प्वाइजन (Poison) का अर्थ है ऐसा विषैला पदार्थ जो शरीर के लिए नुकसानदायक हो। काई भी चीज जहर में परिवर्तित हो सकती है। आपके घर में ही कई ऐसी चीजें होती हैं जो जहर का काम करती हैं। जहर शरीर में सिर्फ खाने से ही नहीं फैलता बल्कि सांस लेने या त्वचा के संपर्क में आने से भी प्वाइजन शरीर में फैल सकता है। प्वाइजन दुर्घटना और नियोजित किसी प्रकार का भी कार्य हो सकता है।
विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की बात की जाए तो सन् 2004 में 20 वर्ष से कम बच्चों में प्वाइजन के कारण 45000 से अधिक मौतें हुईं। वहीं सन् 2012 की बात की जाए तो प्वाइजन के कारण करीब 193,460 लोग विश्व भर में अपनी जान से हाथ गवां बैठे।
शरीर में प्वाइजन होने पर निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे-
इसके जोखिम निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-
प्वाइजन में अक्सर सहायक देखभाल की आवश्यकता होती है। जब तक जहर को शरीर से बाहर नहीं निकाल दिया जाता तब तक सहायक देखभाल मरीज के काम आती है। यह बहुत जरूरी इसलिए होती है क्योंकि जहर सबसे पहले हृदय, रक्तचाप और श्वास को प्रभावित करता है और इन्हें स्थिर करना बहुत आवश्यक होता है।
जहर के कारण बुखार आने पर व्यक्ति को ठंडा करने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो हेमोडायलिसिस का उपयोग किया जाता है। यदि लिवर या किडनी को गंभीर हानि पहुंची है तो किडनी या लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।
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पेट खाली करने की प्रक्रिया में एक ट्यूब मुंह या नाक के माध्यम से पेट में डाली जाती है। पानी को ट्यूब के माध्यम से पेट में डाला जाता है और फिर बाहर निकाला जाता है। इसे गैस्ट्रिक लैवेज(gastric lavage) कहा जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है। यदि कोई व्यक्ति जहर के कारण सुस्त पड़ने लगता है तो डॉक्टर सांस लेने वाली नली में प्लास्टिक की नली डालते हैं। इसे एंडोट्रैचियल इंटुबैषेण(endotracheal intubation) कहते हैं। एन्डोट्रैचियल इंटुबैशन गैस्ट्रिक लैवेज को फेफड़ों में जाने से रोकता है। पेट खाली करना अब कम चलन में है क्योंकि यह बहुत कम मात्रा में जहर को बाहर निकालता है।
सक्रिय चारकोल का उपयोग उन लोगों पर किया जाता है जो जहर निगल लेते हैं। एक्टिवेटेड चारकोल पाचन तंत्र में मौजूद जहर को रक्त में फैलने से रोकता है। डॉक्टर जहर को बाहर निकालने या साफ करने के लिए हर 4 से 6 घंटे में चारकोल दे सकते हैं। याद रखें चारकोल हर तरह के जहर को निष्क्रिय नहीं कर पाता।
हर जहर का एंटीडोट्स मिलना मुश्किल होता है। सांप या किसी कीड़े का एंटीडोट उपलब्ध है, इसमें भी हर तरह के जहर का एंटीडोट उपलब्ध नहीं होता। वहीं कुछ ड्रग्स जैसे एसिटामिनोफेनacetaminophen का एंटीडोट एन-एसिटाइलसिस्टीनN-acetylcysteine है। एस्पिरिनaspirin का एंटीडोट सोडियम बाइकार्बोनेटsodium bicarbonate है। और हेरोइनheroin का एंटीडोट नीटोक्सोनnaloxone है।
चारकोल हेमॉपरफ्यूजन और हेमोडायलिसिस में जहर को शरीर में पहुंचने से पहले फिल्टर कर दिया जाता है। इसमें रक्त वाहिकाओं में कैथेटर का उपयोग किया जाता है। एक आर्टरी से ब्लड लेती है तो दूसरी कैथेटर वेन को ब्लड पहुंचाती है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। बता दें कि चारकोल हेमॉपरफ्यूजन में चारकोल का उपयोग कर जहर को निकालने का कार्य किया जाता है। वहीं हेमोडायलिसिस में एक कृत्रिम किडनी के माध्यम से रक्त से जहर को हटाने का काम किया जाता है।
एल्कलाइन डाइरिसेस में वेन में सोडियम बाइकार्बोनेट का एक घोल दिया जाता है। इस घोल के माध्यम से पेशाब को ज्यादा एल्कलाइन बनाया जाता है। इस कारण पेशाब में कुछ ड्रग जैसे एस्पिरिन और बार्बिटुरेट्स की मात्रा बढ़ जाती है।
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अमेरीकन एसोसिएशन ऑफ पॉयजन कंट्रोल सेंटर (American Association of Poison Control Center) की गाइडलाइन के अनुसार आप जहर से बचाव के लिए विभिन्न टिप्स फॉलो कर सकते हैं।
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