शुगर की बीमारी आजकल सामान्य है लेकिन, इससे होने वाले शारीरिक नुकसान बेहद ही गंभीर है। एक शोध के अनुसार डायबिटीज के पेशेंट के लिए विटामिन-डी बेहद जरूरी है। विटामिन-डी की कमी की वजह से विश्वभर डायबिटीज के मरीज देखे गए हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के रिसर्च के अनुसार साल 2017 में भारत में 72,946,400 लोग डायबिटीज से पीड़ित रहे।
डायबिटीज (Diabetes) क्या है?
डायबिटीज को मेडिकल भाषा में डायबिटीज मेलिटस कहते हैं। यह मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बहुत पुरानी और आम बीमारी है। डायबिटीज में, आपका शरीर इंसुलिन नाम के हॉर्मोन को बनाने और उसे इस्तेमाल करने की क्षमता खो देता है। डायबिटीज की बीमारी होने पर आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है। यह स्तिथि आगे चल कर आंखों, किडनी, नसों और दिल से संबंधित गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है।
डायबिटीज के प्रकार
टाइप 1 डायबिटीज
- टाइप 1 डायबिटीज या जुवेनाइल डायबिटीज एक तरह का ऑटोइम्यून विकार है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम आंतों पर अटैक करता है, जिसके कारण शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है
- अगर आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार हैं तो इसके लक्षण कम उम्र यानी बचपन से ही नजर आने लगते हैं
- टाइप 1 डायबिटीज का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज विरासती और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होती है।
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टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज, डायबिटीज की बहुत आम प्रकार है जिसमें डायबिटीज के तमाम प्रकारों से जुड़े 90 से 95 प्रतिशत लोग इस केटेगरी में आते हैं यह बीमारी ज्यादातर वयस्कता के बाद शरीर में अपनी जगह बनती है आजकल, मोटापा बढ़ने के कारण युवाओं और बच्चों में भी टाइप 2 डायबिटीज आम हो रही है ऐसा मुमकिन है कि आपको भी टाइप 2 डायबिटीज हो लेकिन आप इस बात से बेखबर हों
टाइप 2 डायबिटीज में आपके सेल्स इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाते हैं और आपका अग्न्याशय (पैंक्रिया) जरुरत के मुताबिक इंसुलिन नहीं बना पाता। आपके सेल्स को ऊर्जा के लिए शकर की जरुरत होती है लेकिन इस स्तिथि में चीनी का निर्माण सेल्स के बजाय रक्तप्रवाह में होता है
विटामिन-डी क्यों जरूरी है डायबिटीज के मरीजों के लिए?
विटामिन-डी की कमी से डायबिटीज और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार सूर्य की किरणें विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। पौष्टिक भोजन में विटामिन-डी और विटामिन-डी की दवाइयों की मदद से मेटाबॉलिक सिंड्रोम को रोकने में सहायक होता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से शुगर लेवल बिगड़ सकता है और हार्ट से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
जर्नल फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी के अनुसार मेटाबॉलिक सिंड्रोम फैट (वसा) बढ़ने के वजह से हो सकता है लेकिन, इसका एक कारण विटामिन-डी भी है। इसलिए सामान्य लोगों के साथ-साथ डायबिटीज के मरीजों के लिए भी शरीर में विटामिन-डी की सही मात्रा जरूरी है।
शरीर में विटामिन-डी की मात्रा कैसे बनाएं रखें संतुलित?
विटामिन-डी की मात्रा दो अलग-अलग रूपों में डी-2 और डी-3 दोनों ही ब्लड में विटामिन-डी को बढ़ाते हैं। खाद्य पदार्थों में विटामिन-डी मौजूद थोड़ी कम होती है। निम्नलिखित खाने-पीने की चीजों से विटामिन-डी आसानी से मिल सकता है, उनमें शामिल है:
- सूर्य प्रकाश- रोजाना सुबह की धूप में 15 से 20 मिनट बैठकर विटामिन-डी की कमी को पूरा किया जा सकता है।
- मछली– वसायुक्त मछली जैसे सैल्मन, ट्यूना और मैकेरल मछली विटामिन-डी के सबसे अच्छे स्रोतों में शामिल है।
- अंडा- अंडे के पीले (योल्क) वाले हिस्से के सेवन से विटामिन-डी की कुछ मात्रा मिल सकती है। क्योंकि इसमें विटामिन-डी की मात्रा होती है लेकिन, कम।
- डेयरी उत्पाद- दूध, पनीर और दही से विटामिन-डी प्राप्त किया जा सकता है।
डायबिटीज के मरीज एक्सपर्ट्स की सलाह अनुसार अपने आहार में विटामिन-डी की पूर्ति कर सकते हैं। लेकिन, विटामिन-डी जरूरत से ज्यादा लेने पर हानिकारिक भी हो सकता है।
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विटामिन-डी के लिए खाएं ये चीजें
गाय का दूध
गाय के दूध का सेवन बहुत सारे लोग करते हैं। विटामिन-डी का यह एक बहुत ही मुख्य स्रोत है। गाय के दूध में कैल्शियम, फॉस्फोरस और राइबोफ्लेविन (riboflavin) सहित कई पोषक तत्व मिलते हैं। आहार में इसका उपयोग डेफिशियेंसी से बचाता है।
सैल्मन मछली
सैल्मन एक वसायुक्त (फैट्स) मछली है और विटामिन-डी का एक बड़ा स्रोत भी है। 100-ग्राम सैल्मन मछली का सेवन करने में विटामिन-डी 361 से 685 IU (international unit) के बीच होता है।
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कॉड लिवर ऑयल
कॉड लिवर ऑयल विटामिन-डी का एक लोकप्रिय पूरक है। यदि आप मछली का सेवन नहीं करते तो कॉड लिवर ऑयल आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कॉड लिवर ऑयल भी विटामिन-ए का एक भरपूर स्रोत है। परंतु उच्च मात्रा में विटामिन-ए टॉक्सिक हो सकता है । इसलिए, कॉड लिवर ऑयल का सावधानीपूर्वक सेवन करें और इसे बहुत अधिक मात्र में न लें।
अंडा
जो लोग मछली नहीं खाते उनके लिए अंडा विटामिन-डी का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। एक अंडे में अधिकांश प्रोटीन उसके सफेद रंग के हिस्से में पाया जाता है। जब कि अंडे के पीले हिस्से में फैट्स, अन्य विटामिन, प्रोटीन और मिनरल पाए जाते हैं।
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मशरूम
मशरूम केवल एकमात्र ऐसा पौधा है जो विटामिन-डी का अच्छा स्त्रोत है। बाहर उगने वाले मशरूम जो प्रकाश के संपर्क में आते हैं उनमें विटामिन-डी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए घर के अंदर उगने वाले मशरूम में विटामिन-डी बहुत कम मात्रा में पायी जाती है। इसीलिए यदि आप अपने विटामिन-डी की कमी को मशरूम के सेवन से पूरा करने की सोच रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे धूप के पर्याप्त स्तर के संपर्क में हैं।
ऑरेंज जूस
कई फोर्टिफोइड संतरे के रस में अतिरिक्त विटामिन-डी होता है। अक्सर कई विभिन्न ब्रैंड के ऑरेंज जूस में अलग से भी कैल्शियम डाला जाता है जो कि कई मायने में फायदेमंद है। क्योंकि यह हमारे शरीर में बोन-बूस्टिंग मिनरल को समाने में मदद करता है।
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झींगा मछली
झींगा मछली विटामिन-डी का एक बहुत ही लोकप्रिय विकल्प है। बाक़ी मछलियों की तुलना में झींगा मछली में विटामिन-डी अच्छी मात्रा में होता है और इसमें फैट्स बहुत ही कम मात्रा में होती है। इन में फायदेमंद ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जो कि कई विटामिन-डी की खाद्य पदार्थों की तुलना में कम प्रमाण में होता है।
शरीर को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है। इसलिए किसी भी बीमारी के दस्तक देने से पहले ही अपने आपको हेल्दी रखने की कोशिश करें। पौष्टिक आहार लें और रोजाना एक्सरसाइज करें।अगर एक्सरसाइज नहीं कर पा रहें हैं तो पैदल चलें (वॉक करें) और इन सबके साथ डॉक्टर से मिलें।
उम्मीद करते हैं कि आपको डायबिटीज में विटामिन डी के उपयोग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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