एनोरेक्सिया नर्वोसा क्या है?
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक डिसऑर्डर है जिसमें मरीज को वजन बढ़ने का डर बना रहता है। जो लोग इस भावनात्मक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं, उनका वजन कम होने के बावजूद भी उन्हें वजन बढ़ने का डर होता है। जिसके कारण वे अत्यधिक व्यायाम करने के साथ ही या वजन कम करने के लिए अन्य तरीकों (जैसे जुलाब, खाने के बाद उल्टी) का उपयोग करते हैं।
एनोरेक्सिया नर्वोसा दो तरह के होते हैं:-
1. प्रतिबंधित एनोरेक्सिया
2. अत्यधिक खाने वाले एनोरेक्सिया
1. प्रतिबंधित एनोरेक्सिया:- प्रतिबंधित एनोरेक्सिया के शिकार व्यक्ति अपने खाने-पीने पर अत्यधिक प्रतिबंध लगाते हैं। इनलोगों में हमेशा अपनी कैलोरी की चिंता बनी रहती है और ऐसे लोग कैलोरी काउंट भी करते रहते हैं। आहार से दूरी बनाते हुए ऐसे लोग विशेष तौर से कार्बोहाइड्रेट पदार्थ पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे लोग एक्सरसाइज भी अत्यधिक करते हैं।
2. अत्यधिक खाने वाले एनोरेक्सिया:- ऐसे लोग भी अपने खान-पान पर प्रतिबंध लगाते हैं। लेकिन, खाने के दौरान अत्यधिक खाना खाने से पीछे भी नहीं हटते हैं। लेकिन, ऐसे लोग खाने के बाद उल्टी भी कर देते हैं। ध्यान नहीं देने पर ऐसे लोग धीरे-धीरे मानसिक रूप से भी बीमार पड़ने लगते हैं।
क्या एनोरेक्सिया नर्वोसा एक आम बीमारी है?
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनोरेक्सिया नर्वोसा अधिक पाया जाता है। यह अक्सर युवावस्था के दौरान शुरू होता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा शरीर के वजन को बहुत कम कर सकता है। समय रहते इलाज न करवाने पर जीवन को खतरा हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण क्या हैं?
एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण क्या निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- वजन कम होने पर भी वजन बढ़ने या मोटा होने का डर ।
- जबरदस्ती उल्टी करना ।
- डायट पिल्स लेना ।
- वजन बढ़ने के डर से बहुत कम खाना या न खाना ।
- चोट लगने या थक जाने के बाद भी बहुत अधिक व्यायाम करना ।
- कैलोरी की गिनती करना ।
एनोरेक्सिया व्यक्ति पर बुरे मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी डाल सकता है। ऐसे लोग हर समय वजन और भोजन के बारे में बात कर सकते हैं, दूसरों के सामने खा नहीं सकते हैं, मूडी या उदास हो रहते हैं या दोस्तों के साथ बाहर नहीं जाना चाहते। एनोरेक्सिया से पीड़ित लोगों को अन्य मानसिक और शारीरिक बीमारियां भी हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- डिप्रेशन
- चिंता
- मुंह का अत्यधिक सूखना
- दिल या मस्तिष्क की समस्याएं
- ठंड के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता
हो सकता है ऊपर दिए गए लक्षणों में कुछ लक्षण शामिल न हो। यदि आपको किसी भी लक्षण के बारे में किसी भी तरह की शंका है, तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
आपको या परिवार के किसी सदस्य में ये लक्षण दिखें या आपका कोई सवाल हो तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। शरीर का वजन बहुत कम होने पर एनोरेक्सिया जीवन के लिए खतरा हो सकता है। आहार संबंधी डिसऑर्डर से ग्रसित ज्यादातर लोग इलाज का विरोध करते हैं क्योंकि उन्हें लगता कि उन्हें कोई समस्या नहीं है। हमेशा उनका सपोर्ट करें और विश्वास दिलाएं कि उन्हें एक समस्या है और इलाज की जरूरत है।
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एनोरेक्सिया किन कारणों से होता है?
अभी तक एनोरेक्सिया नर्वोसा के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है। इस बीमारी के लिए कई कारण हो सकते हैं जैसे अवसाद या अन्य मानसिक बीमारी। जींस और हार्मोन भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
एनोरेक्सिया नर्वोसा का खतरा किन कारणों से बढ़ जाता है?
- जेनेटिक- कुछ अनुवांशिक परिवर्तन के कारण कुछ लोगों को एनोरेक्सिया डिसऑर्डर होने का अधिक खतरा होता है।
- आत्म सम्मान में कमी- एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति खुद को पसंद नहीं करता है। उनको खुद का शारीरिक रूप पसंद नहीं आता है और वे निराशाजनक महसूस करते हैं। वे हर तरह से कोशिश करते हैं कि अच्छे दिखें।
- जीवन में बदलाव या तनावपूर्ण घटनाएं- दर्दनाक घटनाओं (जैसे बलात्कार) के साथ-साथ तनावपूर्ण घटनाओं (जैसे एक नई नौकरी शुरू करना) की वजह से एनोरेक्सिया की शुरुआत हो सकती है।
- सोशल मीडिया का प्रभाव- टीवी, इंटरनेट और प्रिंट मीडिया (अखबार और फैशन मैग्जीन) पर दिखते दुबले-पतले मॉडल्स की सफलता और लोकप्रियता की वजह से भी इस डिसऑर्डर को बढ़ावा मिल सकता है। दरअसल, ऐसी फोटोज को देखकर व्यक्ति उसकी तरह दिखने की हर संभव कोशिश करता है।
एनोरेक्सिया नर्वोसा का निदान कैसे किया जाता है?
डॉक्टर शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट), लेबोरेटरी टेस्ट आदि से इस डिसऑर्डर का पता करता है। एनोरेक्सिया के लिए कोई विशिष्ट टेस्ट मौजूद नहीं है।
डॉक्टर द्वारा पूछे जाने वाले सवाल
- आप अपने वजन को लेकर कितने समय से चिंतित हैं?
- क्या आप रोज व्यायाम करते हैं?
- क्या आप वजन कम करने के लिए किसी विधि का उपयोग कर रहे हैं?
- क्या आपने कभी बहुत खाने की वजह से खुद से उल्टी की है?
- क्या किसी ने आपको बताया कि आप बहुत पतले हैं?
- क्या आप अक्सर भोजन के बारे में सोचते हैं?
- क्या आपने कभी बाद में खाने के लिए भोजन को छिपाया है?
- क्या आपके परिवार में कोई भी फूड डिसऑर्डर से पीड़ित है?
यदि डॉक्टर को एनोरेक्सिया डिसऑर्डर का संकेत होता है, तो वह कुछ और टेस्ट करवा सकता है। इन परीक्षणों में शामिल हैं-
- एल्बुमिन
- पतली हड्डियों के लिए बोन डेन्सिटी टेस्ट (ऑस्टियोपरोसिस)
- सीबीसी
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी)
- इलेक्ट्रोलाइट्स
- किडनी फंक्शन टेस्ट
- प्रोटीन टेस्ट
- थायराॅइड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
एनोरेक्सिया नर्वोसा का इलाज कैसे किया जाता है?
एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज में व्यक्ति को उसकी बीमारी का एहसास दिलाना सबसे बड़ी चुनौती है। एनोरेक्सिया से ग्रसित लोग इस बात से इंकार करते हैं कि उन्हें कोई डिसऑर्डर है। इस डिसऑर्डर के उपचार में शामिल हो सकते हैं:
- टॉक थेरेपी का उपयोग युवा मरीज या कुछ समय से इस डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों के लिए किया जाता है ताकि उन्हें स्वस्थ आहार के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- कोगनेटिव थेरेपी (एक प्रकार की टॉक थेरेपी)
- ग्रुप थेरेपी
- फैमिली थेरेपी
- एंटीडिप्रेसेंट, एंटीसाइकोटिक्स और मूड स्टेबलाइजर्स जैसी दवाएं कुछ एनोरेक्सिक रोगियों की मदद कर सकती हैं। ये दवाएं डिप्रेशन या चिंता का इलाज करने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, ये दवाएं वजन कम करने की इच्छा को कम करने में मदद नहीं करती हैं।
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एनोरेक्सिया नर्वोसा की वजह कौन-कौन सी शारीरिक परेशानी बढ़ सकती है?
एनोरेक्सिया नर्वोसा की वजह से निम्नलिखित शारीरिक परेशानी बढ़ सकती है। जैसे:
- दिल से जुड़ी समस्या
- ब्लड प्रेशर कम होना
- एनीमिया की समस्या होना
- आंत संबंधित परेशानी
- बार-बार पेशाब आना
- हॉर्मोनल प्रोब्लेम
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य शारीरिक या मानसिक परेशानी हो सकती है। इसलिए शरीर में हो रहे बदलाव को नजरअंदाज न करें और हेल्थ एक्सपर्ट से सम्पर्क करें।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
- तनाव कम करना ।
- स्वीकार करें कि आपको एनोरेक्सिया है ।
- अपने डॉक्टर या डायटीशियन द्वारा निर्धारित आहार खाएं ।
- काउंसलिंग सेशन में भाग लें ।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लें ।
- ऐसे कपड़े खरीदें जो फिट हों, न कि ऐसे कपड़े जिनमें फिट होने के लिए आपको वजन कम करना पड़े ।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।