शायद आपने कभी नहीं सोचा कि गेहूं या गेहूं का आटा भी एलर्जी का कारण बन सकता है, लेकिन यह सच है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति ऐसे पदार्थों का सेवन करता है जिसमें व्हीट होता है और इसके कारण एलर्जिक रिएक्शन सामने आने लगते हैं। इस स्थिति को व्हीट एलर्जी (Wheat Allergy) या गेहूं से एलर्जी कहा जाता है। गेहूं का उपयोग ना करना इस एलर्जी से बचने का सबसे पहला उपचार है, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है क्योंकि कई सारे फूड आइटम्स गेहूं से बनते हैं। भारतीय घरों में तो गेहूं के आटे की रोटी डेली फूड का हिस्सा है। वहीं कई प्रकार के जंक और फास्ट फूड जैसे हॉट डॉग, समोसा, कचोरी आदि में भी गेहूं का उपयोग किया जाता है। ऐसे में व्हीट एलर्जी का ट्रीटमेंट मेडिकेशन के जरिए ही संभव हो पाता है।
कई बार लोग व्हीट एलर्जी (Wheat Allergy) को सिलिएक डिजीज (Celiac Disease) में कंफ्यूज हो जाते हैं। हालांकि ये दोनों स्थितियां अलग हैं। व्हीट एलर्जी होने पर बॉडी व्हीट में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति एंटीबॉडीज (Antibodies) का निमार्ण करती है। वहीं सिलिएक डिजीज में व्हीट में पाया जाने वाला स्पेसिफिक प्रोटीन जिसे ग्लूटेन (Gluten) कहा जाता है इम्यून सिस्टम के असामान्य रिएक्शन का कारण बनता है।
एनाफ्लाक्सिस (Anaphylaxis)- कुछ लोगों के लिए व्हीट एलर्जी जानलेवा बन सकती है। इस स्थिति को एनाफ्लाक्सिस (Anaphylaxis) कहा जाता है। ऐसा होने पर निम्न लक्षण नजर आते हैं।
गले में सूजन या गले का सख्त हो जाना
सीने में दर्द या टाइटनेस
सांस लेने में कठिनाई
निगलने में परेशानी
स्किन का नीला पड़ना
चक्कर आना या बेहोश हो जाना
ऐसा एक भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा या कोई करीबी व्हीट एलर्जी से ग्रसित है तो भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
गेहूं में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी ही व्हीट एलर्जी का कारण है। प्रोटीन के संपर्क में आने पर इम्यून सिस्टम (immune system) एलर्जिक रिएक्शन देता है। व्हीट एलर्जी किसी भी व्हीट प्रोटीन जैसे कि एल्बुमिन (Albumin), ग्लोबुलिन (Globulin), ग्लियाडिन (Gliadin) और ग्लूटेन (Gluten) के कारण हो सकती है।
व्हीट एलर्जी (Wheat Allergy) का कारण बनने वाले फूड आयट्म्स
व्हीट प्रोटीन के कुछ सोर्स निश्चित हैं जैसे कि ब्रेड, रोटी, लेकिन कोई स्पेसिफिक प्रोटीन और ग्लूटेन कई पदार्थों में पाया जाता है। यहां तक कि कुछ कॉस्मेटिक्स (Cosmetics) और बेदिंग प्रोडक्ट्स (Bathing Products) में भी ग्लूटेन होता है। इन प्रोडक्ट्स की जानकारी नीचे दी गई है।
व्हीट एलर्जी का पता कैसे करें? (Wheat Allergy Diagnosis)
अगर आपको व्हीट एलर्जी के लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर कुछ फिजिकल एग्जामिनेशन करेगा। इसके साथ ही वह मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेगा। आपको निम्न टेस्ट कराने के लिए भी कहा जा सकता है।
स्किन टेस्ट (Skin Test)
इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर या नर्स एलर्जन का एक छोटा सा ड्रॉप आपके हाथ या बैक पर रखेगी ताकि एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reaction) के बारे में पता लगाया जा सके। त्वचा का लाल होना या वहां पर फफोले आने का मतलब है कि आप व्हीट के प्रति एलर्जिक हैं। टेस्ट के बाद उस जगह पर जहां टेस्ट किया गया था खुजली हो सकती है।
ब्लड टेस्ट (Blood Test)
अगर किसी विशेष कंडिशन या दवाओं के संभावित इंटरैक्शन के चलते आप स्किन टेस्ट नहीं करवा सकते तो डॉक्टर विशिष्ट एलर्जी पैदा करने वाले एंटीबॉडीज के लिए ब्लड टेस्ट कर सकता है, जिसमें गेहूं प्रोटीन भी शामिल है।
फूड चैलेंज टेस्ट (Food Challenge Test)
आपको उन फूड्स को खाने को दिया जाता है जो एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इसके बाद डॉक्टर लक्षणों को मॉनिटर करते हैं। इसके लिए बहुत कम मात्रा में फूड आइटम का उपयोग किया जाता है। टेस्ट के बाद डॉक्टर एक फूड डायरी बनाने के लिए कह सकते हैं, जिसमें खाने के बाद के सभी लक्षणों का रिकॉर्ड रखना होगा। इसके साथ ही आपको कुछ निश्चित फूड्स को खाना बंद करना होगा। डॉक्टर इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे।
व्हीट एलर्जी के लिए सबसे अच्छा ट्रीटमेंट व्हीट प्रोटीन को अवॉइड करना है। डॉक्टर इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे कि आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर निम्न दवाएं प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
एंटीहिस्टामाइंस (Antihistamines) ये दवाएं व्हीट एलर्जी के माइल्ड सिम्प्टम्स को कम कर सकती हैं। आप इनका उपयोग व्हीट का उपयोग करने पर कर सकते हैं, लेकिन किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
इपिनेफिरीन (Epinephrine) इसका उपयोग (Anaphylaxis) के उपचार में किया जाता है। जो व्हीट एलर्जी का गंभीर रूप होता है। इसके लिए आपको इपिनेफिरीन (Epinephrine) के दो इंजेक्टेबल डोज (Injectable dose) हमेशा साथ लेकर चलना होगा। डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का उपयोग ना करें।
व्हीट एलर्जी होने का रिस्क किसको ज्यादा होता है? (Risk Factors for Wheat Allergy)
कुछ फैक्टर्स व्हीट एलर्जी का रिस्क बढ़ा सकते हैं या इसके होने का कारण बन सकते हैं। जो निम्न हैं।
फैमिली हिस्ट्री
अगर आपके पेरेंट्स को व्हीट या किसी फूड से एलर्जी है या अस्थमा जैसी कोई दूसरी एलर्जी है तो उसको व्हीट एलर्जी होने का खतरा बढ़ जाता है।
उम्र
बेबीज और टॉडलर्स में व्हीट एलर्जी होना कॉमन है। उनका इम्यून सिस्टम और डायजेस्टिव सिस्टम उतना मैच्योर नहीं हो पाता है। अधिकांश बच्चों को 16 की उम्र के बाद व्हीट एलर्जी नहीं होती, हालांकि व्यस्कों में भी यह आसानी से डेवलप हो जाती है, जो ग्रास पोलेन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं उनमें यह एलर्जी जल्दी होती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और व्हीट एलर्जी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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