अगर आप डायबिटीज के पेशेंट्स हैं, तो इसका सही से उपचार न होने के कारण आपको किडनी की समस्या हो सकती है। यह किडनी डिजीज अगर गंभीर हो, तो इस स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए रोगी को अपनी ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) का खास ध्यान रखना चाहिए। किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद आपको इंसुलिन की हायर डोज की भी जरूरत हो सकती है। इसमें आपकी भूख में सुधार होगा। जिससे आपकी नई किडनी, इंजर्ड किडनी की तुलना में इंसुलिन का बेहतर तरीके से प्रयोग कर पाएगी। रोगी अपने शरीर को नयी किडनी को अस्वीकार करने से रोकने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग भी कर सकते हैं।
यदि आपकी नई किडनी फेल हो जाती है, तो दूसरी किडनी की प्रतीक्षा करते हुए डायलिसिस उपचार शुरू किया जा सकता है। लेकिन, कई बार किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद भी डायबिटीज की समस्या हो सकती है। ट्रांसप्लांट के बाद इस तरह की डायबिटीज को नई ऑनसेट डायबिटीज (Onset Diabetes) कहा जाता है। यह डायबिटीज उस दवा के साइड इफ़ेक्ट के रूप में हो सकती है, जिसे आप नई किडनी के रिजेक्शन से बचने के लिए प्रयोग करते हैं। अब जानिए कि किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) के बाद रोगी को डायबिटीज होने की संभावना कितनी होती है?
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किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीज का रिस्क
डायबिटीज पेशेंट्स और किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in diabetes patients)के बीच में कनेक्शन को आप जान ही चुके होंगे। अब जानिए किन स्थितियों में ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीज का रिस्क बढ़ सकता है? इसका एक कारण कुछ दवाईयां हैं। ट्रांसप्लांट के बाद रोगी को कुछ दवाईयां दी जाती हैं, जिन्हें एंटी रिजेक्शन मेडिसिन (Anti-rejection medicines) या इम्यूनोस्प्रेसन्ट्स (Immunosupressants) कहा जाता है। यह मेडिसिन्स शरीर द्वारा ट्रांसप्लांट किए ऑर्गन यानी किडनी को रिजेक्ट करने से बचाती हैं। आमतौर पर हमारा शरीर उस हर एक चीज से लड़ता है, जो इसका भाग नहीं होता जैसे जर्म्स (Germs) या वायरस (Virus)।
हमारा इम्यून सिस्टम (Immune System) नए ऑर्गन को एक फोरेनर यानी हानिकारक चीज के रूप में देखता है और उसे नष्ट करने की कोशिश करता है। हमारे शरीर का जो सिस्टम इससे हमारी रक्षा करता है, उसे इम्यून सिस्टम कहा जाता है। एंटी रिजेक्शन मेडिसिन (Anti-rejection medicines) हमारे इम्यून सिस्टम को कम एक्टिव रखती है। इस समस्या से बचने के लिए रोगी को कुछ दवाईयां दी जाती हैं, जो डायबिटीज का कारण बन सकती हैं। अब जानते हैं कि इस दवाई के अलावा कौन से अन्य फैक्टर किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बाद या पहले डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।