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कभी भागते, चलते या कोई और काम करते हुए आपके पैर में मोच (स्प्रेन) तो आई ही होगी और उसके बाद कुछ समय के लिए पैर को सीधा न कर पाना और वो दर्द व तकलीफ को सहना… उफ्फ काफी कठिन समय होता है। लेकिन, आखिर मोच आती कैसे है और क्या यह सिर्फ पैर में ही आती है? आइए, इन्ही सभी बातों के बारे में जानते हैं।
मोच आने पर हमारी लिगामेंट्स में खिंचाव, मरोड़ या चोट आना होता है, जो कि अत्यधिक दबाव या तनाव आने पर होता है। लिगामेंट्स (Ligaments) फाइब्रस टिश्यू के मजबूत बैंड होते हैं, जो हमारे शरीर के किसी जोड़ पर दो हड्डियों को जोड़ने का कार्य करते हैं। यह लिगामेंट्स हड्डियों को अलाइन करने, स्थिर रखने और एक सामान्य मोशन में कार्य करने में मदद करते हैं। जब हमारे किसी जोड़ में मोच आ जाती है, तो उसकी सामान्य रूप से कार्य या घुमने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। कभी-कभी गंभीर मोच आने पर हड्डियां अस्थिर हो सकती हैं और यह स्थिति काफी तकलीफ का कारण बन सकती है।
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मोच को अंग्रेजी में स्प्रेन भी कहा जाता है और स्प्रेन व स्ट्रेन को अधिकतर बार एक ही चीज समझ ली जाती है। हालांकि, दोनों के लक्षणों और समस्या में अमूमन समानता होती है, लेकिन इन दोनों में एक मूलभूत अंतर है, जो कि दोनों को थोड़ा अलग करता है। जैसे- जहां स्प्रेन में दो हड्डियों को जोड़ने वाले लिगामेंट्स को चोट पहुंचती है, तो स्ट्रेन में हड्डियों को सपोर्ट करने वाली मसल्स या उन्हें हड्डियों से जोड़ने वाले टेंडन्स (Tendons) को चोट पहुंचती है। इसके अलावा आपको बता दें कि, मोच सिर्फ पैर या एड़ी में ही नहीं आती, कई बार आगे की तरफ गिरने या जल्दबाजी में कार्य करने पर कलाई और अंगूठे में भी मोच आ सकती है और स्ट्रेन आमतौर पर कमर और घुटनों के पीछे होता है।
मोच की गंभीरता उसकी डिग्री पर निर्भर करती हैं। जैसे-
ग्रेड 1- कुछ फाइबर्स में खींचाव, मरोड़ या चोट, जिसके कारण सामान्य दर्द और सूजन। लेकिन, कार्यक्षमता अप्रभावित रहती है।
ग्रेड 2- कई फाइबर्स में खींचाव, मरोड़ या चोट, जिसके कारण दर्द और सूजन और कार्यक्षमता में कमी।
ग्रेड 3- सॉफ्ट टिश्यू का पूरी तरह चोटिल हो जाना और कार्यक्षमता में पूरी कमी। इसमें सर्जिकल रिपेयर की जरूरत पड़ सकती है।
किसी व्यक्ति के शरीर में मोच आने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे-
ध्यान रखें कि, मोच की वजह से अलग-अलग व्यक्तियों में दिखने वाले लक्षणों में भी अंतर हो सकता है। किसी व्यक्ति में उपर्युक्त बताए गए लक्षणों में से एक या दो दिखाई दे सकते हैं, तो दूसरे में उससे अलग। इसके अलावा, इन लक्षणों के अलावा समस्याओं का भी आपको सामना करना पड़ सकता है।
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मोच आने के पीछे अत्यधिक दबाव, ताकत या तेजी वाले कार्य होते हैं, जिनसे हमारे लिगामेंट्स या मसल्स पर अचानक प्रभाव पड़ता है और उनमें तनाव आ जाता है। जैसे-
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मोच का पता लगाने के लिए डॉक्टर आमतौर पर शारीरिक जांच की मदद लेता है, जिसमें वह आपके प्रभावित अंग के मोशन और लचीलेपन को जांचता है। इसके बाद वह फ्रैक्चर आदि के खतरे की आशंका को खत्म करने के लिए एक टूल (छोटा हथौड़ा) की मदद से हड्डियों पर टैप करके देख सकता है, कि उन्हें तो कोई क्षति नहीं पहुंची। इसके अलावा, वह निम्नलिखित टेस्ट की मदद ले सकता है। जैसे-
आपके जोड़ और हड्डियों की वास्तविक स्थिति को जांचने के लिए डॉक्टर एक्स-रे या एमआरआई करवा सकता है, जिससे वह आंतरिक स्थिति की एक तस्वीरनुमा स्थिति देख सके।
मोच को नियंत्रित रखने के लिए निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं, जिसमें बचाव से लेकर घरेलू उपाय तक शामिल हैं। जैसे-
मोच का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है। जैसे-
आमतौर पर, मोच का उपचार या इलाज घरेलू उपायों की मदद से ही कर लिया जाता है। जिसमें आराम करना, सूजन को कम करने के लिए प्रभावित जगह पर बर्फ से सिकाई करना, प्रभावित जोड़ को सपोर्ट देना या थोड़ा ऊंचाई पर रखना, कंप्रेशन करना आदि शामिल होता है। लेकिन, ध्यान रखें कि घरेलू उपाय अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी प्राप्त कर लेने पर ही इस्तेमाल करें। क्योंकि, यह कई मरीजों या स्थितियों में समस्या को बढ़ा सकता है।
अगर मोच के कारण ज्यादा दर्द होता है, तो डॉक्टर पेनकिलर यानी दर्दनिवारक दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं। जिससे दर्द सहने की क्षमता में इजाफा होता है और आराम मिलता है।
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कई बार ट्रीटमेंट व जांच के तौर पर डॉक्टर मोच और आंतरिक स्थिति को जांचने के लिए आर्थ्रोस्कॉपी की मदद भी ले सकते हैं, जिसमें आपके शरीर के अंदर देखने के लिए एक छोटा-सा ऑपरेशन किया जाता है। हालांकि, यह गंभीर मामलों या दर्द व सूजन के कारण की स्थिति साफ न होने पर किया जात है।
अगर मोच के कारण आपके जोड़ों या हड्डियों की अलाइनमेंट बिगड़ गई है, तो सर्जन इस सर्जरी की मदद से लिगामेंट को रिपेयर करता है। जिसमें वह डैमेज लिगामेंट को सपोर्ट करने के लिए अन्य लिगामेंट या टेंडन्स का इस्तेमाल भी कर सकता है।
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