परिचय
हाइपरहाइड्रोसिस क्या है?
हाइपरहाइड्रोसिस वो मेडिकल कंडीशन है, जिसमें व्यक्ति को अप्रत्याशित रूप से बहुत अधिक पसीना आता है। हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित व्यक्ति को तब भी पसीना आ सकता है, जब मौसम ठंडा हो या जब वे आराम कर रहे हों।
इस दौरान आने वाला पसीना अधिक होने के साथ-साथ अनियंत्रित होता है। इस रोग में ये पसीना पूरे शरीर में सामान रूप से आता है लेकिन हथेलियों और तलवों पर सबसे अधिक होता है। सामान्य दैनिक गतिविधियों को बाधित करने के अलावा, इस प्रकार का भारी पसीना चिंता और शर्मिंदगी का कारण बन सकता है। ऐसे में इस समस्या से छुटकारा बहुत आवश्यक है।
यह भी पढ़ें: सोते समय पसीना आना गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं!
लक्षण
हाइपरहाइड्रोसिस के लक्षण क्या हैं?
अधिक लोगों को एक्सरसाइज या कोई मेहनत वाला काम करने , गर्मी में या तनाव भरे माहौल में काम करने से पसीना आता है। हाइपरहाइड्रोसिस में आया पसीना सामान्य पसीने से बहुत अधिक होता है। यानी इस रोग का सबसे पहला लक्षण है बहुत अधिक पसीना आना।
अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:
- अगर अत्यधिक पसीना आना आपकी रोजाना की दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है।
- पसीने के कारण भावनात्मक या सामाजिक परेशानी हो रही है।
- आपको अचानक सामान्य से बहुत अधिक पसीना आना शुरू हो जाए।
- आप बिना किसी स्पष्ट कारण के रात को पसीने का अनुभव कर रहे हों
यह भी पढ़ें: Intussusception : इंटससेप्शन क्या है?
कारण
हाइपरहाइड्रोसिस क्या है?
पसीने से शरीर को ठंडा रहने में मदद मिलती है। अधिकतर मामलों में, यह पूरी तरह से प्राकृतिक होता है। गर्म तापमान में लोगों को अधिक पसीना आता है। इसके अलावा जब हम व्यायाम करते हैं, या परेशान होने पर, गुस्से में, शर्मिंदा या डरे हुए होने पर भी पसीना आता है। हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित लोगों में ओवरएक्टिव स्वेट ग्लैंड्स होते हैं। अधिक पसीना शारीरिक और भावनात्मक दोनों के लिए महत्वपूर्ण असुविधा पैदा कर सकता है। जब अधिक पसीना आने से हाथ, पैर, बगल आदि को प्रभावित करे तो उसे हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। अधिकतर मामलों में कारण की जानकारी नहीं होती।
[mc4wp_form id=’183492″]
जब पसीना आने की समस्या किसी अन्य बीमारी के कारण नहीं होती तो इसे प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है।
अगर यह पसीना आने की समस्या किसी मेडिकल स्थिति की वजह से है तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। यह पसीना शरीर के एक अंग पर आ सकता है या पूरे शरीर में भी आ सकता है।
जो स्थितियां सेकंड सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस का कारण बनती हैं वो इस प्रकार हैं:
- एक्रोमिगेली
- तनाव की स्थिति
- कैंसर
- कार्सिनॉइड सिंड्रोम
- कुछ दवाएं और पदार्थ
- ग्लूकोज नियंत्रण डिसऑर्डर्स
- दिल की बीमारी, जैसे हार्ट अटैक
- ओवरएक्टिव थायराइड
- फेफड़ों की बीमारी
- रजोनिवृत्ति
- पार्किंसंस रोग
- फियोक्रोमोसाइटोमा (adrenal gland tumor)
- मेरुदण्ड में चोट
- स्ट्रोक
- तपेदिक या अन्य संक्रमण
अन्य कुछ कारण जो हाइपरहाइड्रोसिस का कारण बन सकते हैं :
- गर्म मौसम
- व्यायाम
- बुखार
- तनाव
- मिर्च मसाले वाला भोजन
यह भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं को ज्यादा पसीना क्यों आता है?
जोखिम
हाइपरहाइड्रोसिस के जाेखिम क्या है?
- जो लोग खिलाडी हैं, उन्हें अगर यह समस्या है तो उन्हें अधिक पसीना आने से पैरों में फंगल इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
- जिन लोगों को शरीर से बदबू आने की समस्या है, उन्हें हाइपरहाइड्रोसिस होने पर बहुत अधिक बदबू आने की शिकायत बढ़ जाती है।
- हाइपरहाइड्रोसिस के कारण अधिक पसीना आने पर वायरस और बैक्टीरिया से स्किन इन्फेक्शन या मस्से होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
- हाइपरहाइड्रोसिस के कारण ज्यादा पसीना आने से खुजली अधिक होने की समस्या भी बढ़ जाती है।
यह भी पढ़ें: Angioedema : एंजियोडीमा (वाहिकाशोफ) क्या है?
उपचार
हाइपरहाइड्रोसिस का उपचार क्या है?
हाइपरहाइड्रोसिस के निदान के लिए त्वचा विशेषज्ञ रोगी की शारीरिक जांच करेंगे। इसमें वो आपके शरीर के उन भागों की जांच करेंगे, जहां आपको सबसे अधिक पसीना आ रहा है। आपके त्वचा विशेषज्ञ आपसे कुछ खास सवाल पूछेंगे। इससे वो आपके शरीर में अधिक पसीना आने का कारण जान पाएंगे। सबसे पहले इस रोग में जो समस्या आपको हो रही है, सबसे पहले उसका इलाज किया जाएगा। अगर इसका कोई साफ़ कारण नहीं मिलता तो भी अधिक आने वाले पसीने को नियत्रित करने के बारे में आपके डॉक्टर सोचेंगे। कई बार कुछ उपचारों को मिला कर भी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। कई बार कुछ मेडिकल टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। कुछ रोगियों के स्वेट टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस में स्क्रीनिंग टेस्ट अन्य क्लिनिक सुविधाओं पर निर्भर करता है लेकिन इसमें न्यूनतम के रूप में यह टेस्ट भी शामिल हो सकते हैं।
- ब्लड शुगर / ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन
- थायराइड फंक्शन
जांच
हाइपरहाइड्रोसिस की जांच क्या है?
जब भी आप डॉक्टर के पास जाएंगे डॉक्टर आप में अधिक पसीने की जांच करेंगे। इसके लिए यह टेस्ट कराये जा सकते हैं:
- स्टार्च-आयोडीन टेस्ट : इसकी जांच के लिए सबसे सामान्य टेस्ट है स्टार्च-आयोडीन टेस्ट।
- पेपर टेस्ट :अधिक पसीना आने वाले प्रभावित हिस्से पर खास पेपर रखा जाता है ताकि वो पसीने को अब्सॉर्ब करे। इसके बाद इसका वजन किया जाएगा। यह जितना भारी होगा, उतना अधिक पसीना जमा होगा।
- ब्लड टेस्ट : अगर आपको थाइरोइड या अन्य कोई मेडिकल समस्या है तो ब्लड टेस्ट कराया जा सकता है।
- इमेजिंग टेस्ट्स: अगर डॉक्टर को ट्यूमर का संदेह हो तो वो आपको इमेजिंग टेस्ट के लिए कह सकते हैं।
डॉक्टर आपसे पसीने के बारे में यह सब पूछ सकते हैं जैसे :
- जगह: क्या यह आपके चेहरे, हथेलियों, बगल या पूरे शरीर को प्रभावित कर रहा है?
- समय : क्या यह समस्या रात को होती है? क्या यह अचानक शुरू हो जाती है?
- ट्रिगर्स: क्या यह पसीना आने की समस्या तब शुरू होती है. जब आप किसी चीज को लेकर परेशान होते हैं?
- अन्य लक्षण : वजन का कम होना, तेज़ दिल की धड़कन, ठंडे या चिपचिपे हाथ, बुखार, भूख न लगना।
दवाईयां
ओरल एंटीकोलिनर्जिक दवाएं
- उपलब्ध दवाएं प्रोफ़ेथलाइन 15-30 मिलीग्राम प्रतिदिन तीन बार, ऑक्सीब्यूटिन 2.5-3.5 मिलीग्राम रोजाना, बेन्स्ट्रोप्रिन, ग्लाइकोप्राइरोलेट।
- यह दवाईयां आपका मुंह सूखा सकती हैं यही नहीं, इनसे दृष्टि का धुंधला होना, कब्ज,
चक्कर आना जैसे साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं।
- जिन लोगों को ग्लूकोमा या यूरिनरी रिटेंशन की समस्या है, उन्हें यह दवाईयां नहीं लेनी चाहिए।
- बुजुर्गों में यह दवाईयां लेने से मनोभ्रंश (dementia )सहित साइड इफेक्ट का खतरा बढ़ सकते हैं।
- एंटीकोलीनर्जिकस को अन्य दवाईओं के साथ लेने से कुछ गलत प्रभाव पड़ सकता है
बीटा-ब्लॉकर्स
- बीटा ब्लॉकर्स तनाव के शारीरिक प्रभावों को रोकते हैं।
- यह अस्थमा या पेरीफेरल वैस्कुलर रोग के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, अल्फा एड्रीनर्जिक एगोनिस्ट्स (क्लोनिडीन) नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और अन्सियलिटिकस कुछ रोगियों के लिए लाभदायक हो सकते हैं।
बोटुलायनम टोक्सिन इंजेक्शंस
- बोटुलायनम टोक्सिन इंजेक्शंस को हथेलियों जैसी अन्य स्थानों में स्थानीयकृत हाइपरहाइड्रोसिस के लिए ऑफ-लाइसेंस का उपयोग किया जाता है।
- हाइपरहाइड्रोसिस के लिए टोपिकल बोटुलायनम टोक्सिन जेल की जांच की जा रही है।
एक्सिलरी पसीने की ग्रंथियों को सर्जिकल तरीके से हटाना
बगल की अतिसक्रिय पसीने की ग्रंथियों को कई तरीकों से हटाया जा सकता है जैसे :
- ट्यूमेसेंट लिपोसक्शन (Tumescent liposuction)
- सबक्यूटेनियस क्यूरेटेज (Subcutaneous curettage)
- माइक्रोवेव थेर्मलिसिस (Microwave thermolysis )
- सबडर्मल Nd:YAG लेज़र
- हाई-इंटेंसिटी माइक्रो-फोकस्ड अल्ट्रासाउंड
- बगल के पसीने की ग्लैंड बेअरिंग वाली त्वचा को काटने के लिए सर्जरी
- सिम्पैथेक्टोमी ( Sympathectomy)
यह भी पढ़ें: Frostbite : शीतदंश क्या है?
घरेलू उपचार
हाइपरहाइड्रोसिस के घरेलू उपचार क्या है?
- प्रतिस्वेदक (एंटीपेर्स्पिरैंट)का प्रयोग करें। क्योंकि, यह स्वेट पोर को बंद कर सकते हैं जिससे पसीना का आना कम हो सकता है
- प्रभावित स्थानों पर टैनिक एसिड युक्त अस्ट्रिन्जन्ट का प्रयोग करें
- रोजाना नहाएं, इससे बैक्टीरिया कम होंगे। नहाने के बाद अपने आप को अच्छे से सुखाना न भूलें।
- प्राकृतिक मटेरियल से बने जूते और जुराबों को ही पहने ताकि, पसीना कम आये। रोजाना जुराबे बदलें।
- कार्य के अनुसार कपड़ों का चुनाव करें। यही नहीं, प्राकृतिक फेब्रिक जैसे कॉटन, ऊन या सिल्क से बने कपड़ें पहने।
- योग, ध्यान आदि को अपनाएं ताकि आपको आराम मिले। ये सब आपको तनाव को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
और पढ़ें:
अंडर आर्म के पसीने और बदबू से छुटकारा दिलाएगा मीराड्राई ट्रीटमेंट
ले रहे हैं मेराथॉन या लंबी दौड़ में हिस्सा? फॉलो करें डॉक्टर की ये गाइडलाइंस
हेल्दी स्किन के लिए नए साल में नए टिप्स, इन्हें जरूर आजमाएं
शॉग्रेंस सिंड्रोम क्या है और इससे कैसे बच सकते हैं?
[embed-health-tool-bmi]