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टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया की समस्या कैसे होती है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/11/2021

    टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया की समस्या कैसे होती है?

    डायबिटीज की समस्या व्यक्ति के लिए कई बार बड़ी परेशानियों की वजह बनती है। यदि समय पर डायबिटीज को कंट्रोल में ना लाया जाए, तो यह कई तरह के कॉम्प्लिकेशन का कारण बनती है। कई बार इससे व्यक्ति के लिए जान का जोखिम भी खड़ा हो सकता है। आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में हार्ट से जुड़ी समस्याओं को देखा जाता है। डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों में हृदय सम्बन्धी समस्याएं बेहद आम कॉम्प्लिकेशन मानी जाती है। इसलिए डायबिटीज से ग्रसित लोगों को अपनी हार्ट हेल्थ का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। आज हम बात करने जा रहे हैं हार्ट संबंधी समस्या के बारे में, जिसका नाम है साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia)। साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए खास तौर पर टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes) से जुड़ी जानकारी होना आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia) क्यों गंभीर रूप ले लेती है। लेकिन इससे पहले आइए जानते हैं डायबिटीज की समस्या कैसे होती है।

    डायबिटीज (Diabetes) की तकलीफ का सीधा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। आमतौर पर जब व्यक्ति खाना खाता है, तो शरीर भोजन से मिले शुगर को तोड़कर उसका इस्तेमाल कोशिका में उर्जा बनाने के लिए करता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए पैंक्रियाज को इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है। इंसुलिन हॉर्मोन शरीर में एनर्जी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन जब आप डायबिटीज की गिरफ्त में होते हैं, तो यही पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) पैदा नहीं कर पाती। इसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बढ़ता चला जाता है। जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल ज्यादा बढ़ जाता है, तो शरीर के कामकाज पर इसका प्रभाव पड़ता है और शरीर की कार्यप्रणाली कमजोर होती चली जाती है।

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    यदि समय पर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल ना किया जाए, तो डायबिटीज (Diabetes) अपने साथ-साथ कई अन्य जटिलताओं को भी साथ ले आता है। आपके साथ ऐसी स्थिति ना हो, इसलिए जरूरत है आपको डायबिटीज के लक्षण पहचानने की। आइए जानते हैं डायबिटीज के लक्षणों के बारे में।

    ये हो सकते हैं डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes)

    यह तो सभी जानते हैं कि डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकार होते हैं, टाइप वन डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप टू डायबिटीज (Type 2 Diabetes)। टाइप वन डायबिटीज में पैंक्रियाज (Pancreas) इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जिसकी वजह से बीमार व्यक्ति को इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। वहीं टाइप टू डायबिटीज में पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने की रफ्तार कम हो जाती है, जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। लेकिन जब आपको डायबिटीज की समस्या रहती है, तब आपको यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं –

    बार-बार प्यास लगना

  • ज्यादा पेशाब होना

  • वजन घटना

  • थकावट महसूस होना

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    ऐसे भी कुछ लक्षण हैं जो व्यक्तिगत रूप से किसी को महसूस हो सकते हैं और किसी को नहीं। जिनमें शामिल हैं:

  • मुंह सूखना

  • जख्म या कट्स भरने में ज्यादा समय लगना

  • त्वचा में खुजली होना

  • जब आपको यह लक्षण दिखाई दें, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी आप डॉक्टर से संपर्क करेंगे, उतनी ही जल्दी आप ब्लड शुगर लेवल को सामान्य स्तर पर ला सकते हैं। इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी माना जाता है। जैसा कि आपने जाना डायबिटीज के समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन सकती है, इसलिए डायबिटीज (Diabetes) को समय रहते कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। आज हम बात करेंगे डायबिटीज से जुड़े एक ऐसे कॉम्प्लिकेशन के बारे में, जो आपके हृदय स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। हम बात कर रहे हैं टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia) के बारे में। आइए जानते हैं टाइप टू डायबिटीज से ग्रसित लोगों में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया किस तरह हो सकता है।

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    टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया की समस्या पर क्या कहती है रिपोर्ट? (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes)

    टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes)

    नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes) की समस्या कई लोगों में देखी जाती है। साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें मायोकार्डियल इस्कीमिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। जिसकी वजह से व्यक्ति को अपनी हार्ट से संबंधित समस्या के बारे में जल्द पता नहीं चलता। यही वजह है कि डायबिटीज के साथ-साथ हार्ट से संबंधित यह समस्या व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। यही वजह है कि टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia) का पता लगाने के लिए व्यक्ति को सालाना चेकअप की जरूरत पड़ती है, जिससे हार्ट में हो रहे बदलाव को समझा जा सके। टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया की समस्या कई लोगों में देखी गई है, जो एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के तौर पर मानी जाती है। इससे कई बार व्यक्ति के लिए जान का जोखिम भी खड़ा हो सकता है। खास तौर पर जिन लोगों को, जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) की समस्या है। साथ ही साथ जो लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं, उन लोगों को साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।

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    जिन लोगों को लंबे समय से डायबिटीज की समस्या है, उन लोगों में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia) की समस्या हो सकती है। इसका कारण कार्डियक ऑटोनॉमिक डिस्फंक्शन माना जाता है। टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes) की समस्या एक गंभीर स्थिति पैदा करती है, इसलिए डायबिटीज से ग्रसित लोगों को खासतौर पर इस समस्या पर ध्यान देना जरूरी माना जाता है। यदि आप डायबिटीज से ग्रसित हैं और साथ ही आपको कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) की समस्या है, तो आपको अपनी सेहत का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है।

    डायबिटीज के कारण कई बार आपका हार्ट बुरी तरह प्रभावित होता है, यही वजह है कि टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia in Patients With Type 2 Diabetes) की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर से संपर्क में बने रहना चाहिए और समय पर अपना इलाज करवाना चाहिए। साथ ही साथ डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब की हुई दवाओं को समय पर लेना चाहिए। इसके अलावा अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाकर आप डायबिटीज और हार्ट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को सामान्य बनाए रख सकते हैं। टाइप टू डायबिटीज में साइलेंट मायोकार्डिया इस्कीमिया (Silent Myocardial Ischemia) की समस्या एक गंभीर समस्या मानी जाती है, इसलिए डॉक्टर से इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर जल्द से जल्द इलाज करवाना आपके लिए जरूरी माना जाता है।

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