परिभाषा
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) क्या है?
थायरॉइड ग्रंथि अपने आप सुचारू रूप से काम कर रही है या नहीं इसकी जांच के लिए थायरॉइड टेस्ट किया जाता है। इसमें T3, T3RU, T4, and TSH की जांच की जाती है।
थायरॉइड दो मुख्य हार्मोन उत्पन्न करता हैः ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरॉक्सिन (T4)। यदि आपकी थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में ये हार्मोन्स उत्पन्न नहीं करती है तो इससे आपका वजन बढेगा, एनर्जी की कमी होगी और आप अवसाद का शिकार हो सकते हैं। इस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। यदि आपका थायरॉइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन का निर्माण करती है तो आपका वजन घटने लगता है, बहुत ज्यादा एंग्जाइटी और झटके लगने लगते हैं आदि। इस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं।
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) क्यों किया जाता है?
आमतौर पर यदि आपके डॉक्टर को थायरॉइड हार्मोन के स्तर को लेकर किसी तरह का संदेह होता है तो वह थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (TSH) टेस्ट की सलाह देगा। यदि इस टेस्ट का परिणाम सामान्य नहीं आता तो समस्या का कारण जानने के लिए डॉक्टर आपको दूसरे टेस्ट के लिए भी कह सकता है।
एहतियात/चेतावनी
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
सामान्य ब्लड टेस्ट की तरह ही इसमें ब्लड सैंपल लिया जाता है। ब्लड सैंपल देने के बाद आपको सुई लगने वाली जगह पर हल्की चोट जैसा दिखेगा। वहां आप बर्फ रगड़ सकते हैं या फिर काउंटर से पेनकिलर ले सकते हैं, इससे आपको आराम मिलेगा।
यदि आपको ज्यादा दर्द हो रहा है या सुई वाली जगह लाल और सूज गई है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह संक्रमण का संकेत हो सकता है।
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प्रक्रिया
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) के लिए कैसे तैयारी करें?
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट के लिए किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, आपके द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाओं का टेस्ट पर असर हो सकता है, इसलिए आप जो दवा खा रहे हैं उसके बारे में डॉक्टर को बताएं।
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) के दौरान क्या होता है?
ब्लड निकाला जाता है जिसे वेनपंक्चर भी कहते हैं, यह लैब या डॉक्टर के ऑफिस में किया जा सकता है। जब आप टेस्ट के लिए आते हैं तो आपको आराम से बैठने के लिए कहा जाएगा या फिर बेड पर लेटने के लिए। यदि आपने पूरी बांह के कपड़े पहने हैं तो उसे ऊपर करने के लिए कहा जाएगा ताकि बांह पर पट्टी बांधी जा सके।
एक टेक्नीशियन आपकी ऊपरी बांह पर एक पट्टी बांध देता है जिससे नस साफ दिखें। इसके बाद सुई लगाने वाली जगह को साफ करके नस में सुई लगाई जाती है और सुई से अटैच ट्यूब में परीक्षण के लिए रक्त आ जाता है। जिसे टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है।
पर्याप्त रक्त निकालने के बाद सुई निकालकर टेक्नीशियन उस जगह को थोड़ा दबाकर रखेगा ताकि रक्तस्राव बंद हो जाए, फिर वहां बैंडेज या रूई लगा देता है।
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test) के बाद क्या होता है?
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट के बाद किसी विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। यदि डॉक्टर कुछ एहतियात बरतने को नहीं कहता है तो आप अपने रोज़मर्रा के काम शुरू कर सकते हैं। थायरॉइड फंक्शन टेस्ट के बारे में किसी तरह का प्रश्न होने पर और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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परिणामों को समझें
मेरे परिणामों का क्या मतलब है?
T4 और TSH सबसे आम थायरॉइड फंक्शन टेस्ट है और आमतौर पर दोनों साथ में ही किए जाते हैं। T4 टेस्ट को थायरोक्सिन टेस्ट कहा जाता है। इसका उच्च स्तर अति सक्रिया थायरॉइड (हाइपरथायरायडिज्म) का संकेत देता है, इसके लक्षण हैं एंग्जाइटी, वजन कम होना, झटका लगना और डायरिया।हाइपरथायरायडिज्म
अधिकांश T4 प्रोटीन से बंधे होते हैं और शरीर उनका इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसका सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा प्रोटीन से मुक्त होता है जिसे फ्री T4 कहते हैं और यह शरीर के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होता है। कभी-कभी T4 टेस्ट में फ्री T4 का स्तर भी जांचा जाता है।
TSH टेस्ट ब्लड में थायरॉइड-स्टिम्यूलेटिंग-हार्मोन के स्तर को मापता है। प्रति लीटर ब्लड में TSH हार्मोन की सामान्य सीमा 0.4 और 4.0 मिली इंटरेशनल यूनिट (mIU/L ) है। यदि आपमें में हाइपोथायरायडिज़्म के लक्षण दिखते हैं और TSH 2.0 mIU/L से अधिक है तो आपमें हाइपोथायरायडिज़्म के और बढ़ने का खतरा रहता है। इसके लक्षण हैं- वजन बढ़ना, थकान लगना, डिप्रेशन होना, कमजोर बाल और कमजोर नाखून।
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संभवतः आपका डॉक्टर आने वाले हर दूसरे साल में थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करेगा। साथ ही आपका डॉक्टर दवाओं के ज़रिए आपका इलाज भी शुरू कर सकता है, हाइपोथायरायडिज़्म के लक्षणों को कम करने के लिए लेवोथायरोक्सिन जैसी दवा का इस्तेमाल कर सकता है। नियमित रूप से नवजात शिशुओं का भीT4 and TSH टेस्ट किया जाता है ताकि कम सक्रिय थायरॉइड ग्रंथि की पहचान की जा सकते, यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है तो बच्चा जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप उसका विकास सामान्य रूप से नहीं होगा।
T3 परिणाम
T3 टेस्ट हार्मोन ट्राइयोडोथायरोनिन के स्तर की जांच करता है। आमतौर पर यह तभी किया जाता है जब T4 और TSH टेस्ट से हाइपोथायरायडिज़्म की पुष्टि होती है। T3 टेस्ट तब भी किया जा सकता है जब थायरॉइड ग्रंथि के अतिसक्रिय होने का संकेत मिले और T4 व TSH का स्तर बढ़ा हुआ न हो। प्रति डेसीलीटर रक्त में T3 हार्मोन की सामान्य सीमा 100–200 नैनोग्राम (ng/dl) है। इसकी असामान्य बढ़ी मात्रा ग्रेव्स नामक बीमारी का संकेत है। यह हाइपोथायरायडिज़्म से संबंधित ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है।
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T3 रेजिन अपटेक रिजल्ट
T3 रेज़िन अपटेक जिसे T3RU के नाम से भी जाना जाता है, एक तरह का ब्लड टेस्ट है जो थायरोक्सिन-बाइंडिंग ग्लोब्युलिन (TBG) हार्मोन की बाइंडिंग क्षमता को मापता है। यदि T3 का स्तर बढ़ा हुआ है तो आपकी TBG बाइंडिंग क्षमता कम होनी चाहिए।
TBG का असमान्य निम्न स्तर किडनी की समस्या की के साथ ही शरीर में प्रोटीन की कमी की ओर भी इशारा करता है। TBG का असमान्य उच्च स्तर शरीर में एस्ट्रोजोन के बढ़े हुए स्तर को दर्शाता है।
एस्ट्रोजन का स्तर प्रेग्नेंसी, एस्ट्रोजोन से भरपूर खाद्य पदार्थ, मोटापे या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के कारण बढ़ सकता है। सभी लैब और अस्पताल के आधार पर थायरॉइड फंक्शन टेस्ट की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।
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