परिचय
पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) क्या है?
पाठा (patha plant) एक तरह की औषधीय गुणों वाली घास होती है, जो अक्सर सड़कों या खेतों के किनारे की झाड़ियों में अपने-आप उग जाती है। पाठा (patha plant) को पाढ़र, पाढ़ी, पाठिका, रक्तघ्नी, पाठ, पाढ, पाठी, पुरइन पाढ़ी, अकनड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में वेलवेट लीफ (Velvet leaf), आस वाइन (Ice vine), परेरा (Pareira), फाल्स परेरा ब्रावा (False pareira brava) के नाम भी जाना जाता है। वहीं, पाठा का वानस्पतिक नाम सिसैम्पीलैस पेरिरा (Cissampelos pareira Linn.) और Syn-Cissampelos argentea Kunth. है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में इसका वानस्पतिक नाम साइक्लिया पेल्टाटा (Cyclea Peltata) है। यह मेनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) प्रजाति का पौधा होता है। भारत के सभी उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 2000 मीटर की ऊंचाई तक पाठा के पौधे पाए जा सकते हैं।
आयुर्वेदिक तौर पर, साइक्लिया पेल्टाटा का मुख्य रूप से इस्तेमाल अनेक तरह के स्त्री रोगों, प्रसव और गर्भपात से जुड़ी समस्याओं के लिए किया जा सकता है। इसकी वजह से इसे दाइयों की जड़ी-बूटी यानी मिडवाइव्स हर्ब भी कहा जाता है। पाठा (Patha) एक छोटी लता होती है जिसे बढ़ने के लिए किसी पेड़ या अन्य सहारे की जरूरत होती है। अगर इसके किसी तरह का सहारा न मिले तो यह जमीन पर भी फैल कर बढ़ सकती है। इसकी बेल पर बेल निकलती रहती है और इसकी लता पत्तों से भरी होती है। इसकी लताओं में छोटे-छोटे रोएं निकले हुए होते हैं। इसके पत्ते दिखने में गिलोय के पत्ते जैसे होते हैं और इसका सुंगंध भी गिलोय से काफी मिलता है। इसके पत्तों का आकार हल्का नुकीला और गोल होता है। पाठा के फूल छोटे और सफेद रंग के होते हैं। वहीं, साइक्लिया पेल्टाटा के फल मकोय के फल जैसे छोटे-छोटे होते हैं। हालांकि, पाठा (cyclea peltata) के फलों का रंग लाला होता है। पाठा (cyclea peltata) स्वाद में कड़वा और तीखा होता है। यह बहुत आसानी से पच जाता है, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है।
साइक्लिया पेल्टाटा (cyclea peltata) के पौधे दो प्रकार के होते हैं, हालांकि दोनों के गुण एक समान ही होते हैं।
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पाठा (cyclea peltata) के प्रकार
- छोटा पाठा (Stephania glabra (Roxb.)) (Cissampelos pariera)
- बड़ा पाठा (Cyclea peltata (Lam.) Hook.f. & Thomson)
पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) का उपयोग किसलिए किया जाता है?
साइक्लिया पेल्टाटा को आसानी से पचाया जा सकता है, हालांकि यह पेट के लिए गरम होता है। इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए। इसमें काफी मात्रा में फाइबर यानी रेशे होते हैं। यह कफ और वात के उपचार में अधिक लाभकारी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में पाठा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- किसी कीड़े के डंक के विष का प्रभाव नष्ट करने के लिए
- घावों को ठीक करने के लिए
- टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए
- शरीर में खून बढ़ाने के लिए
- स्तनपान के दौरान नई मां के स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए
- बुखार ठीक करने के लिए
- दस्त और उल्टी के उपचार के लिए
- पेशाब से संबंधित परेशानियों के उपचार के लिए
- डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए
- लिवर की गड़बड़ी को ठीक करने के लिए
- पीलिया के उपचार के लिए
- पेट में गैस दूर करने के लिए
- कम भूख लगने की समस्या दूर करने के लिए
- जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए
- खांसी के उपचार के लिए
- पथरी के कारण किडनी मे होने वाली सूजन को दूर करने के लिए
- बार-बार गर्भपात होने की समस्या को दूर करने के लिए
इसके विभिन्न औषधीय गुणों की वजह से इसका इस्तेमाल ऊपर बताई गई स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जा सकता है जिसके तौर पर आप साइक्लिया पेल्टाटा के पत्तों, जड़ों, शखाओं, फलों और जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी तरह के स्वास्थ्य स्थिति के उपचार या किसी भी रूप में इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको अपने डॉक्टर की उचित सलाह लेना जरूरी हो सकता है।
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पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) कैसे काम करता है?
हाल ही में हुए शोध अध्ययनों के मुताबिक, साइक्लिया पेल्टाटा में एंटीवायरल गुण होते हैं जो डेंगू के वायरस को शरीर से खत्म करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। साथ ही, पाठा में एंटी इनफ्लमेट्री गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर में सूजन की समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, इसके एंटीसेप्टिक गुण घावों को जल्दी भरने में मदद कर सकते हैं।
पाठा में निम्न औषधीय गुण पाए जा सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
इसके एल्कलॉइड यौगिक में बेरबेरिन (berberine) मुख्य रूप से पाया जाता है जो हाइपोटेंशन (hypotensive), एंटीफंगल (antifungal) और एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial) के रूप में कार्य कर सकता है।
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छोटा पाठा के औषधीय गुण
- हयातीन (hayatin)
- हयाटिनिन (hayatinin)
- मेनिस्मिन (menismine)
- मेथालोनिक एसिड (methalonic acid)
- सिसमीन (cissamine)
- साइक्लीनिन (cycleanine)
- बेबेरीन (bebeerine)
- हयातिदीन (hayatidin)
- क्वेरसिटोल (quercitol)
बड़ा पाठा के औषधीय गुण
- प्रोपीलामाइन (Propylamine)
- साइक्लिया माइन (Cyclea Mine)
- चोन्दोक्यूरिन (Chondocurine)
- मैग्नोफ्लोरिन (Magnoflorine)
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उपयोग
पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
पाठा के पत्तों, फल, जड़ या इसके पाउडर का इस्तेमाल करना एक औषधीय रूप में लाभकारी माना जा सकता है। हालांकि, आपको इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए आपको इसके ओवरडोज से बचना चाहिए। सिर्फ उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
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साइड इफेक्ट्स
पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
अधिकांश अध्ययनों के मुताबिक, एक औषधी के तौर पर पाठा का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। वैसे तो इससे किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले नहीं मिलते हैं, अगर मिले भी तो बहुत ही कम होते हैं। हालांकि, इसके अधिक सेवन से पेट या सीने में जलन की समस्या हो सकती है।
अगर आपको इसके सेवन से किसी भी तरह के साइड इफेक्ट् के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत इसका सेवन करना बंद करें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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डोसेज
पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) को लेने की सही खुराक क्या है?
पाठा का इस्तेमाल आप विभिन्न रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रतिदिन पाठा के सेवन की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
- पाठा का चूर्ण – 1 से 3 ग्राम
- पाठा का काढ़ा – 10 से 20 मिली
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उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
साइक्लिया पेल्टाटा (Cyclea Peltata) के निम्न रूपों का इस्तेमाल आप कर सकते हैंः
- पाठा का तेल
- पाठा का चूर्ण
- पाठा के पत्ते, जिसका इस्तेमाल सब्जी, चटनी और काढ़ा के रूप में भी किया जा सकता है, साथ ही इसके पत्तों के चूर्ण भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पाठा की जड़
- पाठा की गोलियां
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