कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) छोटी वेन्स के एक कलेक्शन को कहा जाता है, जो साइनस को बनाने के लिए एक साथ मर्ज हो जाती हैं यानी जुड़ जाती हैं। यह लेफ्ट वेंट्रिकल और लेफ्ट एट्रियम के बीच हार्ट की पिछली सतह के साथ स्थित होता है। इस वेन का सरकमफेरेंस सामान्य वेन से अधिक होता है। यह साइनस कार्डियक वैनस ब्लड (Cardiac venous blood) के अधिकांश भाग को कलेक्ट करता है। यही इसका मेजर फंक्शन है। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
क्या है कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus)?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) एक बड़ी वेन है, जो हार्ट मसल से डिऑक्सीजनटेड ब्लड को हार्ट के राइट साइड लौटाती है, ताकि इसे ऑक्सीजन से भरा जा सके। यह हार्ट की पिछली सतह पर स्थित होती है और इसकी पोजीशन लेफ्ट वेंट्रिकल और लेफ्ट एट्रियम के बीच में होती है। इसकी लेंथ 15 से 65 मिलीमीटर्स हो सकती है और यह हार्ट की अधिकतर कोरोनरी वेन्स से चौड़ी होती है।
इस साइनस के जन्मजात हृदय दोष को कार्डियक टोटल अनामलस पल्मोनरी वेनस रिटर्न (Cardiac total anomalous pulmonary venous return) कहा जाता है। यह एक बर्थ डिफेक्ट है जिसके कारण बच्चे के ऑक्सिजनेटेड ब्लड को हार्ट के गलत हिस्से में डिलीवर किया जाता है। इस डिफेक्ट के साथ पल्मोनरी वेन्स गलती से राइट एट्रियम के साथ कनेक्ट करती है। इसका परिणाम यह होता है कि शिशु के सेल्स, ऑर्गन्स और टिश्यूज में पर्याप्त ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती। आइए जानें कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के फंक्शन्स के बारे में।
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कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के फंक्शन्स: पाएं पूरी जानकारी
कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus), कार्डियक वैनस ब्लड (Cardiac venous blood) को कलेक्ट करता है। इसका अर्थ है कि यह उस ब्लड को कलेक्ट करता है, जिसे कोरोनरी वेन्स से रिऑक्सीजनटेड करने की आवश्यकता होती है। कोरोनरी साइनस का फंक्शन एपिकार्डियल वेंट्रिकुलर वेन्स (Epicardial ventricular veins) में से डीऑक्सीजनेटेड ब्लड को रिसीव करना होता है, जो हार्ट मसल की वेन्स हैं। कोरोनरी साइनस
इस ब्लड को राइट एट्रियम में पहुंचता है, इससे पहले कि यह ब्लड इवेंचुअली लंग्स में वापस आ जाए और फिर से ऑक्सिजनेटेड हो जाए। एपिकार्डियल वेंट्रिकुलर वेन्स (Epicardial ventricular veins) में यह सब शामिल है:
- बड़ी कार्डियक वेन (Great cardiac vein)
- एंटीरियर इंटरवेन्ट्रिक्युलर वेन्स (Anterior interventricular veins)
- लेफ्ट मार्जिनल वेन (Left marginal vein)
- लेफ्ट वेंट्रिकल की पोस्टीरियर वेन (Posterior veins of the left ventricle)
- पोस्टीरियर इंटरवेन्ट्रिक्युलर वेन्स (Posterior interventricular veins)
संक्षेप में कहा जाए तो हार्ट की राइट और लेफ्ट साइड एक साथ काम करती है ताकि पूरे शरीर में ऑक्सीजन रिच ब्लड को प्रभावी रूप से सर्कुलेट किया जा सके। ऑक्सिजनेटेड ब्लड लेफ्ट वेंट्रिकल से एओर्टा से स्मॉल आर्टरीज तक ट्रेवल करता है और उसके बाद यह स्मॉल वेसल्स तक जाता है, जिन्हें कैपलेरीज कहा जाता है ताकि सेल्स, टिश्यूज और ऑर्गन्स तक ब्लड सप्लाई की जा सके। शरीर के डीऑक्सीजनेटेड ब्लड को कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) हार्ट मसल्स से सीधे तौर पर राइट एट्रियम तक डिलीवर करता है। अब जानिए कोरोनरी साइनस पैथोलॉजी (Coronary Sinus Pathology) के बारे में।
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कोरोनरी साइनस पैथोलॉजी (Coronary Sinus Pathology): पाएं पूरी जानकारी
हार्ट पैथोलॉजी जन्मजात हो सकती है या समय के साथ भी प्रकट हो सकती है। वेन के रूप में, कोरोनरी साइनस में फैटी डिपॉजिट्स (एथेरोस्क्लेरोसिस) नहीं बनते हैं; हालांकि, आर्टेरियल हायपरटेशन (Arterial hypertension) के कारण डायलेशन हो सकता है। आइए जानें कोरोनरी साइनस पैथोलॉजी (Coronary Sinus Pathology) कौन सी हैं?
अनरुफ्ड कोरोनरी साइनस डिफेक्ट (Unroofed Coronary Sinus Defect)
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट्स (Atrial septal defects) को हार्ट के होल के रूप में भी जाना जाता है। जब दाएं और बाएं एट्रिया के बीच की वॉल्स (सेप्टम) में एक ओपनिंग जन्म के बाद खुली रह जाती है, तो उसे
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट्स (Atrial septal defects) कहा जाता है। यह ओपनिंग या तो जन्म के एकदम पहले क्लोज हो जाती या बर्थ के एकदम बाद बंद होती है। इस ओपनिंग को फोरेमन ओवल (Foramen ovale) कहा जाता है। एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट का अर्थ है कि फोरेमन ओवल (Foramen ovale) या तो सही से या बिलकुल भी बंद नहीं हुआ है।
कोरोनरी साइनस डिफेक्ट पूरी तरह से एट्रिअल सेप्टल डिफेक्ट्स (Atrial septal defects) का सही प्रकार नहीं है। इस केस में होल सेप्टम में नहीं होता बल्कि कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) और लेफ्ट एट्रियम के बीच में होता है। यह गैप राइट से लेफ्ट एट्रियम तक एक्सटेंड हो सकता है। यानी, डीऑक्सीजनेटेड और ऑक्सिजनेटेड ब्लड मिक्स हो सकता है। इस पैथोलॉजी एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के समान लक्षण देती है।
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कोरोनरी साइनस एरिथमिया (Coronary Sinus Arrhythmia)
क्योंकि, साइनस वॉल में कार्डियक मसल सेल्स होते हैं, कोरोनरी साइनस एरिथमिया एक और पोटेंशियल पैथोलॉजी है। इसमें या तो हृदय की मांसपेशी की उपस्थिति या साइनस ट्रांसमिट्स इम्पल्सेस के बेहद क्लोज या डायलेटेड कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के प्रेशर के कारण राइट एट्रियम के इलेक्ट्रिकल पाथवेज प्रभावित होते हैं। इसका सबसे सामान्य ट्रीटमेंट है एब्लेशन थेरेपी (Ablation therapy)।
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कोरोनरी साइनस डायलेशन (Coronary Sinus Dilation)
कोरोनरी वेन डायलेशन इस्कीमिक हार्ट फेलियर (Ischemic heart failure) या डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी का लक्षण है। डायलेटेड वेन की समस्या अक्सर हमेशा ब्लड फ्लो के बढ़ने के कारण होती है। कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) में, बढ़ा हुआ ब्लड फ्लो मुख्य रूप से वीने कावे (venae cavae) के माध्यम से हार्ट में आने वाली हाय वॉल्यूम के कारण होता है या एक फॉल्टी ट्रायकसपिड वॉल्व के माध्यम से राइट वेंट्रिकल से राइट एट्रियम में रिगरजीटेशन होता है। यह साइनस को ठीक से ड्रेन होने से रोकता है और इसकी इलास्टिक वॉल्स पर दबाव डालता है। डायलेटेड कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) का निदान होने पर, डॉक्टर रोगी में ऑटोमेटिक्ली राइट वेंट्रिकल के साथ एक समस्या का निदान कर सकते हैं।
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कोरोनरी साइनस डायवर्टिकुलम (Coronary Sinus Diverticulum)
एक अन्य डिसऑर्डर को डायवर्टिकुलम के नाम से जाना जाता है, जो वेसल वॉल में होने वाला एक उभार है, जिससे वेन कमजोर हो सकती हैं और डायलेशन का कारण बन सकती है। इससे यह भी जोखिम रहता है कि कमजोर दीवारें लीक हो सकती हैं, हालांकि कोरोनरी वेन्स को हार्ट के सबसे करीब आर्टरीज के हाय प्रेशर से डील करने की आवश्यकता नहीं होती है और ऐसा होना बेहद दुर्लभ है। हालांकि, जब कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) की मसल्स वॉल्स सिकुड़ जाती हैं या यह एक एफिशिएंट रिजर्वायर फंक्शन (Efficient reservoir function) प्रदान करने में असमर्थ होती हैं। तब इस पैथोलॉजी के साथ सबसे बड़ा रिस्क होता है ब्लड क्लॉट्स का बनना।
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यह तो थी जानकारी कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के बारे में। जब हार्ट सर्जरी की जाती है, तो सर्जन के लिए कार्डियोप्लेजिया (Cardioplegia) नामक एक प्रक्रिया करना सामान्य है। इसमें सर्जिकल हार्ट प्रोसेस के दौरान जानबूझकर हार्ट (अस्थायी रूप से) को स्टॉप करना शामिल है। कोरोनरी साइनस (Coronary Sinus) के माध्यम से कार्डियोपलेजिया की डिलीवरी मायोकार्डियल प्रोटेक्शन में प्रभावी और सुरक्षित साबित हुई है। इसे ट्रेडिशनल मेथड्स की तुलना में कार्डियोप्लेजिया का एक बेहतर तरीका भी पाया गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो कोरोनरी आर्टरी डिजीज के उपचार के लिए हार्ट सर्जरी का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से उस बारे में अवश्य जानें।
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