डायट में हर्ब को शामिल कर साइनस से पा सकते हैं निजात, जानें कैसे करें इसका इस्तेमाल
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/01/2021
साइनस जटिल बीमारी है। अक्सर मौसम में बदलाव होने पर जो व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उन्हें परेशानी होनी शुरू हो जाती है। मौजूदा समय में कुछ तरीके हैं जिन्हें अपनाकर हम साइनस के इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं। बता दें कि साइनस इंफेक्शन के लक्षण सर्दी-जुकाम से ज्यादातर मिलते-जुलते ही होते हैं। लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर यही होता है कि दोनों में कौन सी बीमारी ज्यादा लंबे समय तक रहती है। साइनोसाइटिस की बीमारी सामान्य तौर पर दस दिनों से ज्यादा समय तक नहीं रहती। लेकिन क्रॉनिक साइनोसाइटिस की बीमारी 12 सप्ताह या फिर उससे भी अधिक समय तक रहती है। साइनस का इंफेक्शन सामान्य तौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है। वायरस या एयरबोर्न इरीटेशन के कारण होने वाले साइनस इंफेक्शन के केस में एंटीबायोटिक्स से यह ठीक नहीं होते हैं। लेकिन मौजूदा समय में कुछ तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर इस बीमारी को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं साइनस हर्ब डायटकी, इसको अपनाकर साइनस की समस्या से निजात पाया जा सकता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम साइनस हर्ब डायट के बारे में जानते हैं।
इन साइनस हर्ब डायट का कर सकते हैं इस्तेमाल
साइनोसाइटिस की बीमारी से निजात पाने के लिए हर्ब का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए सबसे अहम यह जानना जरूरी है कि इन हर्ब या वनस्पतियों का इस्तेमाल कैसे करना है, कितनी मात्रा में लेना है आदि। इसके लिए जरूरी है कि हम आयुर्वेदिक डॉक्टर या हर्बलिस्ट से इससे जुड़ी सलाह लें और समस्या से निजात पाएं।
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काली मिर्च का कर सकते हैं इस्तेमाल
साइनस हर्ब डायट के तहत मिर्च (काली मिर्च ( पाइपर नाइग्रम ) (Black Pepper, piper nigrum) का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इसका स्वाद तीखा होता है। यह हर्ब हीटिंग एनर्जी से भरपूर होता है। तीखा होने की वजह से इसका सेवन करने से पाचन अच्छा होता है। माना जाता है कि यह सूर्य की एनर्जी को अपनी ओर खींचता है। इस हर्ब में एक खास तत्व पिपेरीन (piperin) पाया जाता है। आयुर्वेदिक इलाज पद्धति के अनुसार इसका इस्तेमाल दोनों वात और कफ के दौरान किया जाता है। साइनस हर्ब डायट का सेवन आप खाद्य पदार्थ के रूप में कर सकते हैं। जरूरी है कि इसे पीस कर शहद में मिलाकर मरीज को दो से तीन बार सेवन करने के लिए दें तो ज्यादा फायदा होता है।
दालचीनी (Cinnamon, cinnamomum zeylonicum) का इस्तेमाल भी साइनस हर्ब डायट के रूप में कर सकते हैं। इसका स्वाद तीखा, मीठा और कसैला होता है। यह न सिर्फ गर्म होता है, बल्कि इसके कमाल के पोस्ट डायजेस्टिव इफेक्ट होते हैं। इसके सेवन से वात, कफ को जहां शांत किया जाता है, वहीं पित्त बढ़ता है। इसलिए जरूरी है कि बिना एक्सपर्ट की सलाह के इसका सेवन न करें। आप चाहें तो आयुर्वेदिक डॉक्टर या फिर हर्बलिस्ट की सलाह ले सकते हैं। इसे पीस कर छोटी-छोटी मात्रा में एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन कर सकते हैं।
एंटी बैक्टीरिल तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का करें सेवन
साइनस हर्ब डायट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें एंटी बैक्टीरियल तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में इस तकलीफ से लड़ने के लिए जरूरी है कि अदरक, लहसुन, प्याज जैसे खाद्य पदार्थों को खाने में ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। इनमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है। इसके लिए आप चाहें तो ज्यादा से ज्यादा अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं। यदि आप इसमें हल्का शहद मिलाकर पीएं, तो आप एनर्जी से भरपूर रहेंगे। क्योंकि शहद में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होने के साथ यह एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्वों से भरपूर होता है।
साइनस हर्ब डायट के बारे में और जानने व इससे जुड़े अन्य तत्वों की बात करें, उससे पहले यह जानना जरूरी है कि इस बीमारी में पानी का सेवन भी मददगार होता है। साइनस की बीमारी से पीड़ित लोगों को शरीर से वायरस को निकालने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए। कोशिश यही होनी चाहिए कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए। इसके लिए आप चाहें तो हर दो घंटे में आठ औंस पानी का सेवन कर सकते हैं।
साइनस हर्ब डायट अपनाने के लिए और इस परेशानी से निजात पाने के लिए कुछ खास तेलों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए यूकलिप्टस (नीलगिरी) का तेल फायदेमंद होता है। इस तेल का इस्तेमाल करने से सायनस में आराम मिलता है, वहीं बलगम से छुटकारा मिलता है। वर्ष 2009 में जर्मनी में हुई एक शोध, थेरेपी फॉर एक्यूट नॉन पुरुलेंट राइनो साइनोसाइटिस के अनुसार यह पाया गया कि यूकलिप्टस (eucalyptus) के तेल में सिनिओल (cineole) जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो एक्यूट साइनोसाइटिस से ग्रसित लोगों को ठीक करता है। अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और साइनस को कम करने के लिए आप यूकलिप्टस के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे शरीर के बाहरी भाग, जैसे, छाती, नाक, इत्यादि में लगा सकते हैं। या फिर पानी को गर्म कर उसमें यह तेल डालकर नाक से सांस लेकर आराम पाया जा सकता है।
साइनस हर्ब डायट के तहत एकोरस कैलेमस है फायदेमंद
एकोरस कैलेमस (acorus calamus) एक प्रकार का पौधा है, जिसे आयुर्वेद में वाचा (Vacha) कहा जाता है। यह स्वाद में कड़वा होता है, लेकिन यह आपको एनर्जी ही नहीं देता, बल्कि यह खाना पचाने में मददगार साबित होता है। वाचा का सेवन कर वात और कफ से निजात पाया जा सकता है। लेकिन यह पित्त को बढ़ा सकता है। आयुर्वेदिक इलाज में साइनोसाइटिस के केस में सुझाव दिया जाता है कि हर्ब का सेवन करने के साथ एक्सरसाइज का नियमित तौर पर अभ्यास किया जाए। साइनस हर्ब डायट में इस हर्ब का कैसे इस्तेमाल किया जाना है, यह जानना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि एक्सपर्ट की सलाह ली जाए। पारंपरिक तौर पर इस हर्ब का पेस्ट बनाकर साइनस व नाक के आसपास लगाने की सलाह दी जाती है। नाक में डालने के लिए इसका तेल भी उपलब्ध है, जिसे वाचा ऑयल के नाम से जाना जाता है, यह आयुर्वेदिक स्टोर पर आसानी से मिल जाता है। नाक में इस हर्ब को डालने से यह न केवल नाक को क्लीयर करता है, बल्कि साइनस से भी निजात दिलाता है।
प्लंबागो रोसिया (plumbago rosea) हर्ब का इस्तेमाल करना भी है फायदेमंद
प्लंबागो रोसिया को आयुर्वेद में चित्रक भी कहा जाता है। साइनस हर्ब डायट के तहत इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह स्वाद में तीखा, एनर्जी से भरपूर होता है व इसमें भी खाना पचाने की क्षमता होती है। आयुर्वेद में चित्रक का इस्तेमाल सभी प्रकार के बुखार व रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन का इलाज करने के लिए किया जाता है।
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तुलसी (ocimum sanctum) का करें इस्तेमाल
साइनस हर्ब डायट में तुलसी (ocimum sanctum) का इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है। यह स्वाद में बेहतर व एनर्जी से भरपूर पौधा होता है। इसका सेवन करने से खाना पचाने में आसानी होती है। यह एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीसेप्टिक, एंटीफायरेटिक (ANTIPYRETIC), डायफोरेटिक जैसी खासियत से भरपूर होता है। एक्यूट साइनोसाइटिस के साथ सभी प्रकार के वात व कफ दोष, बुखार और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन पित्त दोष के लिए इस औषधी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। तुलसी का सेवन करने का सबसे बेहतर तरीका चाय है, इसमें शहद डालकर सेवन करें, तो काफी फायदा होता है।
साइनस हर्ब डायट में गुलाब भी आता है। यह स्वाद में बेहतर होता है। मीठा होने के साथ ये एनर्जी से भरपूर होता है। इसका सेवन करने से भी पाचन शक्ति अच्छी रहती है। बुखार के साथ-साथ पित्त को कम करने व साइनस में इरीटेशन को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं।
सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi Churna) भी है फायदेमंद
साइनस हर्ब डायट में सितोपलादि चूर्ण का सेवन भी कर सकते हैं। इस फॉर्मूले को रॉक कैंडी, बैंबो मन्ना, पिपाली (rock candy, bamboo manna, pippali (piper longum), इलायची, दालचीनी के साथ तैयार किया जाता है। इसका रोजाना 1-4 ग्राम, 2-4 बार सेवन कर सकते हैं। बैलेंस फॉर्मूले में इसका सेवन किया जाता है। साइनोसाइटिस में इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है।
एक्सपर्ट की सलाह लें
साइनस इंफेक्शन काफी सामान्य बीमारी है। यह बीमारी अपने आप ही दस दिनों में ठीक हो जाती है। ओटीसी दवा व सायनस हर्ब डायट का इस्तेमाल कर बीमारी से निजात पाया जा सकता है। यदि इस बीमारी के लक्षण दस दिनों से अधिक समय तक रहते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा, सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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