आंखें हमारे शरीर का अहम हिस्सा होती है। आंखों के चारों ओर जब कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, तो यह एक उभार के रूप में दिखाई देता है। आमतौर पर यह हानिकारक नहीं होता है। वहीं कुछ मामलों में यह गंभीर भी साबित हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट की समस्या किसी को भी हो सकती है। कोलेस्ट्रोल एक प्रकार का नैचुरल फैट है, जो सभी मनुष्य में पाया जाता है। जब यह आंखों के चारों ओर इकट्ठा हो जाता है, तो ये एक संरचना का निर्माण करता है। आंखों में कोलेस्ट्रॉम जमा होने के क्या कारण है, इस बारे में जानकारी नहीं है लेकिन इसके हो जाने पर इस बात का संकेत जरूर मिलता है कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ चुका है। आइए जानते हैं कि आंखों में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol Deposits In The Eyes) जमा होने के लक्षण क्या होते हैं।
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आंखों में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol Deposits In The Eyes) जमा होने के लक्षण
कोलेस्ट्रॉल के साथ ही नैचुरल फैट्स, आयलिड में ग्रोथ का काम करता है। इस ग्रोथ को जैंथेलस्मा (xanthelasma) के नाम से भी जाना जाता है। जब एक साथ कई ग्रोथ हो जाती हैं, तो इसे जेंथिलेस्माटा (xanthelasmata) के नाम से जाना जाता है।आंखों में कोलेस्ट्रॉल जमने के कारणों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन यह कभी-कभी हाय कोलेस्ट्रॉल, हाइपोथायरायडिज्म या लिवर कंडीशन का संकेत दे सकता है।
कोलेस्ट्रॉल सॉफ्ट, फ्लैट, पीले रंग की गांठ होता है। ये या तो ऊपरी और निचली पलकों पर, आंख के भीतरी कोने के पास दिखाई देते हैं। ये आंखों के चारों ओर डेवलप हो सकते हैं। समय के साथ ही ये बढ़ भी सकते हैं। घाव आपस से जुड़कर बड़ा घाव भी बना सकते हैं।आमतौर पर दर्दनाक या खुजली वाली नहीं होती है। वैसे तो इनके कारण समस्या पैदा नहीं होती है लेकिन कुछ लोगों को पलक कई बार झपकाने का कारण भी बन सकता है।
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आंखों में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol Deposits In The Eyes) जमा होने के कारण
आंखों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने का खतरा किसी भी उम्र में प्रकट हो सकता हैं लेकिन अधिक उम्र में उसके होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इसकी अधिक संभावना रहती है। इसके सही कारण के बारे में जानकारी नहीं है। वही जब ब्लड में असामान्य लिपिड लेवल जुड़ जाता है, तो इसे डिस्लिपिडेमिया (dyslipidemia) के रूप में जाना जाता है। ऐसा लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन के कारण हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल सॉफ्ट, फ्लैट, पीले रंग की गांठ होता है। ये या तो ऊपरी और निचली पलकों पर, आंख के भीतरी कोने के पास दिखाई देते हैं। ये आंखों के चारों ओर डेवलप हो सकते हैं। समय के साथ ही ये बढ़ भी सकते हैं। घाव आपस से जुड़कर बड़ा घाव भी बना सकते हैं।आमतौर पर दर्दनाक या खुजली वाली नहीं होती है। वैसे तो इनके कारण समस्या पैदा नहीं होती है लेकिन कुछ लोगों को पलक कई बार झपकाने का कारण भी बन सकता है।
- हाय लेवल लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (high levels of low-density lipoprotein) यानी बैड कोलेस्ट्रॉल के कारण
- लो लेवल हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (low levels of high-density lipoprotein) यानी गुड कोलेस्ट्रॉल के कारण
- हाय लेवल टोटल कोलेस्ट्रॉल के कारण (high levels of total cholesterol )
- ट्रायग्लीसराइड के कारण (high levels of triglycerides)
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डिस्लिपिडेमिया (dyslipidemia) के कारण आर्टरीज में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण का जोखिम बढ़ जाता है। इसके कारण हार्टअटैक और शरीर के विभिन्न भागों में ब्लड के फ्लों में समस्या पैदा होने लगती है। साथ ही एंजाइना, हार्ट अटैक, स्ट्रोक के साथ ही पेरीफेरल आर्टिरियल डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। यह बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर से जुड़ी हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति अच्छा या स्वस्थ्य है लेकिन उसमें हाय लिपिड लेवल है, तो ऐसे में भी समस्या का जोखिम बढ़ जाता है।
आंखों में कोलेस्ट्रॉल की समस्या का कारण लाइफस्टाइल से भी जुड़ा हो सकता है। जिसमें खाने में सैचुएटेड फैट का अधिक सेवन, मोटापा होना या वजन का अधिक होना, एक्टिविटी या एक्सरसाइज ना करना, एल्कोहॉल का अधिक मात्रा में सेवन करना, स्मोकिंग के साथ ही तंबाकू युक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना भी इस समस्या से जुड़ा हो सकता है।
साथ ही कुछ बीमारियां जैसे कि डायबिटीज, क्रॉनिक किडनी डिजीज, हाय ब्लड प्रेशर की समस्या, स्ट्रोक या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री या फिर कुछ दवाओं का सेवन जैसे कि बीटा ब्लॉकर्स (beta-blocker), एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स आदि भी बीमारी की संभावना को बढ़ाने का काम करते हैं।
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कैसे किया जाता है बीमारी डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट
इस बीमारी का डायग्नोसिस विजुअल एग्जामिनेशन के माध्यम से करते हैं। अगर डॉक्टर को कंफर्म नहीं होता हैं, तो वह एनालिसिस के लिए सैंपल को लैब में भी भेज सकते हैं। डॉक्टर डायबिटीज और लिवर फंक्शन आदि की भी जांच कर सकते हैं और साथ ही कार्डियोवैस्कुलर रिस्क एसेसमेंट के लिए भी कह सकते हैं।
आंखों के आसपास अगर कोलेस्ट्रोल जमा हो गया है, तो इस समस्या को खत्म करने के लिए डॉक्टर सर्जरी की सहायता ले सकते हैं। सर्जिकल माध्यम से इसे हटाया जा सकता है। वैसे तो आंखों में आई ये ग्रोथ किसी भी तरह की दर्द या फिर असुविधा का कारण नहीं बनती है लेकिन पेशेंट के रिक्वेस्ट करने पर डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से इसे हटा देते हैं। इसके लिए सर्जिकल प्रोसेस, कार्बन डाइऑक्साइड और ऑर्गन लेजर एबलेशन, इलेक्ट्रोडेसिकेशन आदि का सहारा लिया जा सकता है।
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सर्जिकल प्रोसीजर के बाद हो सकता है कि आपकी आंखों के आसपास सूजन की समस्या रहे और साथ ही सर्जरी के निशान भी रहे या फिर त्वचा के रंग में बदलाव आ जाए। ओवरग्रोथ को हटाने के बाद डॉक्टर पेशेंट को कुछ सलाह भी दे सकते हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्या दोबारा ना हो। डॉक्टर पेशेंट को लाइफस्टाइल में बदलाव करने के साथ ही खानपान में पौष्टिक आहार लेने की सिफारिश करते हैं। अगर व्यक्ति का वेट अधिक है, तो ऐसे में डॉक्टर वेट को घटाने की सलाह भी दे सकते हैं। हेल्दी डाइट लेने के साथ डॉक्टर और दूध, क्रीम, फैट मीट, केक, कुकीज, कोकोनट ऑयल लेने की सलाह भी दे सकते हैं। इन सब बातों का ध्यान रख बीमारी की संभावना को कम किया जा सकता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको आंखों में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol Deposits In The Eyes) की समस्या से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।