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कई लोगों के साथ ओरल सेक्स करने से काफी बढ़ जाता है सिर और गले के कैंसर का खतरा

कई लोगों के साथ ओरल सेक्स करने से काफी बढ़ जाता है सिर और गले के कैंसर का खतरा

कैंसर घातक और खतरनाक हो सकता है। किसी व्यक्ति में कैंसर का पता चलने पर उसके लिए इसे पचा पाना आसान नहीं होता है और यह बात काफी हद तक समझनी मुश्किल होती है। इसके साथ ही बहुत सारी और चीज़ें भी आती हैं। कैंसर को बढ़ावा देने वाले बहुत सी वजहें होती हैं। जर्नल एनल्स ऑफ़ ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित शोध के मुताबिक, ऐसे लोग जो धूम्रपान करते हैं और पांच या इससे ज़्यादा साथियों के साथ ओरल सेक्स करते हैं, उनमें कैंसर उभरने की आशंका ज़्यादा होती है जो ह्यूमन पैपीलोमा वायरस के संपर्क में आने से बढ़ता है। सिर्फ़ 0.7 फीसदी पुरुष अपने जीवन में ओरोफैरिंगल कैंसर (oropharyngeal cancer) (गले के बीच के हिस्से का कैंसर) से पीड़ित होते हैं। यह खतरा उन लोगों में काफी कम होता है जो धूम्रपान नहीं करते हैं, महिलाओं में और उन लोगों में जो पांच से कम साथियों के साथ ओरल सेक्स करते हैं।

ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (HPV) और कैंसर का ताल्लुक

नाक के पीछे गले का एक खास हिस्सा होता है जहां से ओरोफैरिंगल कैंसर (oropharyngeal cancer) शुरू होता है। लोगों में पाए जाने वाले लक्षणों में गले में बिना दर्द के सूजन आना या गांठें पड़ जाना शामिल है। इसके बाद गला या जीभ खराब होने, कान में दर्द, निगलने में परेशानी, आवाज़ बदल जाने, सांस लेने पर बदबू आने या अचानक से वज़न कम होने जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। हालांकि एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) की 100 से भी ज़्यादा प्रकार हैं लेकिन खतरा खास तौर पर तीन तरह के एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) में ही होता है- एचपीवी (Human papillomavirus) 16 या 18 जिससे सर्वाइकल कैंसर होता है और एचपीवी 16 जो ओरोफैरिंगल कैंसर को बढ़ाता है।

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शोधार्थियों ने पाया है कि कैंसर के खतरे वाले एचपीवी (Human papillomavirus) के साथ ओरल इंफेक्शन के सबसे कम मामले ऐसी महिलाओं में पाए जाते हैं जिनके ओरल सेक्स पार्टनर्स की संख्या एक या एक भी ना हो। इन महिलाओं में 1.8 फीसदी धूम्रपान करती थीं और 0.5 फीसदी धूम्रपान न करने वाली महिलाएं थीं। इंफेक्शन यानी संक्रमण का खतरा 1.5 फीसदी उन महिलाओं में बढ़ गया जिनके ओरल सेक्स पार्टनर्स की संख्या दो या दो से ज़्यादा थी। पुरुषों के मामले में उन पुरुषों में सबसे कम खतरा रहा जिनके ओरल सेक्स पार्टनर्स का संख्या एक या नहीं थी। ओरल एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) इंफेक्शन से प्रभावित पुरुषों की संख्या 1.5 फीसदी रही। दो या चार लोगों के साथ ओरल सेक्स  (oral sex) और धूम्रपान न करने वाले पुरुषों में संक्रमण से प्रभावित होने की दर बढ़कर 4 फीसदी रही जबकि धूम्रपान करने वालों में यह संख्या 7.1 फीसदी रही।

धूम्रपान करने वाले ऐसे पुरुष जिनके ओरल सेक्स पार्टनर्स की संख्या पांच या ज़्यादा रही, उनमें एचपीवी इंफेक्शन की दर 7.4 फीसदी रही। संक्रमण की सबसे ज़्यादा दर 15 फीसदी उन पुरुषों में रही जिनके ओरल सेक्स पार्टनर्स (sex partners) पांच या ज़्यादा रहे और वे धूम्रपान भी करते थे। इन दो व्यवहारों की वजह से संक्रमित होने के बढ़ते खतरे से ऐसे लोगों की पहचान करने में मदद मिली जिनमें सिर और गले का कैंसर होने का खतरा ज़्यादा है। इसका इस्तेमाल उन लोगों की जांच करने के लिए किया जा सकता है जिनमें खतरा अधिक है।

एचपीवी - Human papilloma virus

ओरल एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) इंफेक्शन की जांच ही सही जवाब नहीं है, क्योंकि कैंसर अब भी बहुत दुर्लभ है। मौजूदा जांचों से ऐसे व्यक्ति की पहचान की जा सकती है जो ओरल एचपीवी से संक्रमित हैं लेकिन इससे भविष्य में कैंसर के खतरे का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। एचपीवी इंफेक्शन (HPV injections) से बचने के लिए एचपीवी (Human papillomavirus) वैक्सीन ली जा सकती है। जीवन के शुरुआती दिनों में वैक्सीन लेने सर्वाइकल कैंसर और एनल कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। इसके अलावा सिर और गले के कैंसर से भी बचाव हो सकता है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में जैसे-जैसे बच्चों को वैक्सीन मिल जाएगी, एचपीवी की वजह से होने वाला कैंसर भी काफी कम हो जाएगा।

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कैसे होता है कैंसर (cancer)?

कैंसर एक व्यापक शब्द है जिसमें इससे जुड़ी विभिन्न बीमारियों को शामिल किया जाता है। कैंसर कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है जो धीरे-धीरे आसपास की कोशिकाओं तक पहुंच जाता है। कैंसर शरीर के किसी हिस्से तक पहुंच सकता है। चूंकि शरीर की कुछ कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि अन्य कोशिकाओं को प्रभावित करती है, ऐसे में शरीर सामान्य ढंग से काम नहीं कर पाता है।

सामान्य तौर पर मानवीय कोशिकाएं बढ़ती हैं और शरीर की ज़रूरत के मुताबिक नई कोशिकाएं बनाने के लिए विभाजित हो जाती हैं। समय के साथ पुरानी या क्षतिग्रस्त कोशिकाएं मर जाती हैं और नई कोशिकाएं मृत कोशिकाओं की जगह ले लेती हैं। कैंसर की वजह से इस प्रक्रिया में बाधा आती है। चूंकि कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, नई कोशिकाएं मौजूदा पुरानी या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के साथ ही बनने लगती हैं। पुरानी या क्षतिग्रस्त कोशिकाएं अपने समय से ज़्यादा समय तक बनी रहती हैं और नई कोशिकाएं तब भी बनती हैं जब उनकी ज़रूरत नहीं होती हैं। इसके बाद, ये अतिरिक्त कोशिकाएं फिर से विभाजित हो जाती हैं और इसकी वजह से ट्यूमर हो सकता है। ज़्यादातर कैंसर ट्यूमर में होते हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सभी ट्यूमर में कैंसर हो। ट्यूमर दो तरह के होते हैं- नुकसानरहित और घातक। नुकसानरहित ट्यूमर मूल रूप से कैंसर से प्रभावित हैं और वे ना तो शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलता है और ना ही नए ट्यूमर बनते हैं। घातक ट्यूमर पूरे शरीर में फैलते हैं और शरीर के नियमित कामकाज को प्रभावित करते हैं। ऐसे ट्यूमर जानलेवा हो सकते हैं। चूंकि कैंसर बहुत ही गंभीर बीमारियों का समूह है लेकिन इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं। इनमें जीवनशैली की आदतें, जेनेटिक्स, कार्सिनोजेंस और पर्यावरण से जुड़ी वजहें हो सकती हैं। कई बार डॉक्टर कुछ मामलों में किसी खास कारण का पता लगाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। कैंसर के पीछे जोखिम के कई कारण हो सकते हैं और इनमें से कुछ को रोका जा सकता है। ऐसे कुछ कारण हैः धूम्रपान, भारी मात्रा में एल्कोहॉल पीना, शरीर का ज़्यादा वजह या खराब पोषण इत्यादि।

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कैंसर के ये हैं सामान्य लक्षण (symptoms of cancer)

कैंसर कई तरह के होते हैं। कैंसर कोई अकेली बीमारी नहीं है। कैंसर फेफड़ों, मस्तिष्क, स्तन, कोलोन, किडनी, आंतों, त्वचा या खून में भी हो सकता है। कुछ तरीकों से कैंसर एक जैसे होते हैं, लेकिन उनके बढ़ने और फैलने के तरीके अलग हो सकते हैं। स्तन कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला और पुरुषों में प्रोस्टैट कैंसर सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है। फेफड़े का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में बड़ी संख्या में पाया जाने वाला कैंसर है।

हर तरह के कैंसर में कुछ सामान्य प्रकार के लक्षण होता है। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  • अचानक वजन कम होना
  • बिना किसी वजह से थकान होना
  • शरीर के किसी हिस्से में या पूरे शरीर में लगातार दर्द और दवाएं लेने के बाद भी दर्द न जाना
  • अचानक मल में या मूत्र में या कफ में खून आना
  • छाले जो आसानी से ठीक न हो
  • भूख में अचानक बदलाव होना
  • किसी उचित या सामान्य कारण के बिना बार-बार बुखार आना
  • दवाएं लेने के बाद भी या कुछ दिनों के बाद फिर से होने वाला कफ
  • बार-बार सीने में संक्रमण
  • आवाज़ में असामान्य बदलाव
  • त्वचा में असामान्य बदलाव
  • स्तन के आकार में अचानक असामान्य बदलाव जिसमें स्तन के आकार में बदलाव, निप्पल से होने वाला असामान्य डिस्चार्ज, निप्पल के आसपास कुछ निशान या स्तन का सामान्य से भारी महसूस होना

जब मामला कैंसर का हो तो मृत्यु हो ही सकती है। पूरी दुनिया में हर साल लाखों लोग कैंसर की वजह से मारे जाते हैं। लेकिन चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सा प्रौद्योगिकी में आई आधुनिकता के बीच आजकल कई तरह के कैंसर के मामलों में जीवन बचने की दर बढ़ रही है। शुरुआती दौर में पता चल जाने पर ज़्यादातर तरह के कैंसर का उपचार संभव है। लेकिन अब तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर भी पूरे आत्मविश्वास के साथ कैंसर को पूरी तरह ठीक कर देने का दावा नहीं कर सकते हैं क्योंकि अब तक डॉक्टर कैंसर के बारे में सब कुछ नहीं जानते हैं। कैंसर की कुछ कोशिकाएं शरीर के किसी हिस्से में बनी रह सकती हैं और बिना किसी लक्षण के बढ़ सकती हैं जब तक कि ये पूरे शरीर में न फैल जाए।

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ये हैं कैंसर के लिए उपलब्ध उपचार (cancer treatment)

स्वास्थ्य के नियमित जांच कैंसर का समय से पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे कई मेडिकल टेस्ट हैं जिसमें कैंसर का पता लगाया जा सकता है जैसे बायोप्सी, ब्लड टेस्ट, बोन-मैरो टेस्ट, पीईटी स्कैन, एमआरआई, सीटी स्कैन इत्यादि। फिलहाल इन दिनों कुछ और तरीकों से भी कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है या दूसरे शब्दों में जीवन प्रत्याशा को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इन उपचारों के कुछ विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। कैंसर का उपचार उसके प्रकार और उसके स्टेज पर निर्भर करता है। ऐसे कुछ उपचार इस प्रकार हैं:

  • सर्जरी: सर्जरी का मतलब है कि शरीर के खास हिस्से में मौजूद कैंसर वाले ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। लेकिन जब ट्यूमर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है तो सर्जरी काम नहीं आती है।
  • रेडिएशन थेरेपी: इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक्स-रेज़ का इस्तेमाल कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने के लिए किया जाता है।
  • कीमो थेरेपी: इस प्रक्रिया में, कुछ रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करते हैं।
  • हार्मोन थेरेपी: प्रोस्टैट और स्तन कैंसर में इस उपचार का इस्तेमाल किया जाता है। हार्मोन थेरेपी में कुछ ऐसी दवाएं होती हैं जिससे हार्मोन के काम करने का तरीका बदल जाता है।
  • इम्यूनोथेरेपी: इस प्रक्रिया में कुछ खास दवाएं और अन्य उपचारों का इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और हम कैंसर की कोशिकाओं का मुकाबला कर सकते हैं।
  • टारगेटेड थेरेपी: यह थेरेपी कैंसर प्रभावित कोशिकाओं को आगे बढ़ने से रोकती है। इस प्रक्रिया से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

कैंसर बेहद जटिल बीमारियों का समूह है जो तब तक कभी भी वापस आ सकते हैं जब तक उपचार अच्छी तरह पूरा न हुआ हो। कैंसर के मामले में उपचार के बाद भी खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है। संतुलित आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम दो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ें हैं जिनका कड़ाई से पालन करना ज़रूरी है। अमेरिका में धूम्रपान कैंसर के जोखिम के बीच सबसे बड़ा खतरा है। इसके अलावा एल्कोहॉल पीने से भी खतरा बढ़ता है। सेहतमंद जीवनशैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है लेकिन तनावमुक्त रहना भी ऐसा पहलू है जिस पर ध्यान देना चाहिए। कैंसर के उपचार आधिकारिक तौर पर खत्म हो जाने के बाद भी व्यक्ति को नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए, ताकि फिर से कोई परेशानी होने पर उचित कदम उठाया जा सके।

डिस्क्लेमर

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Current Version

04/02/2021

Written by डॉ. निरंजन नाइक

Updated by: Toshini Rathod


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Written by

डॉ. निरंजन नाइक

ऑन्कोलॉजी · फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम


अपडेटेड 04/02/2021

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