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COVID-19 वैक्सीन के शोध में जुटी हैं ये बड़ी-बड़ी कंपनियां, हो रहे हैं शोध

COVID-19 वैक्सीन के शोध में जुटी हैं ये बड़ी-बड़ी कंपनियां, हो रहे हैं शोध

कोरोना वायरस की तेज रफ्तार दुनियाभर के लोगों के इस भगति दौड़ती जिंदगी में ब्रेक लगा दी है। भारत में पिछले तीन महीने से ज्यादा का वक्त बीत चूका है और COVID-19 से इंफेक्टेड मरीजों की संख्या का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में हम सब की निगाहें COVID-19 वैक्सीन या कोरोना वायरस की दवा के आने का इंतजार कर रहें हैं। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो कोरोना COVID-19 वैक्सीन पर ब्रिटिश की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका इस बढ़ते इंफेक्शन को रोकने में मददगार हो सकती है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो दवा बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ( एस्‍ट्राजेनेका) की गिलिड के साथ संपर्क किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो COVID-19 वैक्सीन पर एस्ट्राजेनेका कंपनी पिछले महीने से काम कर रही है।   विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जब से कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया है, तब से बायोटेक इंडस्ट्री में दवा कंपनियों और रिसर्च ऑर्गनाइजेशन द्वारा लगातार COVID-19 वैक्सीन बनाने की तैयारी तेजी से चल रही है।

COVID-19 वैक्सीन बनाने की कड़ी में अब तक चीन, अमेरिका और यूरोप ने COVID-19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है। सभी देशों की फार्मा कंपनी इस जानलेवा इंफेक्शन से बचने के लिए लगातर कोशिश कर रही है। वैसे कोरोना वायरस की शुरुआत चीन से हुई और अब कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की खबरें भी न के बराबर आती है और चीन में अब लोग अपने काम पर भी लौटने लगें हैं। लेकिन, इस बीमारी पर चीन ने कैसे ब्रेक लगाया है या कम किया है इसकी कोई जानकारी अन्य देशों को नहीं है। दरसल ये देश अन्य देशों की मदद के लिए भी तैयार नहीं है ऐसा प्रतीत होता है। अब तक इस बात पर कोई सहमति नहीं बन पाई है कि आखिर इस इंफेक्शन से कैसे बचा जाये।

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COVID-19 वैक्सीन पर रिसर्च के साथ-साथ दवाओं पर भी हो रहे हैं शोध

कोविड-19 का इलाज जल्द से जल्द ढूंढा जाए इस पर लगातार वैज्ञानिकों की टीम काम कर रही है। वहीं हालही  में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के ट्रायल पर अपनी सहमति जाता दी है। WHO ने ही 25 मई 2020 को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन कोरोना वायरस ट्रायल पर यह कहते हुए दवा की ट्रायल पर सुरक्षा मानको को देखते हुए कुछ वक्त के लिए ब्रेक लगाई थी। लेकिन, अब एक बार से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन पर सहमति जाताना कई सवाल खड़े करता है। जैसे:-

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अगर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की वहज से लोगों के जान को खतरा है, तो फिर इस दवा पर ट्रायल क्यों?

पहली बार इस दवा पर रोक क्यों लगाई गई?

COVID-19 वैक्सीन के साथ-साथ  हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) एवं रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा भी कोरोना के इंफेक्शन को कम करने के लिए और संक्रमित लोगों को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए लगातर स्टडी जारी है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं की ऐसे वैक्सीन को बनाने में वक्त लगता है। वहीं टेक्नोलॉजी एडवांस हो जाने के कारण नए प्रकार के एंटीवायरल ड्रग और इम्यूनोथेरिपी ट्रीटमेंट कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज करने में सक्षम हैं। इसलिए, पहले से विकासशील ड्रग या कुछ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रग कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। चीन के शेन्जेन में मौजूद  गुआंग्डोंग प्रांत में 70 मरीजों पर एक एंटीवायरस ड्रग फेलओवर के द्वारा क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। कथित रूप से इस ड्रग ने कोरोना वायरस की बीमारी का इलाज करने में कुछ मामूली साइड इफेक्ट के साथ प्रभाव दिखता है।

भारतीय डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए COVID-19 वैक्सीन या दवाओं का विकल्प तलाश रहें हैं। जयपुर शहर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में कोविड-19 के संक्रमण से संक्रमित तीन पेशेंट्स को एंटीरेट्रोवायरल ड्रग  यानी एंटी एचआईवी ड्रग देकर ठीक किया गया है। इनमें दो इटली से जयपुर आए हैं और एक जयपुर का ही रहने वाला बताया गया है। हॉस्पिटल की ओर से यह बताया गया है कि इन लोगों का इलाज के बाद जब फिर से कोरोना टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट नेगेटिव आई है। हालांकि संक्रिमित लोगों को फिर से ठीक होने के बाद भी आइसोलेशन में रखा गया था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। इसलिए एचआईवी वायरस का मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एक जैसा होने के कारण सीनियर डॉक्टर ने मरीजों को एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर और रिटोनाविर देने का फैसला किया।

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ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से लगातर लोगों से इस जानलेवा वैक्सीन कैसे बचा जाय इसके लिए लगातर निर्देश जारी किये जा रहें। वैसे अब तीन महीने का वक्त बीत चूका है और लॉकडाउन को बदलकर अनलॉकडाउन की घोषण कर दी गई है, जिसके तहत नई गाइडलाइंस भी जारी की गई है। अब हर जगह लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। लेकिन, अगर आप बाहर जा रहें हैं, तो सतर्कता जरूर बरतें। क्योंकि थर्मल स्क्रीनिंग से सिर्फ शरीर के तापमान का पता लगाया जा सकता है अन्य लक्षणों का नहीं। कोरोना वायरस के लक्षणों में बुखार के अलावा अन्य लक्षण शामिल हैं जैसे सर्दी-जुकाम होना, सांस लेने में तकलीफ होना,  सिरदर्द होना, खांसी आना, गले में खराश की परेशानी शुरू होना या कमजोरी महसूस होना।

भारत में कई ऐसे भी कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज किया गया है या चल रहा है, जिनमें कोरोना वायरस के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहें थें। अब ऐसी स्थिति में खुद को संभलकर चलना एक मात्र कारगर उपाय है इस संक्रमण से बचने का। इसलिए अगर इमरजेंसी की स्थिति में बाहर जा रहें हैं, तो-

अगर आप COVID-19 वैक्सीन या इस इंफेक्शन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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डिस्क्लेमर

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Trump Administration’s Operation Warp Speed Accelerates AstraZeneca COVID-19 Vaccine to be Available Beginning in October/https://www.hhs.gov/about/news/2020/05/21/trump-administration-accelerates-astrazeneca-covid-19-vaccine-to-be-available-beginning-in-october.html/Accessed on 09/06/2020

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Will the coronavirus help mRNA and DNA vaccines prove their worth?/https://cen.acs.org/pharmaceuticals/vaccines/coronavirus-help-mRNA-DNA-vaccines/98/i14/Accessed on 09/06/2020

 

Current Version

12/06/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/06/2020

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