परिचय
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography क्या है?
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम दिल से संबंधित एक टेस्ट है। जिसका मुख्य उद्देश्य दिल के अंदर की स्थिति को जानना है। इकोकार्डिओग्राम को इको भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में उपकरण द्वारा इको को चित्र में बदला जाता है। जिससे डॉक्टर बीमारी को आसानी से समझ सकते हैं। इस उपकरण के सिरे पर ट्रांसड्यूसर लगा रहता है, जो उच्च आवृत्ति के ध्वनि को चित्र में बदलता है। जो दिल के विभिन्न अंगों में ध्वनि तरंगे पैदा करता है और इस जरिए मॉनिटर पर दिल के आंतरिक हिस्सों का चित्र दिखाई देता है।
इकोकार्डिओग्राम (Echocardiography) चार प्रकार के होते हैं :
- ट्रांसथोरैसिक इकोकार्डिओग्राम [Transthoracic echocardiogram (TTE)]
- स्ट्रेस इकोकार्डिओग्राम (Stress echocardiogram)
- डॉप्लर इकोकार्डिओग्राम (Doppler echocardiogram)
- ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम [Transesophageal echocardiogram (TEE)]
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography) टेस्ट डॉक्टर दिल की दीवारों और इसोफोगस की जांच के लिए करते हैं। इससे पता लगाया जाता है कि दिल के पास फेफड़े और सीने की हड्डियों के कारण कहीं ब्लॉकेज तो नहीं है।
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम क्यों किया जाता है?
दिल से संबंधित एक या एक से अधिक समस्या होने से ट्रांसथोरैसिक इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography) की जाती है। इस टेस्ट से सिर्फ आपके दिल के चेंबर की जांच हो पाती है। इसके अलावा गर्भ में पल रहे शिशु में हार्ट डिफेक्ट को जानने के लिए भी होता है। जब ट्रांसथोरैसिक इकोकार्डिओग्राम स्पष्ट नहीं होता है तो ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम करने के लिए कहा जाता है।
डॉक्टर आपको ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography) तब कराने के लिए कहते हैं, जब :
- जब ट्रांसथोरैसिक इकोकार्डिओग्राम अस्पष्ट हो। ट्रांसथोरैसिक इकोकार्डिओग्राम का रिजल्ट अस्पष्ट सीने की स्थिति, फेफड़े की बीमारी या शरीर में ज्यादा फैट के कारण हो सकता होता है।
- दिल के किसा क्षेत्र की अगर ज्यादा विस्तृत जानकारी चाहिए हो तो ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम करने की जरूरत पड़ती है।
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जानिए जरूरी बातें
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार, हर किसी को रूटीन चेकअप में हार्ट टेस्ट को शामिल करना जरूरी नहीं होता है। ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम के अलावा अन्य विकल्प भी हैं :
- कार्डियक एमआरआई स्कैन (Cardiac MRI scan) करा सकते हैं। इससे डॉक्टर को आपके दिल की तस्वीरें भी मिल जाएंगी और समस्या का पता भी लगाया जा सकता है।
- दिल में रक्त के प्रवाह को जानने के लिए रेडियोन्यूक्लिआइड टेस्ट किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर आपके शरीर में रेडियोएक्टिव सब्सटेंस इंजेक्ट करते हैं। इसके बाद कैमरे के द्वारा दिल के अंदर की तस्वीर निकाली जाती है।
प्रक्रिया
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography) टेस्ट कराने से पहले आपको विशेष तैयारी की जरूरत पड़ती है। सबसे पहले टेस्ट कराने से कुछ घंटे पहले से आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है। इसके बाद आपको आरामदायक जूते पहनने है ताकि टेस्ट के दौरान आपको ट्रेडमिल पर चलने में समस्या न हो। इसके अलावा आप टेस्ट कराने अपने परिजनों के साथ आएं। क्योंकि, टेस्ट के दौरान आपको बेहोशी या नींद की दवा दी जाती है।
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम (Transesophageal echocardiography) को करने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। इसके लिए एक टेक्निशियन और उसके सहायक लोग लगते हैं। वहीं, अगर आप मोटे हैं या आपको फेफड़े से संबंधित कोई समस्या है, तो डॉक्टर आपको इंजेक्शन के जरिए कुछ मटेरियल देंगे, जिससे टेस्ट की रिपोर्ट आने में आसानी होगी। इसके बाद आपके मुंह में एक एंटीसेप्टिक स्प्रे दिया जाएगा। इसके बाद आपके हाथों में एक इंजेक्शन भी दिया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान दवा लार और पेट में होने वाले स्रावण को घटाती है। वहीं, नींद की दवा इसलिए इंजेक्ट की जाती है, जिससे आपको टेस्ट के दौरान कोई समस्या न हो। इस प्रक्रिया के द्वारा आपकी हार्ट रेट (Heart rate), सांस लेने की दर, ब्लड प्रेशर (Blood pressure) और खून में ऑक्सिजन आदि की जांच की जाती है।
इसोफेगस की भी अगर जांच करनी है, तो आपको एक करवट लेटा कर आपके जीभ से होते हुए उपकरण को अंदर डालते हैं। इसके बाद इसोफेगस के अंदर का अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसके बाद यदि प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपके सामान्य हो जाने के बाद घर जाने दिया जाता है।
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम के बाद क्या होता है?
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम के द्वारा अगर रिजल्ट अच्छा आ गया, तो डॉक्टर आपको कोई भी टेस्ट करवाने के लिए नहीं कहेंगे। लेकिन अगर रिपोर्ट असामान्य आती है, तो आपको सीटी स्कैन कराना पड़ सकता है। इसके बाद डॉक्टर समस्याओं को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट होंगे और उसी के आधार पर इलाज करेंगे।
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रिजल्ट को समझें
ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम के रिजल्ट का क्या मतलब है?
टेस्ट करने के बाद टेक्नीशियन आपकी ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम की रिपोर्ट को हृदय रोग (Heart problem) विशेषज्ञ यानी की आपके डॉक्टर को देंगे। जो निम्न प्रकार से हो सकती है :
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इकोकार्डिओग्राम
नॉर्मल :
- दिल के चेम्बर और दीवारों का आकार व मोटाई सामान्य है, और ये सामान्य रूप से काम कर रही हैं।
- हार्ट वाल्व सामान्य तौर पर काम कर रहे हैं। साथ ही संक्रमण नहीं पाया गया।
- दिल सामान्य रूप से खून को पंप कर रहा है।
- हार्ट सैक में किसी भी तरह का अतिरिक्त फ्लूइड नहीं है और दिल के पास की त्वचा मोटी नहीं हुई है।
- दिल में कहीं भी खून के थक्के नहीं है और न ही कोई ट्यूमर है।
अबनॉर्मल :
हार्ट चेंबर का आकार काफी बड़ा हो गया है। दिल की दीवारें मोटी या पतली हो गई हैं। दीवारें पतली होने से रक्त संचार सही से नहीं हो पाता है। दिल की मांसपेशियां सही तरीके से मूव नहीं कर रही है। एक या एक से अधिक वाल्व खुल या बंद नहीं हो पा रहे हैं। जो दिल में संक्रमण के कारण होता है। बाएं निलय (Ventricle) से ब्लड सामान्य तौर पर पंप नहीं हो पा रहा है। वहीं, दिल के आसपास की त्वचा मोटी हो गई है।
वहीं, बता दें कि ट्रांसइसोफेजिअल इकोकार्डिओग्राम की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
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