परिचय
गैस्ट्रोस्कोपी क्या है?
गैस्ट्रोस्कोपी पेट से संबंधित मेडिकल जांच है, जो एंडोस्कोप मशीन द्वारा किया जाता है। एंडोस्कोप एक पतले और लचीले ट्यूब से बना होता है। एंडोस्कोप में एक लाइट और कैमरा लगा होता है, जो बाहर रखें मॉनीटर पर पेट के अंगर की तस्वीरें भेजता है। इसका मुख्य उद्देश्य एसोफैगस (oesophagus), पेट (stomach) और छोटे आंत के शुरुआती भाग में हाेने वाली (duodenum) समस्याओं को देखने के लिए किया जाता है।
गैस्ट्रोस्कोपी क्यों की जाती है?
गैस्ट्रोस्कोपी कराने के लिए डॉक्टर तब सलाह देते हैं जब आप में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं :
- बार-बार अपाचन (Indigestion) होना
- सीने में जलन महसूस होना
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
- बार-बार उल्टियां होना
- खाना या पानी निगलने में परेशानी होना
- इसके अलावा पेट के ऊपरी हिस्से से जुड़ी हुई अन्य समस्याएं
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जोखिम
गैस्ट्रोस्कोपी करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
गैस्ट्रोस्कोपी हर कोई नहीं करा सकता है। कुछ मामलों में आप गैस्ट्रोस्कोपी नहीं करा सकते हैं :
- हार्ट अटैक
- खून में ऑक्सीजन की कमी होना
- लो ब्लड प्रेशर
- हाइपरटेशन में
- जब जांच में मरीज सहयोग न देना चाहे
गैस्ट्रोस्कोपी के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
गैस्ट्रोस्कोपी एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन इस जांच में भी कुछ समस्याएं देखी गई है :
- गैस्ट्रोस्कोपी से पहले बेहोश या नींद की दवाओं के कारण रिएक्शन हो सकते हैं। जिससे सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कनों का बढ़ना या कम होना और हाई या लो ब्लड प्रेशर होना
- आंतरिक ब्लीडिंग (Internal bleeding)
- एंडोस्कोप डालते समय एसोफेगस (Oesophagus), पेट या ड्यूडनम में छेद हो जाना
वहीं, मेडिकल टेस्ट के दिन या उसके दो दिन बाद तक गले में सूजन या घाव महसूस हो सकता है, जो एक सामान्य बात है।
डॉक्टर से सम्पर्क कब करें?
गैस्ट्रोस्कोपी कराने के बाद आपको जब आपको इस तरह समस्याएं हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें :
- सीने या पेट में ज्यादा दर्द होना
- टार की तरह यानी कि गाढ़े रंग की पॉटी होना
- उल्टी होना या उल्टी में खून निकलना
प्रक्रिया
गैस्ट्रोस्कोपी के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
जब डॉक्टर आपको गैस्ट्रोस्कोपी कराने के लिए सलाह दें तो आप सबसे पहले ये पूछ लें कि आप जो दवाएं पहले से ले रहें हैं, उन्हें बंद करना है? आपको अपाचन के लिए अगर कोई दवा ले रहे हैं तो उसे जांच से लगभग दो हफ्ते पहले बंद कर देने की जरूरत पड़ सकती है। क्योंकि ये दवा टेस्ट की रिपोर्ट को प्रभावित कर सकती है।
इसके साथ ही आपको अपने द्वारा ली जा रही दवाओं की जानकारी एंडोस्कोपी करने वाली यूनिट को दे देनी चाहिए। ताकि वे आपके लिए पहले ये विशेष व्यवस्था कर सकें :
वहीं, गैस्ट्रोस्कोपी कराने से पहले आपका पेट पूरी तरह से खाली होना चाहिए। ताकि टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपके पेट के सभी हिस्सों को साफ-साफ देख सके। इसलिए आपको टेस्ट कराने के छह से आठ घंटे पहले कुछ नहीं खाना चाहिए। साथ ही दो से तीन घंटे पहले से पानी पीना बंद कर देना चाहिए। ये सभी निर्देश आपको डॉक्टर टेस्ट के दो या तनी दिन पहले देंगे।
गैस्ट्रोस्कोपी में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
गैस्ट्रोस्कोपी होने में लगभग 15 मिनट का समय लगता है। गैस्ट्रोस्कोपी की प्रक्रिया के लिए आपको रात भर हॉस्पिटल में रूकने की जरूरत नहीं है। इसलिए आप टेस्ट वाले दिन ही घर जा सकते हैं। गैस्ट्रोस्कोपी की प्रक्रिया एंडोस्कोपिस्ट के द्वारा की जाती है। सबसे पहले आपके गले को एनेस्थेटिस्ट सुन्न करते हैं। साथ ही आपके मुंह में एक स्प्रे करते हैं जिससे आपके मुंह के अंदर एक प्लास्टिक गार्ड सा बन जाता है। इसका काम आपके दांतों को सुरक्षा देना है। इसके बाद एंडोस्कोपिस्ट आपको बाईं करवट लेटाते हैं। फिर एंडोस्कोप को आपके गले से होते हुए पेट में डालते हैं। इसके लिए एंडोस्कोपिस्ट आपको उसे निगलने के लिए कहते हैं। ऐसा करना आपके लिए थोड़ा अनकम्फर्टेबल हो सकता है। लेकिन एक बार एंडोस्कोप गले से पास हो गया तो अंदर तक चला जाएगा।
गैस्ट्रोस्कोपी से होती हैं ये जांच?
एंडोस्कोप अदर जाने के बाद आपके पेट में हवा भर जाती है। इसके बाद एंडोस्कोपिस्ट आपके पेट के अंदर की परेशानियों को अच्छे से देख सकते हैं। ऐसे में एंडोस्कोपिस्ट आपके पेट में लालपन, छेद, लंप्स, ब्लॉकेज या कोई अन्य समस्या को देखते हैं। अगर किसी तरह की कोई समस्या नजर आती है तो वहां के टिश्यू को डॉक्टर एंडोस्कोप की मदद से निकाल लेते हैं। साथ ही उस टिश्यू को जांच के लिए लैब भेज देते हैं।
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ब्लीडिंग नसों का होता है इलाज
अगर आपके पेट की नसें बढ़ गई हैं और उनमें से खून रिस रहा है तो एंडोस्कोप के जरिए उस स्थान को डॉक्टरचिन्हित करते हैं। इसके बाद डॉक्टर उस नस का केमिकल के द्वारा इलाज कर के सील करते हैं। जिसे स्क्लेरोथेरेपी कहते हैं।
पेट के छालों का होता है इलाज
पेट में ज्यादा छाले होने पर भी अक्सर पेट दर्द की समस्या होती है। जिसे एंडोस्कोप द्वारा ठीक किया जाता है। एंडोस्कोप के जरिए पेट के अंदर के छालों को गर्म कर के सील किया जाता है। इसके अलावा छोटे क्लिप्स से उससे होने वाली ब्लीडिंग को रोका जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान आपके पेट का एसिड कम करने का इंजेक्शन दिया जाता है। जिसे प्रोटॉन पंप इंहिबिटर (PPI) कहा जाता है। इसे लगाने से पेट में छाले के कारण होने वाली ब्लीडिंग दोबारा नहीं होती है।
एसोफोगस (Oesophagus) को चौड़ा किया जाता है
अगर आपका ओएसोफोगस पतला या सकरा है तो उसे डॉक्टर एंडोस्कोप के मदद से खींच कर फैलाते हैं। जिससे एसोफोगस फैल जाता है। इसके अलावा बैलून या स्टेंट भी डाल सकते हैं ताकि एसोफोगस का मुंह खुला रहे।
रिकवरी
गैस्ट्रोस्कोपी के बाद क्या होता है?
- गैस्ट्रोस्कोपी के बाद रिकवरी में ज्यादा समय नहीं लगता है। अगर एनेस्थेटिस्ट ने सिर्फ आपका गला सुन्न किया है तो आप उसी दिन घर जा सकते हैं। लेकिन, अगर आपको बेहोश किया गया है तो अगले दिन आप घर जा पाएंगे।
- इसके कुछ दिन बाद डॉक्टर इस मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट बताने के लिए आपको हॉस्पिटल बुला सकते हैं।
- गैस्ट्रोस्कोपी के 24 घंटे बाद तक शराब न पिएं। गाड़ी ड्राइव न करें। साथ ही किसी भी तरह की नींद की दवान खाएं।
- टेस्ट के 24 घंटे बाद तक आप सामान्य हो जाएंगे। साथ ही डॉक्टर के निर्देश पर सभी तरह की दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा अगर गैस्ट्रोस्कोपी से संबंधित कोई सवाल हो तो अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
रिजल्ट को कैसे समझें?
गैस्ट्रोस्कोपी करने वाला ऑपरेटर आपके टेस्ट की रिपोर्ट डॉक्टर के पास भेजेंगे। अगर टेस्ट में बायोप्सी भी शामिल है तो रिपोर्ट आने में थोड़ा वक्त लग सकता है। जब डॉक्टर आपको रिपोर्ट समझाने के लिए बुलाएं तो आप अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ जाएं। ताकि आप और आपके परिवार के सदस्य रिपोर्ट को अच्छे से समझ लें। वहीं, बता दें कि गैस्ट्रोस्कोपी की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
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