विवाद का विषय रहा है। हार्ट स्कैन तब लाभदायक नहीं होता है, जब आप लो या हाई रिस्क हार्ट अटैक की कैटगरी में आते हैं।
- लो हार्ट अटैक रिस्क : अगर आपकी उम्र 55 साल से कम है तो आप लो रिस्क कैटेगरी में हैं। हार्ट स्कैन से मात्र दस प्रतिशत ही रिस्क का पता लगाया जा सकता है। इसलिए कोरोनरी कैल्शियम स्कैन टेस्ट ऐसे लोगों के लिए नहीं है।
- हाई हार्ट अटैक रिस्क : इस स्थिति में लगभग 20 प्रतिशत रिस्क का पता लगाया जा सकता है हार्ट स्कैन के द्वारा। ये ज्यादातक 65 साल के ऊपर के लोगों में देखने को मिलता है।
इसके अलावा आप तब भी हार्ट स्कैन नहीं करा सकते हैं, जब आपको पहले हार्ट अटैक हो चुका हो या आपकी हार्ट सर्जरी हुई हो।
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प्रक्रिया
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
आपको टेस्ट कराने से पहले किसी भी तरह के विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। लेकिन, फिर भी डॉक्टर से एक बार पूछ लें कि आपको खाना-पीना या स्मोकिंग टेस्ट से पहले कब बंद करना चाहिए। अगर आप गर्भवती हैं तो टेस्ट से पहले बता दें, क्योंकि ये टेस्ट गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं है।
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कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन रेडियोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट करते हैं। इस टेस्ट को करने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। टेस्ट के दौरान टेक्नोलॉजिस्ट के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। इसके बाद आपके सीने पर छोटे मेटल के बने डिस्क चिपकाए जाएंगे। फिर उन डिस्क से जुड़े तारों को ईकेजी कैमरे से जोड़ा जाएगा। जो आपके दिल की इलेक्ट्रिकल गतिविधियों को पेपर पर देगा। जब आपका दिल रेस्टिंग स्टेज में होता है। इस स्टेज में ही सीटी स्कैन करना सही होता है। वहीं, अगर आपकी हार्ट रेट 90 बीट प्रति मिनट है तो दिल की धड़कनों को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
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टेस्ट के दौरान आपको सीटी स्कैन के टेबल पर लेटाया जाता है। सीटी स्कैन डोनट के आकार की एक मशीन होती है। इसके बाद टेबल के साइड में लगी गोलाकार मशीन आपके पूरे शरीर पर घूमेगी और कुछ ही सेकेंड में शरीर के हिस्से की तस्वीरें हल्की आवाज के साथ निकालने लगता है। जब आपके सीने के हिस्से को स्कैन किया जाएगा तो आपको 20 से 30 सेकेंड के लिए अपनी सांसें रोकने के लिए कहा जाएगा। इस पूरे टेस्ट के दौरान आप सीटी स्कैन रूम में अकेले रहेंगे। लेकिन रेडियोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट आपको एक खिड़की के द्वारा देखते रहेंगे। इस दौरान आप अपने रेडियोलॉजिस्ट से इंटरकॉम के जरिए बातचीत कर सकते हैं।
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) के बाद क्या होता है?
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन के तुरंत बाद आपको रिजल्ट मिल जाएगा। आप रिजल्ट के साथ अपने डॉक्टर से तुरंत मिल सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें।
रिजल्ट को समझें
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Calcium Scan) के रिजल्ट का क्या मतलब है?
टेस्ट के तुरंत बाद रिपोर्ट मिल जाएगी। आप डॉक्टर के पास जा कर रिजल्ट को समझ सकते हैं। अगर रिजल्ट में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम आई है तो ये दवाओं से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा आप स्मोकिंग छोड़कर भी कैल्शियम को खत्म कर सकते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ अगर बात की जाए कोरोनरी आर्टरी की तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको हार्ट अटैक हो ही। अगर ऐसा है तो डॉक्टर एंजियोग्राफी करा कर भी परेशानी को समझ सकते हैं।
अब बात करते हैं आपके कैल्शियम स्कोर के बारे में। कैल्शियम स्कोर का रेंज 0 से 400 तक होता है। अगर रिपोर्ट में रेंज 100 आई है तो इसका यही मतलब है कि आपको हार्ट संबंधित बीमारी है। वहीं, कैल्शियम स्कोर जितना ज्यादा रहेगा हार्ट अटैक का चांस उतना ज्यादा होगा। जिन लोगों का कैल्शियम स्कोर 0 होता है उनकी तुलना में 100 से 400 या उससे ज्यादा और जिन्हें दिल की बीमारी है, उनमें अगले 3 से 5 साल के अंदर हार्ट अटैक आ जोखिम ज्यादा होता है।
वहीं, बता दें कि कोरोनरी कैल्शियम स्कैन की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आपको विशेषज्ञ से जानकारी लेनी चाहिए। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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