बुजुर्ग व्यक्तियों की हेल्थ पॉलिसी में बीमारी, दुर्घटना, चोट लगना, एम्बुलेंस का खर्च आदि कवर होते हैं। अगर बुजुर्ग व्यक्ति को अस्पताल में 60 दिनों तक एडमिट रहना पड़ता है, तो ऐसी स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस बेहद मददगार होते हैं। एलोपैथ इलाज के अलावा रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या यूनानी अस्पताल में किए जाने वाले इलाज भी बीमा कवर के अंतर्गत आते हैं।
बुढ़ापे में हेल्थ इंश्योरेंस: बीमा के अंतर्गत क्या नहीं आता है?
हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद अगर आपको पहले से ही (पिछले 30 दिनों में) कोई बीमारी थी, तो ऐसी स्थिति में बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके साथ ही वृद्ध व्यक्ति का इन 30 दिनों में एक्सीडेंट, डेंटल ट्रीटमेंट या कॉस्मेटिक सर्जरी होने पर बीमा का लाभ नहीं मिल पाता है।
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बुढ़ापे में हेल्थ इंश्योरेंस के क्या-क्या फायदे हैं?
बुढ़ापे में हेल्थ इंश्योरेंस के निम्नलिखित फायदे मिल सकते हैं। जैसे:-
अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को गिफ्ट की तरह भी दे सकते हैं, जो उनके लिए यह सहारे से कम नहीं होगा। यहां एक और सहारे का अर्थ है कि पहला सहारा बुजुर्ग माता-पिता के बेटे या बेटी और दूसरा हेल्थ पॉलिसी। पेरेंट्स के लिए खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 50 हजार रुपए की टैक्स छूट भी मिलती है।