नींद के दौरान क्या होता है? हमें सपने क्यों आते हैं? समय की शुरुआत से ही मनुष्य नींद के रहस्यों से काफी प्रभावित रहा है और उसे जानने की कोशिश करता रहा है। स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) भी उन्हीं स्थितियों में से एक रहस्य्मयी स्थिति है। दरअसल, स्लीप पैरालिसिस एक ऐसी स्थिति है जहां आपका शरीर तो जाग रहा होता है लेकिन, आप खुद को हिलने-डुलने या बोलने में असमर्थ पाते हैं। यह क्यों होता है इसका कोई सटीक कारण नहीं है लेकिन, इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य आज हम यहां आपको बताने वाले हैं।
स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) एक ऐसी घटना है जिसमें व्यक्ति जाग जाता है लेकिन, खुद को हिलने या बोलने में असमर्थ पाता है।
यह एक डर की वजह से होता है। कई बार व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि उसके साथ कमरे में कोई है। कोई उसे देख रहा है। कई बार उसे अपने सीने पर दबाव भी महसूस होता है जिससे उसे घुटन भी महसूस होती है।
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स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) पर एक सिद्धांत यह है कि यह REM स्लीप में गड़बड़ी की वजह से होता है।
REM स्लीप नींद की एक ऐसी स्थिति है जिसमें सोने वाले व्यक्ति की आंखें मूव करती रहती हैं और उसका मस्तिष्क सक्रिय रहता है। नींद, आरईएम (रैपिड आई मूवमेंट) और एनआरईएम (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट) दो प्रक्रियाओं से गुजरती है। एक आरईएम और एनआरईएम चक्र लगभग 90 मिनट तक रहता है, और अधिकांश समय नींद में व्यतीत होता होता है। एनआरईएम के दौरान शरीर आराम करता है। आरईएम के दौरान आंखें जल्दी मूव करती हैं लेकिन, शरीर को आराम मिलता है और इस समय ही सपने आते हैं।
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स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) में, रेम स्लीप का सिंक शरीर या मस्तिष्क के साथ नहीं हो पाता है। इसमें व्यक्ति की चेतना जागृत रहती है लेकिन, नींद की स्थिति में शरीर लकवाग्रस्त रहता है।
स्लीप पैरालिसिस दो प्रकार के होते हैं।
- आइसोलेटेड स्लीप पैरालिसिस (Isolated Sleep Paralysis): इसका अनुभव व्यक्ति अपने पूरे जीवन में एक या दो बार करता है।
- रिकरंट आइसोलेटेड स्लीप पैरालिसिस (Recurrent Isolated Sleep Paralysis): इस तरह के पैरालिसिस का अनुभव काफी डरावना और लंबे समय तक रहने वाला हो सकता है। इसके अलावा व्यक्ति अपने जीवन में इसे कई बार अनुभव कर सकता है।
RISP का असर तकरीबन एक घंटे तक रह सकता है।
RISP का अनुभव काफी डरावना और काफी लंबे समय तक रहने वाला हो सकता है। कई बार इसके संकेत शरीर के बाहर भी दिखाई देते हैं।
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पीठ के बल सोने से स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) के लगातार कई अनुभव हो सकते हैं।
स्लीप पैरालिसिस पर अध्ययन करने वाले कई शोधकर्ताओं ने पाया कि पीठ के बल सोने से स्लीप पैरालिसिस की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसके जोखिम को कम करने के लिए आप स्लीपिंग पोजीशन को बदलकर सोने की कोशिश करें।
स्लीप पैरालिसिस के दौरान जितना संभव हो उतना शांत रहने की कोशिश करें। हालांकि, यह अनुभव डरावना हो सकता है लेकिन, यह समझ लें कि यह अस्थायी है, ऐसा होने पर आप कुछ भी नहीं कर सकते। शांत रहकर आप इसे बेहतर ढंग से काबू कर सकते हैं।
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