के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड Dr. Ruby Ezekiel · होम्योपैथी · Hello Swasthya
चर्म रोग या त्वचा विकार बेहद ही गंभीर रोग हो सकता है। जो शरीर के अलग-अलग अंगों की त्वचा को प्रभावित कर सकता है। चर्म रोग होने पर त्वचा पर खुजली, दर्द और जलन हो सकती है। चर्म रोग होने का मुख्य कारण किसी तरह का स्वास्थ्य विकार या संक्रमण हो सकता है। जिसके कई चरण भी सकते हैं। हालांकि, इसके शुरूआती चरणों में त्वचा की सबसे ऊपरी परत को ही नुकसान हो सकता है। चर्म रोग शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, खासकर गुप्तांगों में चर्म रोग के होने का जोखिम सबसे अधिक हो सकता है। चर्म रोग संबंधी लक्षण या समस्याएं हर किसी को अलग-अलग होती है। शायद आपको पता होगा कि चर्म रोग में पित्त (Urticaria) की समस्या बहुत आम होती है।
बच्चों में चर्म रोग होना कॉमन है। बच्चों में भी व्यस्कों की तरह चर्म रोग होता है। शिशुओं में डायपर रिलेटेड स्किन प्रॉब्लम होने के चांजेस होते हैं। चूंकि बच्चे दूसरे बच्चों और वायरस के संपर्क में ज्यादा आते हैं इसलिए कभी-कभी उनमें ऐसे त्वचा विकार भी दिखाई देते हैं जो व्यस्कों में दुर्लभ होते हैं। बच्चों में कुछ स्किन प्रॉब्लम्स समय के साथ ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ परमानेंट स्किन डिसऑर्डर बन जाते हैं। ज्यादातर केसेज में डॉक्टर बच्चों के स्किन डिसऑर्डर का टॉपिकल क्रीम, मेडिकेड लोशन और दवाइयों से उपचार करते हैं। बच्चों में चर्म रोग के लक्षण निम्न हैं।
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चर्म रोग कई प्रकार के हो सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
सोरायसिस की समस्या होने पर त्वचा पर लाल, परत वाले चकत्ते होने लगते हैं। जो देखने में डेड स्किन जैसे हो सकते हैं। हालांकि, यह संक्रामक नहीं होता है। इसका मुख्य कारण इम्यून सिस्टम में किसी तरह की गड़बड़ी होना हो सकता है।
घमौरी की समस्या बहुत ज्यादा गर्मी और बरसात के मौसम में हो सकती है। यह शरीर के पीठ और छाती के अंगों पर सबसे अधिक हो सकता है। घमौरी की स्थिति में त्वचा के आसपास लाल रंग के छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, जिनमें जलन, खुजली और चुभन होती है।
दाद की समस्या त्वचा की सही तरीके से साफ-सफाई न करने के कारण हो सकता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैल सकता है। दाद की समस्या सिर, हथेली, एड़ी, कमर, दाढ़ी या अन्य भाग में भी हो सकता है। दाद होने पर त्वचा पर गोल निशान बन जाता है जिसमे जलन और खुजली की समस्या हो सकती है।
एक्जिमा की समस्या त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसकी समस्या होने पर प्रभावित त्वचा में खुजली, लाल चकत्ते और लाल दाने होने लगते हैं। यह बीमारी छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। कुछ मामलों में यह गंभीर भी हो सकता है।
इसके अलावा, भी निम्न स्थितियां चर्म रोगों के प्रकार हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
चर्म रोग (त्वचा विकार) के लक्षण स्थायी और अस्थायी दोनों ही तरह के हो सकते हैं। इनमें दर्द या सूजन की समस्या भी हो सकती है और नहीं भी हो सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैंः
निम्न स्थितियां गंभीर चर्म रोग के लक्षण को दर्शा सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
चर्म रोग के कई लक्षण बहुत ही सुक्ष्म यानी छोटे हो सकते हैं, यानी इनका आकार बहुत ही छोटा हो सकता है, जो कुछ स्थितियों में अपने आप ठीक भी हो सकते हैं। लेकिन, अगर आपकों इनके आकार, रंग या प्रकार में किसी तरह का बदलाव दिखाई दे, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
त्वचा के रोग या चर्म रोग के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें भौतिक और रासायनिक दोनों ही तरह के कारण शामिल हो सकते हैं। यहां पर भौतिक कारणों का अर्थ किसी तरह के स्वास्थ्य विकार से और रासायनिक कारणों से तात्पर्य किसी तरह के ब्यूटी उत्पाद, दवाओं या खाद्य पदार्थों से होने वाले एलर्जी या साइड इफेक्ट्स से संबंधित हो सकते हैं। जिनमें शामिल हो सकते हैंः
जन्मजात कारणों से होने वाले चर्म रोग कई प्रकार के हो सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
चर्म रोग या त्वचा संबंधी रोग जन्मजात भी हो सकते हैं। इसका मुख्य कारण त्वचा का अधूरा या खराब तरह से जिसे मैलडेवलपमेंट (maldevelopment) कहते हैं, हो सकता है। इस प्रकार के रोग शिशु के जन्म के कुछ दिनों के बाद ही दिखाई देने लगते हैं। जैसे, त्वचा के किसी हिस्से पर लाल धब्बे (nevus) पड़ना, जो ऊभरे हुए हों। ये शरीर के किसी भी अंग पर निकल सकते हैं। हालांकि, इस तरह के चर्म रोगों का निशान सामान्य तौर पर शिशु की बढ़ती उम्र के साथ हल्के पड़ने लगते हैं, यानि शिशु के तीन से चार साल के होने पर अपने आप ठीक भी हो जाते हैं।
हालांकि, अगर आपको अपने नवजात शिशु में जन्म के बाद इस तरह के किसी भी लक्षण पर सदेंह हो, तो आपको तुरंत इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को देना चाहिए और किसी अनुभवी त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
इसके अलावा, कुछ नवजात शिशुओं में जन्म के बाद उनकी त्वचा काफी ड्राई होने लगती है, जो देखने में एक मछली की त्वचा की तरह दिखाई दे सकता है। लेकिन, इस तरह के चर्म रोग की स्थिति शिशु की उम्र बढ़ने पर दूर नहीं होते हैं, बल्कि यह जन्म भर रह सकते हैं। ऐसे शिशुओं और व्यक्तियों को अपनी शारीरिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना पड़ सकता है। इन्हें, नहाने के दौरान अपने प्रभावित अंग के साथ-साथ शरीर के किसी भी हिस्से पर साबुन का प्रयोग करने से परहेज करना चाहिए। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह के कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी हो सकता है।
कुछ लोगों की त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियां (cornea) जन्म से ही सफेद हो सकते हैं। जो एक प्रकार का चर्म रोग हो सकता है। इस तरह की स्थिति को सूरजमुखी या वर्णहीन (albino) कहते हैं। ऐसे लोगों को बाहर धूप के संपर्क में जाने से बचना चाहिए, क्योंकि उनकी त्वचा सूर्य की रोशनी के प्रति काफी संवेदनशील हो सकती हैं। साथ ही, घर से बाहर धूप में निकलते समय आंखों को बचाने के लिए इन्हें धूप का चश्मा भी पहनना चाहिए।
भौतिक कारणों से होने वाले चर्म रोग कई प्रकार के हो सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
चर्म रोग के कारणों में भौतिक कारणों से मतलब किसी तरह से शारीरिक चोट लगना या किसी तरह की बीमारी होना सामिल हो सकता है, जैसेः किसी वस्तु के त्वचा पर अधिक दबाव पड़ना, गर्मी के कारण त्वचा का झुलसना। इसके मुख्य कारण हो सकते हैं, जैसे एक्स-रे की प्रक्रिया या शरीर के अंदर किसी तरह के केमिकल का इंजेक्ट करना।
बहुत देर तक पानी में रहने या किसी तरह के हार्ड साबुन का इस्तेमाल करने से भी त्वचा विकार हो सकते हैं। इसकी अधिकतर समस्या धोबी जैसे काम-काज करने वाले लोगों में अधिक हो सकती है। क्योंकि, उनके दिन का ज्यादातर समय पानी वाले कामों में गुजरता है।
बहुत कम तापमान या सर्दी में भी त्वचा की कोमल छोटी-छोटी महीन रक्तवाहनी (खून की नसें) की शिराएं सिकुड़ने लगती हैं जिसके कारण त्वचा का रंग नीला हो सकता है। इन शिराओं में खून जम जाता है और त्वचा अंदर से गलने लगती है। इसे शीतदंश या फोर्स बाईट (frost-bite) कहते हैं। इस का प्रभाव कान, नाक और हाथ पैर की उंगलियों पर पड़ सकता है। इसकी अधिकतर समस्या सैनिकों में देखी जा सकती है, जो पर्वतीय सीमा की रक्षा करते हैं।
कैमिकल रिएक्शन यानी त्वचा पर किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का बुरा प्रभाव पड़ना। आज के समय में मार्केट में स्किन और हेयर केयर के नाम पर कई तरह के उत्पाद आसानी से पाए जा सकते हैं। जो त्वचा और बालों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे स्थानों पर काम करने वाले श्रमिकों को व्यावसायिक त्वचा रोग (occupational skin diseases) के होने का खतरा भी सबसे अधिक हो सकता है। उनकी सुरक्षा के लिहाज से उनके हर दिन उनके स्वास्थ्य, कार्य करने के तरीकों और उस दौरान सावधानी बरतने जैसी बातों का मुख्य तौर पर ख्याल रखा जाना चाहिए।
शरीर की स्वच्छता का ध्यान न रखने या प्रदूषित वातावरण में रहने के कराण भी चर्म रोगों को जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकते हैं, जिसे छूत के रोग कहा जाता है। ऐसे रोगों में अधिकांश रूप से खाज (scabies), जूं (pediculosis) और दाद (ringworm) जैसी समस्या मुख्य रूप से हो सकती है।
हमारी त्वचा पर कई तरह के जीवाणु रहते हैं। जो कई बार फोड़े (boils), फुंसियों (furrunculosis) का कारण बन सकते हैं। इस तरह के बैक्टीरिया हमारे शरीर के नाक, कान, नाखूनों जैसे हिस्सों में छिपे हो सकते हैं।
त्वचा के संक्रमण के कारण कई प्रकार से हो सकते हैं, जैसे अगर स्किन इंफेक्शन किसी बैक्टीरिया के प्रभाव से हुआ हो, तो इसका मुख्य कारण किसी तरह का चोट लगना या त्वचा में खरोंच हो सकता है।
लेकिन, किसी वायरस के कारण हुए चर्म रोग के पीछे पॉक्सवायरस (Poxvirus), हयूमन पैपिलोमावायरस (Human papillomavirus) और हर्पीस वायरस (Herpes virus) जिम्मेदार हो सकते हैं।
वहीं, सूक्ष्म जीवों के कारण होने वाले चर्म रोग में शामिल हो सकते हैंः
हरपीज जोस्टर (Herpeszoster), एक तरह का चर्म रोग है। इसमें शरीर पर छाले पड़ जाते हैं और दर्द होता है। लेकिन इस रोग में छोटी आयु के बच्चों को दर्द का कम एहसास होता है, जबकि बड़ी उम्र के लोगों को गंभीर दर्द हो सकता है।
इनमें कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनका अभी तक उचित उपचार नहीं खोजा जा सका है।
इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर के ग्रुप को इंफ्लामेट्री बॉवेल डिजीज कहा जाता है, जो कि डायजेस्टिव ट्रैक में इंफ्लामेशन का कारण बनता है। ये बॉवेल रिलेटेड डिसऑर्डर स्किन प्रॉब्लम का कारण बन सकते हैं। इन बीमारियों को इलाज करने के लिए जिन दवाओं का उपयोग होता है वे कुछ स्किन कंडिशन का कारण बन सकती हैं। जो निम्न हैं।
कई डायबिटीज से पीड़ित लोग कई प्रकार स्किन कंडिशन का अनुभव करते हैं। कुछ स्किन कंडिशन केवल डायबिटीज के मरीजों को प्रभावित करती हैं। वहीं कुछ दूसरी स्किन प्रॉब्लम्स भी डायबिटीज के मरीजों में फ्रीक्वेंटली देखी जाती हैं क्योंकि वे ये बीमारियां इंफेक्शन और ब्लड सर्कुलेशन का रिस्क बढ़ा देती हैं। डायबिटीज रिलेटेड स्किन कंडिशन में निम्न शामिल हैं।
लूपस एक क्रोनिक इंफ्लामेट्री डिजीज है जो शरीर के अंदर की त्वचा, जोड़ों या अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। लूपस से होने वाली आम त्वचा समस्याओं में शामिल हैं:
गर्भावस्था, हॉर्मोन के स्तर में महत्वपूर्ण बदलाव का कारण बनती है जिससे त्वचा की समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान त्वचा की समस्याएं बढ़ सकती हैं या बिगड़ सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली अधिकांश त्वचा की स्थिति बच्चे के जन्म के बाद चली जाती है। गर्भावस्था के दौरान कई लोगों को स्किन प्रॉब्लम को चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
गर्भावस्था के कारण सामान्य त्वचा की स्थितियों में शामिल हैं:
तनाव हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जो त्वचा विकारों को ट्रिगर या उत्तेजित कर सकता है। तनाव से संबंधित त्वचा की समस्याओं में शामिल हैं:
सूरज की धूप कई अलग-अलग त्वचा विकारों का कारण बन सकती है। कुछ सामान्य और हानिरहित होते हैं, जबकि अन्य दुर्लभ या जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं। सूर्य आपकी त्वचा के विकार का कारण बनता है या उसे और बिगाड़ सकता है, यह जानने के लिए इसका सही उपचार करना महत्वपूर्ण है।
सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से निम्न स्थितियां हो सकती हैं या इनमें वृद्धि हो सकती है:
आपके लक्षणों और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए आपके डॉक्टर आपके चर्म रोग के निदान के बारे में उचित प्रक्रिया कर सकते हैं। वे आपसे आपके स्वास्थ्य को लेकर कुछ निजी सवाल पूछ सकते हैं और आपके लक्षणों के बारे में आपसे बात कर सकते हैं। जिसके आधार पर वो निम्न टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
पैच टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान त्वचा की एलर्जी का पता लगाया जाता है। इसके लिए चेहरे पर एक चिपकने वाले पदार्थ को लगाया जाता है,जिसे कुछ समय बाद त्वचा से हटाकर उसकी जांच की जाती है।
स्किन बायोप्सी की प्रक्रिया में त्वचा की जांच की जाती है। जो स्किन कैंसर या सौम्य त्वचा विकारों की जानकारी दे सकती है।
कल्चर टेस्ट की प्रक्रिया में संक्रमण करने वाले सूक्ष्मजीवों, जैसे- बैक्टीरिया, कवक या वायरस की पहचान की जाती है। इन बैक्टीरिया, कवक या वायरस की पहचान करने के लिए स्किन, बाल या नाखूनों का टेस्ट किया जा सकता है।
चर्म रोग की रोकथाम करने के लिए आपको निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसेः
गैर-संक्रामक त्वचा विकार, जैसे मुंहासे और एटोपिक डर्मेटाइटिस कभी-कभी रोके जा सकते हैं। रोकथाम तकनीक स्किन प्रॉब्लम की कंडिशन के आधार पर भिन्न होती है। यहां कुछ असामयिक त्वचा विकारों को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:
त्वचा विकारों के लिए उचित देखभाल और उपचार के बारे में सीखना स्किन हेल्थ के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। कुछ कंडिशन में डॉक्टर की देखरेख की आवश्यकता होती है, जबकि आप कुछ स्किन प्रॉब्लम्स को घर पर सुरक्षित रूप से ठीक किया जा सकता है। आपको अपने लक्षणों या स्थिति के बारे में जानना औस समझना चाहिए और अच्छी उपचार विधियों को निर्धारित करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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आपके चर्म रोग के लक्षणों और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए, आपके डॉक्टर आपके लिए उचित उपचार सुझाव दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा होगा और चर्म रोग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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