उम्र बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों को मेडिकल केयर की जरूरत पड़ती है। भले ही आप और हम लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हो लेकिन बुजुर्गों को हमेशा केयर प्रोवाइडर की जरूरत पड़ती है। इस समस्या से छुटकारे के लिए केयर फॉर पेरेंट्स हेल्थटेक स्टार्टअप काम कर रहा है। केयर फॉर पेरेंट्स (Care4Parents) की को-फाउंडर और डायरेक्टर सुचिता गुप्ता ने एक पब्लिकेशन को दिए इंटरव्यू में बताया कि डिजिटल हेल्थ केयर इंडस्ट्री आने वाले समय में लॉर्जेस्ट सेक्टर बनने वाला है। ये हेल्थ को लेकर अवेयरनेस फैलाने के साथ ही लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करा रहा है। इंडिया में डिजिटल हेल्थकेयर स्टार्टअप तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के कारण लोग हेल्थ से जुड़े जरूरी मुद्दों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। ऐसे में डिजिटल हेल्थ केयर सेक्टर उन्हें अवेयर कर रहा हैं। टेलीमेडिसिन, डिजिटल रिकॉर्ड आदि डिजिटल केयर हेल्थ सॉल्युशन हैं। आप डिजिटल मीडियम के माध्यम से डॉक्टर से अपने परेशानी शेयर कर सकते हैं और साथ ही बीमारी का इलाज भी आसानी से कर सकते हैं। पेशेंट का मेडिकल डिजिटल रिकॉर्ड भविष्य में होने वाली बीमारियों को दूर करने में मदद करने का काम करता है।
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निहारिका राजीव (Neiharika Rajiv)
अधिक उम्र में बीमार पड़ना और डॉक्टर से इलाज कराना वाकई बहुत कठिन काम होता है। डॉक्टर को दिखाने के लिए लम्बी लाइन लगाना और रिपोर्ट्स को संभालकर रखना वाकई जिम्मेदारी का काम है। अगर कोई भी रिपोर्ट इधर-उधर हो जाए, तो आपको बीमारा का इलाज कराने में दिक्कत आ सकती है। इन समस्याओं से निजात के लिए वीमन इंटरप्रेन्योर निहारिका राजीव ने एक एप बनाया। एप की हेल्प से एल्डर आसानी से हेल्थकेयर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सुविदा केयर एप (SuvidaCare) निहारिका राजीव ने बनाया है, जिसकी सहायता से आप आसानी से अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं और साथ ही आप आसानी से घर में मेडिकल रिकॉर्ड भी ट्रेक कर सकते हैं। सुविदा केयर भारत में गवर्ममेंट ऑफ इंडिया के तहत शुरू किए गया स्टार्टअप है। एक पब्लिकेशन को दिए गए इंटरव्यू में निहारिका राजीव ने बताया कि बिना किसी मदद के बुजुर्गों के लिए डायलिसिस सेंटर में जाना या फिर मोतियाबिंद का इलाज कराना वाकई कठिन काम है। निहारिका एक पेशेंट का अनुभव शेयर करते हुए बताती हैं कि एक बजुर्ग महिला अपनी बेटी के साथ मोतियाबिंद सर्जरी के बाद हमारे यहां विजिट पर आई थी। हमारे मैनेजर ने उनकी केयर की और साथ ही जरूरी बातें बताई। ये उनका विश्वास ही है कि अगली बार जब उनकी बेटी ने उनसे साथ चलने की बात कही, तो उन्होंने कहा कि तुम्हें जाने की जरूरत नहीं है, सुविदा केयर है न।
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मधु खंडेलवाल गुप्ता (Madhu Khandelwal Gupta)