परिचय
क्लोरोफिल (Chlorophyll) क्या है?
क्लोरोफिल (Chlorophyll) को हिंदी में पर्णहरिम कहते हैं। अगर पर्णहरिम को हम दो शब्दों में बांटें तो एक पर्ण होगा और दूसरा हरिम। पर्ण का मतलब पत्तियां (Leaf) और हरिम हरे रंग (Green) को कहते हैं। यानी कि पर्णहरिम पौधे में पाया जाने वाला एक हरा पिगमेंट है। पर्णहरिम का पौधों में मुख्य कार्य भोजन बनाने का होता है। लोग इसे दवाओं के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। दवाओं में प्रयोग होने वाला पर्णहरिम सामान्यतः अल्फालफा और कवक (Algae) से पाया जाता है। ये स्किन कैंसर और अग्नयाशय जैसी समस्याओं का इलाज करने के काम आता है।
इसमें कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और मैग्निसियम का मिश्रण पाया जाता है। जो क्लोरोफिल-ए और क्लोरोफिल-बी के रूप में दो प्रकारों में होता है। आमतौर पर यह सभी हरे पौधों में पाया जाता है, जो खुद से ही पोषित होते हैं। इसके साथ साथ दो अन्य घटक कैरोटीन (C40 H56) और जैथोफिल (C40 H56 O2) भी पत्तों में पाए जाते हैं।
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कैसे काम करता है क्लोरोफिल?
अभी तक इस विषय पर कोई भी पुष्टि नहीं हुई है। किसी भी अध्ययन में यह बात स्पष्ट नहीं हुई है कि क्लोरोफिल मानव शरीर पर काम कैसे करता है। हालांकि, पौधे में किए गए अध्ययन के मुताबिक, क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का अवशोषण करता है और हवा के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड से पौधों में कार्बनिक यौगिकों का निर्माण करता है। हालांकि,पौधे में इसके खुद का निर्माण भी सूर्य के प्रकार से ही बनता है। इसके रासायनों की जानकारी सबसे पहले 1911 ई. में विल्स्टेटर (Willstatter) नाम के जर्मन रसायनज्ञ ने दी थी। उन्होंने इसके योगियों को अलग किया था और इसमें पाए जाने वाले त्वतों का अध्ययन करके इसका अस्थायी रासायनिक सूत्र निर्धारित किया। साथ ही, उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान यह भी पता लगाया कि क्लोरोफिल के दो प्रकार होते हैं। ये दोनों 3:1 के अनुपात में हरे पत्तों में पाए जाते हैं। हरे पत्तों के 1,000 भाग में 2 भाग क्लोरोफिल-ए का होता है, जबकि, पत्ते के 3/4 भाग में क्लोरोफिल-बी होता है, बाकी के 1/6 भाग में जैथोफिल और कैरोटीन होता है।
इसके अलावा, क्लोरोफिल, में 2.6 फीसदी मैग्नीशियम होता है। हालांकि, इसमें आयरन या फॉस्फोरस नहीं होता है। इसके जलविश्लेषण से मेथिल ऐल्कोहल और फीटोल ऐल्कोहल (C20 H400) और 8 पाइरोल जैसे रसायान का निर्माण होता है। क्लोरोफिल एक मोम सा पदार्थ होता है जो पानी में नहीं घुलता है।आमतौर पर, क्लोरोफिल रंगरहित खाद्य पदार्थ के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसका ई नंबर E140 है। क्लोरोफिल का उपयोग अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थों के साथ-साथ पेय पदार्थों को हरा रंग देने के लिए किया जाता है, जैसे कि पास्ता और स्प्रिट।
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उपयोग
इसका उपयोग किस लिए किया जाता है?
इंसानी शरीर के लिए पर्णहरिम बड़े काम की चीज है। इसका उपयोग कई तरह की समस्याओं में किया जाता है-
मुंह की दुर्गंध को दूर करना : क्लोरोफिल का उपयोग मुंह से आने वाली दुर्गंध को दूर करने के लिए किया जाता है।
मुंहासे (Acne) : पर्णहरिम का प्रयोग चेहरे पर करने से मुंहासे दूर होते हैं। साथ ही उनके दाग भी खत्म हो जाते हैं।
हर्पिज वायरस के कारण घाव (Sores by herpes virus) : हर्पिज के द्वारा हुए घावों पर क्लोरोफिल का प्रयोग करने से चोट जल्दी भरती है।
अग्नयाशय संबंधी रोग (Pancreas Disease) : कभी-कभा अग्नयाशय में सूजन आ जाती है, जिससे पीड़ित को दर्द होता है। इसलिए अग्नयाशय से संबंधित रोग के इलाज के लिए भी पर्णहरिम का इस्तेमाल किया जाता है।
त्वचा और फेफड़े का कैंसर (Skin and lung cancer) : इसके इंजेक्शन का प्रयोग त्वचा और फेफड़े के कैंसर में किया जाता है। जिससे कैंसर के कारण होने वाले घाव भर जाते हैं।
इसके अलावा, पर्णहरिम कब्ज, वजन कम करने में, प्राकृतिक डियोडरेंट के रूप में और चोट को भरने के काम में आता है।
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सावधानियां और चेतावनी
क्लोरोफिल का उपयोग करने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
क्लोरोफिल का प्रयोग हमें अपने मन से कभी नहीं करना चाहिए। इसलिए जब भी आपको पर्णहरिम का सेवन करना हो तो एक बार अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट का परामर्श जरूर लें। अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से बात कर लें।
ये कितना सुरक्षित है?
अगर क्लोरोफिल को एक्सपर्ट या डॉक्टर के निर्देशन के अंतर्गत लिया जा रहा है तो यह पूरी तरह सुरक्षित है। इसलिए रिस्क न लें अपके डॉक्टर के परामर्श के आधार पर ही इसका सेवन करें।
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साइड इफेक्ट्स
क्लोरोफिल से मुझे क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं?
इसका सेवन करना काफी हद तक सुरक्षित है और इसके ज्यादा साइड इफेक्ट्स नहीं है। लेकिन, कुछ लोगों में पर्णहरिम धूप में त्वचा में सेंसटिविटी उत्पन्न करता है। ऐसे में आपको अपनी त्वचा को पूरी तरह से ढक कर रखना चाहिए। ताकि सूर्य की रोशनी सीधे आपकी त्वचा पर ना पड़े।
प्रभाव
क्लोरोफिल के साथ मुझ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
क्लोरोफिल का सेवन डॉक्टर या हर्बलिस्ट के देखरेख में लेना ही बेहतर है। इसके अलावा अगर कुछ दवाओं के साथ इसका सेवन किया जाता है तो त्वचा धूप में सेंसटिव हो जाता है। जिससे त्वचा पर सनबर्न और रैशेज होने का खतरा रहता है। इन दवाओं के साथ आप क्लोरोफिल का सेवन न करें:
- सिप्रोफ्लॉक्सासीन (Ciprofloxacin)
- नॉरफ्लॉक्सासीन (Norfloxacin)
- लोमेफ्लॉक्सासीन (Lomefloxacine)
- ओफ्लॉक्सासीन (Ofloxacine)
- लेवोफ्लॉक्सासीन (Levofloxacin)
- स्पारफ्लॉक्सासीन (Sparfloxacin)
- गैटीफ्लॉक्सासीन (Gatifloxacin)
- टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline)
- ट्रायॉक्सालेन (Trioxsalen)
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खुराक
क्लोरोफिल की सही खुराक क्या है?
क्लोरोफिल की खुराक उम्र, स्वास्थ्य और रोग की स्थिति पर निर्भर करती है। अभी इसकी खुराक पर किसी भी तरह की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। हमेशा याद रखें कि पर्णहरिम प्राकृतिक होने के बाद भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। इसलिए जब बी इसका सेवन करने की जरूरत हो तो अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से जरूर परामर्श लें।
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उपलब्ध
ये किन रूपों में उपलब्ध है?
क्लोरोफिल दवाओं के रूप में मिलने के साथ ही प्राकृतिक स्रोतों से भी मिलता है। इसलिए दवाओं पर निर्भर तभी हों जब आपका डॉक्टर कहें लेने के लिए। आप चाहें तो इन प्राकृतिक स्रोतों से क्लोरोफिल का सेवन कर सकते हैं :
- व्हीटग्रास
- हरी फलियां
- पालक
- मटर
- अजमोद (parsley)
अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें।
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