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Heart Disease Prevention: दिल की परेशानियों से बचाव के लिए यह उपाय आएं काम

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    Heart Disease Prevention: दिल की परेशानियों से बचाव के लिए यह उपाय आएं काम

    हार्ट डिजीज कई तरह की हार्ट कंडिशंस को कहा जाता है, इसमें ब्लड वेसल डिजीज (Blood vessel disease) शामिल होती हैं जैसे कोरोनरी आर्टरी प्रॉब्लम। कोरोनरी आर्टरी प्रॉब्लम (Coronary artery disease) सबसे सामान्य तरह की हार्ट डिजीज है, जिसके कारण ब्लड फ्लो प्रभावित होता है और हार्ट अटैक (Heart attack) का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही इनमें हार्ट रिदम प्रॉब्लम, जन्मजात हृदय दोष, हार्ट वॉल्व डिजीज, हार्ट इंफेक्शन आदि भी शामिल हैं। दिल की बीमारियों को बेहद गंभीर माना जाता है। लेकिन, कुछ चीजों का ध्यान रख कर इनसे बचा भी जा सकता है। आज हम हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) के बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं। हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) के बारे में जानकारी होना आवश्यक है, ताकि सही समय पर इसका निदान और उपचार हो सके। आइए जानें इसके के बारे में।

    पाएं पूरी जानकारी हार्ट डिजीज प्रिवेंशन के बारे में (Heart Disease Prevention)

    हार्ट कंडिशंस कई मेजर हेल्थ समस्याओं की एक बड़ी वजह है। ऐसी कई चीजें हैं जो हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिन्हें रिस्क फैक्टर्स भी कहा जाता है। इन रिस्क फैक्टर्स में से कुछ बिलकुल भी कंट्रोल नहीं किए जा सकते हैं। लेकिन, कुछ को हम कंट्रोल कर सकते हैं। कुछ तरीकों से हार्ट डिजीज और स्ट्रोक आदि की संभावना कम हो सकती हैं। हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) के तरीके इस प्रकार हैं:

    अपने वजन को हेल्दी रखें (Stay at healthy weight)

    वजन का अधिक होना यानी मोटापा से हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है। क्योंकि, अधिक वजन को हार्ट डिजीज के अन्य रिस्क फैक्टर्स से जोड़ा जाता है जैसे हाय ब्लड प्रेशर, हाय कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल और डायबिटीज आदि। ऐसे में हार्ट डिजीज से बचाव के लिए अपने वजन को कम करने के उपायों के बारे में सोचें। इसके लिए अपने खानपान का ध्यान रखें और व्यायाम करें। इसके लिए डॉक्टर की मदद भी ली जा सकती है।

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    हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) में कोलेस्ट्रॉल लेवल का रखें ध्यान (Control Cholesterol level)

    हार्ट डिजीज से बचाव के लिए रोगी का अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल और ट्राइग्लिसराइड लेवल्स को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल लेवल के हाय होने से आर्टरीज ब्लॉक हो सकती हैं, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ सकता है। लाइफस्टाइल चेंजेज और दवाईयों से कोलेस्टेरोल लेवल को कम किया जा सकता है। ट्राइग्लिसराइड खून में पाया जाने वाला अन्य तरह का फैट होता है। ट्राइग्लिसराइड के हाय लेवल से कोरोनरी आर्टरी डिजीज का रिस्क बढ़ सकता है।

    हेल्दी डायट का सेवन करें (Eat healthy diet)

    हेल्दी डायट लेना न केवल हार्ट डिजीज से राहत पाने बल्कि संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने के लिए जरूरी है। इसलिए, आपने आहार में सैचुरेटेड फैट्स, एडेड शुगर, हाय सोडियम युक्त आहार आदि की मात्रा सीमित कर दें। आपको फ्रेश फ्रूट्स, सब्जियों और होल ग्रेन के सेवन की सलाह दी जाती है। आपके लिए कौन सी डायट लेना सही रहेगी, इसके बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें। इसमें आप अपने डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं। हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) के लिए सही आहार का सेवन जरूरी है।

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    नियमित व्यायाम (Regular exercise)

    एक्सरसाइज के कई फायदे हैं जिसमें हार्ट का मजबूत होना और सर्कुलेशन का सुधरना आदि शामिल है। इससे आपके शरीर का सही वजन मेंटेन करना भी आसान हो सकता है। इसके साथ ही इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड प्रेशर को सही रखने में भी मदद मिलती है। नियमित व्यायाम से हार्ट डिजीज के जोखिम को कम रखने में भी सहायता मिलती हैं। इसलिए, दिन में कुछ समय जरूर निकालें और व्यायाम करें।

    हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) में एल्कोहॉल की सीमित मात्रा (Limit Alcohol)

    बहुत अधिक एल्कोहॉल के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। यही नहीं इससे कैलोरीज भी बढ़ती हैं जिससे वजन अधिक हो सकता है। अधिक कैलोरीज और वजन दोनों हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर हैं। आपको कितनी मात्रा में इसे लेना है, इसके बारे में डॉक्टर से अवश्य बात करें।

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    स्मोकिंग न करें (Don’t smoke)

    सिगरेट स्मोकिंग से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इससे भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक का रिस्क भी अधिक हो सकता है। अगर आप स्मोकिंग नहीं करते हैं, तो इसे शुरू भी न करें। अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे छोड़ने से  हार्ट डिजीज की संभावना कम हो सकती है। हालांकि, स्मोकिंग छोड़ना आसान काम नहीं है। इसलिए इसमें आपको अपने डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता भी हो सकती हैं।

    स्ट्रेस से बचें (Manage stress)

    हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) में अगला तरीका है स्ट्रेस से बचाव। स्ट्रेस यानी चिंता को कई तरह से हार्ट डिजीज से जोड़ा जाता है। बहुत अधिक स्ट्रेस हार्ट अटैक का रिस्क भी बढ़ सकता है। इससे बचने के लिए व्यायाम करें, म्यूजिक सुनें, मैडिटेशन या योगा का सहारा लें। इसमें डॉक्टर भी आपकी मदद कर सकते हैं।

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    डायबिटीज को मैनेज करें (Manage diabetes)

    डायबिटीज से हार्ट डिजीज के जोखिम बहुत अधिक बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि समय के साथ डायबिटीज से हाय ब्लड शुगर से ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकते हैं और उन नर्वज को भी नुकसान हो सकता है जो हार्ट व ब्लड वेस्ल्स को कंट्रोल करती हैं। इसलिए, समय-समय पर डायबिटीज की जांच करना और इसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।

    हार्ट डिजीज प्रिवेंशन , Heart Disease Prevention

    हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) में पर्याप्त नींद (Enough Sleep)

    अगर हम सही से अपनी नींद पूरी नहीं करते हैं, तो इससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। यही नहीं, इससे मोटापा और डायबिटीज के बढ़ना की संभावना भी बढ़ जाती है। इन तीनों चीजों को हार्ट डिजीज से जोड़ा जाता है। वयस्कों को हर रोज सात से नौ घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। आपको अच्छी स्लीप हैबिट्स का पालन करना चाहिए। अगर आपको नींद संबंधी कोई भी समस्या है, तो मेडिकल हेल्प आवश्यक लें। हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) में इस पॉइंट का भी खास ध्यान रखना जरूरी है।

    अपनी दवाई का रखें ध्यान (Take your medicine)

    अगर आपको कोई बीमारी है तो डॉक्टर आपको स्टेटिंस या अन्य दवाईयों की सलाह देंगे ताकि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहे। इन सभी मेडिसिन्स को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लें। लेकिन, एस्पिरिन को बचाव के लिए तब तक न लें, जब तक डॉक्टर ने न कहा हो। अगर आपको कभी हार्ट अटैक या स्ट्रोक न हुआ है, तो डेली एस्पिरिन लेने से आपको कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि इससे ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ सकता है। अब उन रिस्क फैक्टर्स के बारे में बात करते हैं, जिन्हें आप कंट्रोल नहीं कर सकते। आइए जानें इनके बारे में।

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    रिस्क फैक्टर्स जिन्हें कंट्रोल नहीं किया जा सकता

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि हार्ट डिजीज के कई रिस्क फैक्टर्स हैं, जिनमें से कुछ को आप कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। जबकि, कुछ को कंट्रोल किया जा सकता है। यह रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    • जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती हैं, हार्ट डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा माना जाता है कि 45 साल से अधिक उम्र के पुरुष और 55 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को इसकी संभावना अधिक रहती है।
    • कुछ रिस्क फैक्टर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करते हैं। यानी, पुरुषों की तुलना में कुछ रिस्क फैक्टर्स महिलाओं को होने की संभावना अधिक रहती हैं।
    • अगर आपकी हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री है, तो भी आपमें यह समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।

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    यह तो थी हार्ट डिजीज प्रिवेंशन (Heart Disease Prevention) के बारे में जानकारी। हार्ट डिजीज गंभीर है और इससे पूरी दुनिया का बड़ा हिस्सा प्रभावित है। ऐसे में हार्ट डिजीज का समय पर निदान और उपचार होना जरूरी है। लेकिन, इसके साथ ही इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी होना और उनका पालन करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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