क्या आप गर्भवती हैं और आपको कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं? यदि हां, तो आपको प्रीनेटल योग यानी प्रसव-पूर्व योग पर विचार करना चाहिए। प्रसव-पूर्व योग से आपका शरीर फिट रहता है और कई तरह की शारीरिक समस्याओं से भी आराम मिलता है।
Written by डॉ अरुणा कालरा · ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी · CK Birla Hospital
क्या आप गर्भवती हैं और आपको कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं? यदि हां, तो आपको प्रीनेटल योग यानी प्रसव-पूर्व योग पर विचार करना चाहिए। प्रसव-पूर्व योग से आपका शरीर फिट रहता है और कई तरह की शारीरिक समस्याओं से भी आराम मिलता है।
प्रसव से पहले किए जाने वाले योग को प्रसव-पूर्व योग कहा जाता है। प्रसव-पूर्व योग व्यायाम का एक ऐसा श्रेष्ठ तरीका है जिससे गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने और गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदा होता है। प्रसव-पूर्व योग न सिर्फ एक योग है बल्कि यह आपके शरीर को डिलिवरी के लिए भी तैयार करता है। इस योग से आप शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान कई प्रकार के हाॅर्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं, जिनके कारण मानसिक व शरीरिक परेशानी होती है। प्रसव-पूर्ण योग आपको इन बदलावों से लड़ने में मदद करता है।
प्रसव-पूर्व योग से आपको कई तरह से मदद मिल सकती है।
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बटरफ्लाई पोज करने के लिए दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर आराम की मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों से पैरों को खीचें और धीरे-धीरे घुटनों को उठाएं फिर नीचे लाएं। प्रसव-पूर्व योग में बटरफ्लाई पोज के अनेक फायदे हैं। इससे पैरों और जांघ की मांसपेशियों की थकान दूर होती है।
ओपन सीटेड ट्विस्ट योग मुद्रा जोखिम-मुक्त है। इससे आप अपनी गर्भावस्था के पहले चरण के दौरान स्वस्थ और सक्रिय महसूस करती हैं। इससे कमर दर्द एवं ऐंठन की समस्या दूर होती है।
हिप ओपनर्स (सीटेड एवं स्टैंडिंग) एक बेहद उपयोगी योग मुद्रा है क्योंकि यह डिलिवरी के समय लचीलापन प्रदान करता है।
वाइड लेग डेडलिफ्ट्स में कमर के निचले और ऊपरी हिस्से और टांग की मांसपेशियों पर फोकस किया जाता है। जैसे ही आपके शरीर की यह मांसपेशियां मजबूत होने लगेंगी आपकी रीढ़ पर कम दबाव पैदा होगा।
स्क्वेट्स आपके पैर की मांसपेशियों, पसलियों और कमर की हड्डियों को मजबूती देती हैं और बॉडी को टोन कर फ्लेक्सीबल बनाती हैं।
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स्टैंडिंग क्रंच में आपको कमर के बल लेटने की जरूरत नहीं होती है। इसमें आपको अपना सिर भी नीचे ले जाने की जरूरत नहीं है।
कीगल्स प्रसव-पूर्व व प्रसव के बाद दोनों में ही लाभदायक व्यायाम है। कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कीगल का अभ्यास करती हैं और इससे उन्हें प्रसव के बाद कम रक्तस्राव से जूझना पड़ता है।
अपनी कमर सीधे रखकर बैठ जाएं और अपने पैरों को सामने की ओर फैलाएं और अपने अंगूठों को अंदर की ओर खीचें। यदि जरूरत हो तो अपने पेट पर पड़ने वाले बल से बचने के लिए अपने पैरों को थोड़ा अलग-अलग रखें। गहरी सांस लें, दोनों हाथों को सिर से ऊपर ले जाएं। जितना संभव हो सके। सांस छोड़ें फिर कूल्हें से आगे की ओर झुकें लेकिन पूरी तरह न झुकें। अपनी रीढ़ को सीधा रखें। घुटने की बजाए पैर के अंगूठों की ओर झुकें। अपने हाथ पैरों पर रखें। अपने हाथों को सामने की ओर फैलाएं। सांस लें और फिर बैठने की मुद्रा में आएं। सांस छोड़ें और हाथ नीचे लाएं। इस व्यायाम से कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद मिलेगी। पेट के अंगों का ध्यान रखें और कंधों को मजबूत बनाएं।
इस व्यायाम में अपने सिर को आगे-पीछे, सामने, बाएं और दाएं क्लाॅकवाइज और एंटी-क्लाॅकवाइज तरीके से घुमाएं और ऐसा करते समय गहरी सांस लें। इसी तरह कंधों को आगे-पीछे और ऊपर तथा नीचे घुमाएं। प्रत्येक व्यायाम 3-5 बार करें।
याद रखें कि गर्भावस्था के दौरान आपको नवासन (बोट पोज) और प्लैंक पोज जैसी मुद्राओं से बचना चाहिए क्योंकि इनसे आपके पेट पर दबाव पड़ता है।
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यह आपकी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान किया जाने वाला सबसे सुरक्षित और आसान व्यायाम है। इससे बच्चे के जन्म के बाद भी आपको मदद मिलेगी।
यदि आप अपने सख्त कूल्हों को लचीला बनाना और ग्लूट को मजबूत बनाना चाहती हैं तो यह व्यायाम उपयुक्त है। अपने शरीर को ब्रिज पोज में मोड़ें। इससे आपके रेक्टम एब्डोमिनल कम दबाव पड़ता है।
याद रखें यदि आप अपनी कमर में कुछ परेशानी महसूस कर रही हों तो इस व्यायाम को न करें।
इस व्यायाम से आपके पैरों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। अपने पैरों को अलग अलग रखकर आराम से खड़े हो जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें और अपने कूल्हों पर हाथ रखें और कूल्हों को घुमाएं। कूल्हों को घुमाते वक्त कमर के ऊपरी हिस्से को स्थिर रखने की कोशिश करें। अपने कूल्हे आगे की ओर घुमाते वक्त सांस लें और पीछे ले जाते वक्त सांस छोड़ें।
यदि आप कार्डियो के मूड में हैं तो स्वीमिंग अच्छा व्यायाम है और गर्भावस्था के दौरान करने के लिए इससे अच्छा कोई व्यायाम नहीं है। स्वीमिंग में पानी से आपको अतिरिक्त वजन के बाद भी हिलने-डुलने में परेशानी नहीं होती।
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प्रसव-पूर्व योग करना अच्छी बात है पर कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना भी जरूरी है।
सांस लेना प्रसव-पूर्व योग और प्रसव के बाद के योग दोनों के लिए तो जरूरी है ही इसके साथ ही यह मां और शिशु दोनों के लिए बहुत जरूरी बिंदु है। उचित तरह से सांस लेने पर मां और शिशु दोनों के लिए पर्याप्त मात्रा में आॅक्सिजन की आपूर्ति होती है। गर्भावस्था के दौरान उचित रूप से आॅक्सिजन की आपूर्ति होने पर कमजोरी और सिर दर्द या अन्य तरह के दर्द से मुकाबला करने में भी मदद मिलती है। लेबर के दौरान भी सांस लेना आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए लाभप्रद होता है। इसलिए आप चाहें तो कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी कर सकती हैं।
प्रसव-पूर्व योग करने से आपको डिलिवरी के समय तो ताकत मिलती ही है। इसके साथ ही जो महिलाएं प्रसव-पूर्व योग करती हैं उन्हें डिलिवरी के बाद भी बहुत कम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाएं वजन बढ़ने, शरीर में दर्द रहने या थकान व आलस से दूर रहती हैं।
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