आंखें कई चीजों से मिलकर बनी है, इसमें में से एक है आइरिस। आइरिस आंख का रंगीन हिस्सा होता है यह कॉर्निया के नीचे होता है और यह बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही आईबॉल (पुतली) में जाने वाले प्रकाश की मात्रा निर्धारित करता है। आइरिस में किसी कारण से जब सूजन आ जाए तो उसे ही आईराईटिस कहा जाता है। आईराईटिस के लक्षण और उपचार क्या है जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
आंखों का रंगीन हिस्सा जिसे आइरिस कहते हैं, मस्कुलर फाइबर्स से बना होता है और यही निर्धारित करता है कि आंख की पुतली में प्रकाश कितनी मात्रा में जाएगा। ऐसा वह अधिक रोशनी में पुतली को छोटा और कम रोशनी में उसे बड़ा करके करता है। कुछ लोगों की आइरिस में सूजन या इंफ्लामेश हो जाती है इसे ही आईराईटिस कहा जाता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है।
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आईराईटिस किसी दुर्घटना/चोट का परिणाम हो सकते हैं या फिर इसकी अन्य वजहें हो सकती हैः
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आईराईटिस तुरंत विकसित होता है और आमतौर पर सिर्फ एक ही आंख को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में शामिल है-
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यदि आपको आईराईटिस डायग्नोस होता है, तो आपके मन में कुछ सवाल रहते है जिसका जवाब आप डॉक्टर से चाहते हैं। ऐसे में डॉक्टर से निम्न सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत करेःं
क्या स्थाई रूप से आंखों की रोशनी जाने का कोई संकेत है?
जब मेरी आंखें ठीक हो मुझे क्या उम्मीद करनी चाहिए?
आपके यहां आने के दौरान मुझे किन लक्षणों के बारे में बताना है?
मेरा आईराईटिस क्या सिर्फ आंख की समस्या है या किसी अन्य कारण से है?
डॉक्टर आपसे पूछेगा कि आपको आईराईटिस के लक्षण कब से महसूस हो रहे हैं। इसके बाद आपको निम्न टेस्ट की जरूरत पड़ सकती हैः
इसकी मदद से डॉक्टर को आपके आंख की अंदर की स्पष्ट स्थिति पता चलती है। डॉक्टर आंख में चमकदार लाइट के जरिए देखता है कि सूजन कहां है। आंख की पुतली को बड़ा करने के लिए आई ड्रॉप डाला जा सकता है।
यह परीक्षण आपकी आंख के दबाव को मापता है। डॉक्टर आई ड्रॉप से आपकी आंख को सुन्न कर देगा और एक उपकरण की मदद से आंख को स्पर्श करेगा। आंख में हवा का एक झोंका डाला जाता है जिससे दवाब मापा जाता है।
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आईराईटिस में डॉक्टर की दी हुई दवा और फॉलोअप चेकअप की जरूरत होती है, इसलिए आई स्पेशलिस्ट से दिखाना जरूरी है।
उसके उपचार के लिए डॉक्टर आई ड्रॉप या दवाओं का इस्तेमाल करेगा, जिससे घाव जल्दी ठीक हो और दर्द भी कम हो जाए।
इसमें उपचार के लिए दवा का इस्तेमाल आई ड्रॉप के रूप में किया जाता है जिससे आंख की पुतली चौड़ी हो जाती है और यह आइरिस मसल्स में होने वाली ऐंठन को कम करता है, जिससे सूजी हुई आइरिस को थोड़ा आराम मिले। इससे घाव जल्दी ठीक होने और दर्द कम होने में मदद मिलती है।
स्टेरॉयड आई ड्रॉप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, बशर्ते आईराईटिस का कारण वायरस या बैक्टीरिया न हों। स्टेरॉयड आई ड्रॉप से आइरिस की सूजन कम करने में मदद मिलती है। यदि आंख की स्थिति में एक हफ्ते में सुधार नहीं होता है, तो आपका डॉक्टर स्टेरॉयड की गोलिया या आंख के पास स्टेरॉयड का इंजेक्शन दे सकता है। उपचार कितना लंबा चलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका घाव या बीमारी कितनी गंभीर है। उपचार के बाद आंख की स्थिति में सुधार हो जाता है।
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यदि आईराईटिस का सही तरीके से उपचार न किया जाए तो इसकी वजह से निम्न का खतरा बढ़ जाता हैः
यदि आईराईटिस के कारण सूजन लंबे समय तक रहता है तो आंख की लेंस पर धुंधली परत जैसी जम सकती है, जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।
स्कार टिशू पुतली को अंतर्निहित लेंस या कॉर्निया से चिपकाए रख सकता है, जिसकी वजह से इसका आकार बदल जाता है और यह प्रकाश को नियंत्रित करने का अपना काम बहुत धीमी गति से करता है।
बार-बार होने वाले आईराईटिस के कारण ग्लूकोमा हो सकता है। यह गंभीर स्थिति है जिसमें आंख के अंदर बहुत अधिक दबाव पड़ता है और इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
इससे कॉर्निया को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है और आपकी दृष्टि कमजोर होने लगती है।
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सूजन और तरल पदार्थ से भरे सिस्ट आंख के पीछे रेटीना में विकसित होते हैं जिससे वजह से आपको धुंधला नजर आएगा।
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