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प्वाइजन (Poison) क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/06/2021

प्वाइजन (Poison) क्या है?

परिचय

प्वाइजन (Poison) का अर्थ है ऐसा विषैला पदार्थ जो शरीर के लिए नुकसानदायक हो। काई भी चीज जहर में परिवर्तित हो सकती है। आपके घर में ही कई ऐसी चीजें होती हैं जो जहर का काम करती हैं। जहर शरीर में सिर्फ खाने से ही नहीं फैलता बल्कि सांस लेने या त्वचा के संपर्क में आने से भी प्वाइजन शरीर में फैल सकता है। प्वाइजन दुर्घटना और नियोजित किसी प्रकार का भी कार्य हो सकता है। 

विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की बात की जाए तो सन् 2004 में 20 वर्ष से कम बच्चों में प्वाइजन के कारण 45000 से अधिक मौतें हुईं। वहीं सन् 2012 की बात की जाए तो प्वाइजन के कारण करीब 193,460 लोग विश्व भर में अपनी जान से हाथ गवां बैठे। 

लक्षण

शरीर में प्वाइजन के लक्षण क्या हैं? (symptoms of poison in the body)

शरीर में प्वाइजन होने पर निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे-

  •  मुंह से झाग आना
  •  मतली या उल्टी आना
  •  दस्त लगना
  •  पुतलियों में बदलाव आना। पु​तलियां छोटी या बड़ी हो सकती हैं।
  •  सांस लेने में समस्या होना
  •  लाल चकत्ते भी दिखाई दे सकते हैं
  •  बेहोश होना
  •  याद्दाश्त में कमी आना
  •  मुंह का सूखना

और पढ़ें: फूड प्वाइजनिंग के लक्षण, कारण और बचाव

कारण

प्वाइजन के कारण क्या हैं? (Causes of poison)

  • घर में सफाई करने वाला फिनाइल, डिटर्जेंट
  • पर्सनल केयर के सामान जैसे नेल पॉलिश रिमूवर और माउथवॉश
  • कीटनाशक और बग स्प्रे
  • दवाएं। दवाएं बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यह बड़ों के लिए भी हानिकारक हो सकती हैं यदि एक्सपायर हो गई हों। इसके साथ ही यदि य​ह किसी अन्य दवा के साथ रिएक्शन कर जाए तो भी यह जहर का काम कर सकती है।
  • पेंट थिनर
  • खराब खाना
  • कई प्रकार के पौधे भी हानिकारक हो सकते हैं
  • कीड़े-मकौंड़े या सांव आदि भी जहर से भरे होते हैं

जोखिम

प्वाइजन के जोखिम क्या हैं? (Risk factors of poison)

इसके जोखिम निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-

  • जान जा सकती है
  • श्वास संबंधी समस्याएं- जहर के खाने पर सांस लेने में सबसे अधिक समस्या होती है। सांस रुकने के कारण ही अधिकतर जान भी जाती हैं। 
  • हृदय संबंधी समस्याएं- जहर खाने के कारण हृदय सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता। इस दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हाईपोटेंशन के कारण कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • शरीर के कई अंगों को नुकसान-जहरीले पदार्थ के कारण हृदय, किडनी, लिवर पर बुरा असर पड़ता है। 
  • कई समस्याओं का कारण-यह विषैले पदार्थ मुंह, गले, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक, फेफड़ों के म्यूकस मेंबरेन को नुकसान पहुंचाकर दर्द, खांसी, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के कारण बनते हैं। 
  • आंखों की समस्या- जहरीले पदार्थ के कारण आंखों में जलन, सूजन के साथ ही आंखों की रोशनी जाने की स्थिति भी बन सकती है।
  • किडनी की समस्या- जहर के कारण किडनी सही से काम नहीं कर पाती। किडनी फेलियर की स्थिति बन सकती है। किडनी फेलियर या रिनल फेलियर का अर्थ है किडनी का सामान्य रूप से काम करने में 15 प्रतिशत की गिरावट आना। किडनी फेलियर ब्लड प्रेशर में गिरावट, यूरिनर ट्रेक ब्लॉक होने आदि के कारण होता है।

और पढ़ें: हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में क्या अंतर है ?

उपचार

जहर का उपचार क्या है? (Treatments of Poison)

सहायक देखभाल

प्वाइजन में अक्सर सहायक देखभाल की आवश्यकता होती है। जब तक जहर को शरीर से बाहर नहीं निकाल दिया जाता तब तक सहायक देखभाल मरीज के काम आती है। यह बहुत जरूरी इसलिए होती है क्योंकि जहर सबसे पहले हृदय, रक्तचाप और श्वास को प्रभावित करता है और इन्हें स्थिर करना बहुत आवश्यक होता है।

जहर के कारण बुखार आने पर व्यक्ति को ठंडा करने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो हेमोडायलिसिस का उपयोग किया जाता है। यदि लिवर या किडनी को गंभीर हानि पहुंची है तो किडनी या लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। 

और पढ़ें: किडनी रोग होने पर दिखते हैं ये लक्षण, ऐसे करें बचाव

पेट खाली करना

पेट खाली करने की प्रक्रिया में एक ट्यूब मुंह या नाक के माध्यम से पेट में डाली जाती है। पानी को ट्यूब के माध्यम से पेट में डाला जाता है और फिर बाहर निकाला जाता है। इसे गैस्ट्रिक लैवेज(gastric lavage) कहा जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है। यदि कोई व्यक्ति जहर के कारण सुस्त पड़ने लगता है तो डॉक्टर सांस लेने वाली नली में प्लास्टिक की नली डालते हैं। इसे एंडोट्रैचियल इंटुबैषेण(endotracheal intubation) कहते हैं। एन्डोट्रैचियल इंटुबैशन गैस्ट्रिक लैवेज को फेफड़ों में जाने से रोकता है। पेट खाली करना अब कम चलन में है क्योंकि यह बहुत कम मात्रा में जहर को बाहर निकालता है। 

एक्टिवेटेड चारकोल

सक्रिय चारकोल का उपयोग उन लोगों पर किया जाता है जो जहर निगल लेते हैं। एक्टिवेटेड चारकोल पाचन तंत्र में मौजूद जहर को रक्त में फैलने से रोकता है। डॉक्टर जहर को बाहर निकालने या साफ करने के लिए हर 4 से 6 घंटे में चारकोल दे सकते हैं। याद रखें चारकोल हर तरह के जहर को निष्क्रिय नहीं कर पाता। 

एंटीडोट्स

हर जहर का एंटीडोट्स मिलना मुश्किल होता है। सांप या किसी कीड़े का एंटीडोट उपलब्ध है, इसमें भी हर तरह के जहर का एंटीडोट उपलब्ध नहीं होता। वहीं कुछ ड्रग्स जैसे एसिटामिनोफेनacetaminophen का एंटीडोट एन-एसिटाइलसिस्टीनN-acetylcysteine है। एस्पिरिनaspirin का एंटीडोट सोडियम बाइकार्बोनेटsodium bicarbonate है। और हेरोइनheroin का एंटीडोट नीटोक्सोनnaloxone है। 

जहर को रक्त से बाहर निकालने की प्र​क्रिया

चारकोल हेमॉपरफ्यूजन और हेमोडायलिसिस में जहर को शरीर में पहुंचने से पहले फिल्टर कर दिया जाता है। इसमें रक्त वाहिकाओं में कैथेटर का उपयोग किया जाता है। एक आर्टरी से ब्लड लेती है तो दूसरी ​कैथेटर वेन को ब्लड पहुंचाती है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। बता दें कि चारकोल हेमॉपरफ्यूजन में चारकोल का उपयोग कर जहर को निकालने का कार्य किया जाता है। वहीं हेमोडायलिसिस में एक कृत्रिम किडनी के माध्यम से रक्त से जहर को हटाने का काम किया जाता है।

एल्कलाइन डाइरिसेस (Alkaline diuresis)

एल्कलाइन डाइरिसेस में वेन में सोडियम बाइकार्बोनेट का एक घोल दिया जाता है। इस घोल के माध्यम से पेशाब को ज्यादा एल्कलाइन बनाया जाता है। इस कारण पेशाब में कुछ ड्रग जैसे एस्पिरिन और बार्बिटुरेट्स की मात्रा बढ़ जाती है।

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जहर से बचाव या सावधानी के लिए क्या टिप्स हैं?

अमेरीकन एसोसिएशन ऑफ पॉयजन कंट्रोल सेंटर (American Association of Poison Control Center) की गाइडलाइन के अनुसार आप जहर से बचाव के लिए विभिन्न टिप्स फॉलो कर सकते हैं।

घर में मौजूद चीजों से जुड़ी सावधानियां

  • घर पर पेस्टिसाइड का उपयोग करते समय प्रोटेक्शन का ख्याल रखें।
  • किसी भी चीज का उपयोग कर रहे हैं तो लेबल जरूर पढ़ें। चूंकि कई बार अलग ​डब्बे में चीजों को रखना भी रिएक्शन का कारण बन सकता है।
  • नेल पॉलिश रिमूवर, फिनाइल, पेस्टिसाइड जैसी चीजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

दवाओं से जुड़ी सावधानियां

  • डॉक्टर की सलाह से ही दवा लें। अपने मन से दवा लेना या एक दवा के साथ दूसरी दवा लेना जानलेवा हो सकता है।
  • जितनी और जिस समय पर दवा लेनी हो उतनी ही डोज लें।
  • दवाओं के लेबल को दवा के इस्तेमाल से पहले जरूर पढ़ें। जो भी गाइडलाइन हो उसके अनुसार ही दवा का उपयोग करें।
  • एक्स्पायर दवाओं को तुरंत फेंक दें। घर पर ना रखें क्योंकि आप गलती से इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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