प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस एचआईवी रोकथाम से बचाव का तरीका है। कई शोधों में पाया गया है कि प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की दवा हर रोज लेने पर सेक्स से 99 प्रतिशत और इंजेक्शन से होने वाले एचआईवी से 74 प्रतिशत तक बचाव किया जा सकता है।
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस(Pre-Exposure Prophylaxis (PrEP)) क्या है?
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस(Pre-exposure prophylaxis (or PrEP)) का अर्थ है एचआईवी नेगेटिव व्यक्ति या एचआईवी होने का खतरा जिन्हें सबसे ज्यादा होता है उनके लिए एचआईवी संक्रमण को रोकने का मुहिम। इसमें एचआईवी नेगेटिव व्यक्ति एचआईवी को रोकने के लिए दैनिक दवा लेते हैं। PrEP शरीर में एचआईवी को फैलने से रोक सकता है। पीआरईपी सेक्स या इंजेक्शन आदि के माध्यम से होने वाले एचआईवी को रोकता है। यह याद रखें कि प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की दवा हर रोज नियमित रूप से लेनी चाहिए यदि आप एक भी दिन दवा लेना भूल जाएं तो एचआईवी से संक्रमित होने के चांस बढ़ जाते हैं। दैनिक लिया जाता है, तो एचआईवी या इंजेक्शन दवा के उपयोग से एचआईवी को रोकने के लिए PrEP अत्यधिक प्रभावी है। जब इसे लगातार नहीं लिया जाता है तो प्रीप बहुत कम प्रभावी होता है।
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किनके लिए जरूरी है प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस लेना?
यदि आपको शंका है कि आप एचआईवी का सामना कर सकते हैं तो आप प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस ले सकते हैं।
- यदि आप एचआईवी पॉजिटिव पार्टन के साथ रहते हैं या सेक्स करते हैं।
- यदि आप अधिकतर समय कॉन्डम के बिना सेक्स करना पसंद करते हैं।
- यदि आप अधिकतर समय एनल और वजायनल सेक्स करना पसंद करते हैं।
- यदि आप बहुत अधिक सेक्स पार्टनर बनाते हैं।
- यदि आप बाइसेक्शुअल, हेटरोसेक्शुअल, गे हैं तो भी प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का उपयोग कर सकते हैं।
- पिछले कई महिनों से जिन लोगों में यौन संचारित बीमारियां देखी गई हो।
- ऐसे लोग जो इंजेक्शन का उपयोग ज्यादा करते हों और जो इंजेक्शन शेयर करते हो।
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की दवाएं कौन सी हैं?
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस के लिए ट्रूवाडा (Truvada®) और डेसकवी (Descovy®) को एफडीए ने स्वीकृत किया है। याद रखें कि ट्रूवाडा जहां सेक्स और इंजेक्शन दोनों माध्यमों से होने वाले एचआईवी से बचाव में कारगर मानी गई है। वहीं डेसकवी वजायनल सेक्स से बचाव करने में सक्षम नहीं मानी जाती। इसे आप ओरल या एनल सेक्स के लिए बचाव के रूप में ले सकते हैं।
देश-दुनिया में चलने वाले एचआईवी से रोकथाम के कार्यक्रम में अभी ऐसे कई देश हैं जो प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का उपयोग नहीं कर रहे। भारत के अधिकतर पड़ोसी देश चाइना को छोड़कर बाकी कोई प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस कार्यक्रम में शामिल नहीं है। भारत में प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का इस्तेमाल भी अभी कम ही संख्या में हो रहा है।
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प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस के साइड इफेक्टस क्या हैं?
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का मानव शरीर पर कोई भी भयानक असर अभी तक नहीं देखा गया है। इसके साइड इफैक्टस की बात की जाए तो इसे लेने से जी मिचलना जैसे समस्या हो सकती है। यह समस्या कुछ समय दवा लेने के बाद समाप्त हो जाती है।
प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की शुरुआत कैसे करें?
यदि आपको शंका है कि आपको एचआईवी हो सकता है तो आप अपने डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से बातचीत करें। प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस शुरू करने से पहले आपके एचआईवी और अन्य तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं। इसके बाद ही डॉक्टर आपको प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस देने की सलाह देंगे। यह ध्यान देना जरूरी है कि एक बार आप प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का तरीका शुरू कर देंगे तो इसे नियमित रूप से लेना ना भूलें। इसके साथ ही हर तीन माह या जो भी आपके डॉक्टर ने समय दिया हो उसमें एचआईवी का टेस्ट कराना या डॉक्टर के पास जाना ना भूलें।
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यदि एचआईवी से संक्रमित होने का शक हो तो क्या करें?
यदि आपको शक है कि आप एचआईवी के संपर्क में आए हैं तो प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस नहीं बल्कि पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस काम करता है। पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस में एंटीरेट्रोवायरल दवाएं दी जाती हैं जो करीब 28 दिन तक लेनी होती हैं। पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की दवा एचआईवी के संपर्क में आने के 72 घंटे के भीतर लेना बहुत जरूरी है।
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एचआईवी टेस्ट क्या है?
ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि आप एचआईवी से संक्रमित हैं या नहीं। कुछ एचआईवी परीक्षण इम्यून सिस्टम द्वारा एचआईवी संक्रमण की प्रतिक्रिया में तैयार किए जाने वाले एंटीबॉडीज की जांच के लिए किए जाते हैं। जबकि अन्य एचआईवी टेस्ट वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए। रैपिड टेस्ट में 20 मिनट के अंदर परिणाम आ जाते हैं। एचआईवी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह टेस्ट जरूरी है। गर्भवती महिलाओं के लिए एचआईवी टेस्ट बहुत जरूरी है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान, डिलीवरी के समय या स्तनपान के जरिए वायरस नवजात में प्रवेश कर सकता है। एचआईवी संक्रमण से लड़ने वाली दवाओं के सेवन से गर्भावास्था के दौरान संक्रमण के नवजात तक फैलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) सलाह देता है कि 13 से 64 साल के सभी व्यक्तियों को एचआईवी टेस्ट कराना चाहिए। यह घर पर या अस्पताल या सामुदायिक एचआईवी परीक्षण केंद्र में किया जा सकता है।
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एचआईवी से बचाव के अन्य तरीके क्या हैं?
- प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की दवा ले रहे हैं तब भी कॉन्डम का उपयोग करना ना भूलें।
- हर बार सेक्स के लिए नए कॉन्डम का उपयोग करें।
- ओरल सेक्स और वजायनल या एनल सेक्स हर तरह के सेक्स के लिए अलग कॉन्डम का उपयोग करें।
- कम से कम सेक्स पार्टनर बनाएं।
- किसी और की सूई का इस्तेमाल इंजेक्शन लगाने के लिए ना करें। हमेशा नई सूई का इस्तेमाल करें।
- यदि मां एचआईवी पीड़ित है तो बच्चे को अपना दूध ना पिलाएं।
- यदि आपके पार्टनर एचआईवी पॉजिटिव है तो गर्भधारण से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस एचआईवी के संपर्क में आने के बाद एचआईवी के बचाव का तरीका है तो प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस एचआईवी के संपर्क में आने से पहले का तरीका है। यह याद रखें कि प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस तभी कारगर हो सकता है जब आप नियमित रूप से दवा लें। एड्स से बचाव मुश्किल है लेकिन यदि आप एचआईवी से बचाव के ठोस कदम उठाएं तो एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति भी सामान्य जिंदगी जी सकता है।
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